\’\’अरे बेटा सुरेन्द्रररर–! \’\’कमरे के भीतर से किसी बुजुर्ग महिला की कपकपाती सी आवाज आई।
\’\’जाओ सुनकर आओ अपनी माता श्री की।\’\’ सुगन्धा ने नाश्ता करते हुए पति से मुँहे बनाते हुए कहा।
\’\’हाँ.. हाँ.. जा रहा हूँ……जा रहा हूँ….. तुम भी कभी पूँछ लिया करो उनका हाल-चाल !\’\’
\’\’मैं, न बाबा न मैं तो उस कमरे की तरफ़ मुँह भी नहीं करती इतनी बदबू आती है छी….।\’\’
\’\’कुछ खाने को दिया या नहीं उनको ?\’\’
\’\’अभी मेड नहीं आई है। आयेगी तब भिजवा दूँगी।\’\’
\’\’मेरा रुमाल दो यार।\’\’
\’\’अभी देती हूँ।\’\’
\’\’लाओ जल्दी। \’\’सुरेन्द्र ने रुमाल को नाक से बाँधा और भीतर चला गया।
\’\’हाँ बोलो।\’\’
\’\’बेटा इस कमरे की लाइट खराब हो गयी है। रात बहुत ठंड लगी।हीटर भी न चला। \’माँ ने रजाई में से मुँह निकाल कर कपकपाते हुए कहा।
\’\’ठीक है ठीक है आज करवा दूँगा और ज्यादा शोर मत मचाया करो। सब हो जायेगा। मेड आती ही होगी।\’\’
\’\’बेटा थोडी देर बैठ तो सही।\’\’
\’\’अरे नहीं माँ आफिस के लिये लेट हो रहा हूँ। यहाँ कहाँ बैठ जाऊँ इतनी तो बदबू आ रही है ?\’\’ रुमाल से मुँह ढककर सुरेन्द्र ने कहा और बाहर निकल गया माँ की आँखों में लाचारी के आँसू आ गये वो खुद को सूँघने लगी \’\’क्या सच में ही मैं मैली हो गयी हूँ ? अभी तो हाथों में सुरेन्द्र के मल-मूत्र की गंध आती है मुझे और वो कह गया की मुझमें दुर्गन्ध……\’\’
साभार– सोशल मीडिया