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कुत्ता या इंसानी कुत्ता

कोर्ट में एक अजीब मुकदमा आया
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एक सिपाही एक कुत्ते को बांध कर लाया
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सिपाही ने जब कटघरे में आकर कुत्ता खोला
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कुत्ता रहा चुपचाप, मुँह से कुछ ना बोला..!
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नुकीले दांतों में कुछ खून-सा नज़र आ रहा था
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चुपचाप था कुत्ता, किसी से ना नजर मिला रहा था
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फिर हुआ खड़ा एक वकील ,देने लगा दलील
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बोला, इस जालिम के कर्मों से यहाँ मची तबाही है
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इसके कामों को देख कर इन्सानियत घबराई है
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ये क्रूर है, निर्दयी है, इसने तबाही मचाई है
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दो दिन पहले जन्मी एक कन्या, अपने दाँतों से खाई है
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अब ना देखो किसी की बाट
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आदेश करके उतारो इसे मौत के घाट
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जज की आँख हो गयी लाल
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तूने क्यूँ खाई कन्या, जल्दी बोल डाल
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तुझे बोलने का मौका नहीं देना चाहता
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लेकिन मजबूरी है, अब तक तो तू फांसी पर लटका पाता
?
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जज साहब, इसे जिन्दा मत रहने दो
?
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कुत्ते का वकील बोला, लेकिन इसे कुछ कहने तो दो
?
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फिर कुत्ते ने मुंह खोला ,और धीरे से बोला
?
?हाँ, मैंने वो लड़की खायी है?
?अपनी कुत्तानियत निभाई है?
?कुत्ते का धर्म है ना दया दिखाना?
?माँस चाहे किसी का हो, देखते ही खा जाना?
?पर मैं दया-धर्म से दूर नही?
?खाई तो है, पर मेरा कसूर नही?
?मुझे याद है, जब वो लड़की छोरी कूड़े के ढेर में पाई थी?
?और कोई नही, उसकी माँ ही उसे फेंकने आई थी?
?जब मैं उस कन्या के गया पास?
?उसकी आँखों में देखा भोला विश्वास?
?जब वो मेरी जीभ देख कर मुस्काई थी?
?कुत्ता हूँ, पर उसने मेरे अन्दर इन्सानियत जगाई थी?
?मैंने सूंघ कर उसके कपड़े, वो घर खोजा था?
?जहाँ माँ उसकी थी, और बापू भी सोया था?
?मैंने भू-भू करके उसकी माँ जगाई?
?पूछा तू क्यों उस कन्या को फेंक कर आई?
?चल मेरे साथ, उसे लेकर आ?
?भूखी है वो, उसे अपना दूध पिला?
?माँ सुनते ही रोने लगी?
?अपने दुख सुनाने लगी?
?बोली, कैसे लाऊँ अपने कलेजे के टुकड़े को?
?तू सुन, तुझे बताती हूँ अपने दिल के दुखड़े को?
?मेरी सासू मारती है तानों की मार?
?मुझे ही पीटता है, मेरा भतार?
?बोलता है लङ़का पैदा कर हर बार ?
?लङ़की पैदा करने की है सख्त मनाही?
?कहना है उनका कि कैसे जायेंगी ये सारी ब्याही?
?वंश की तो तूने काट दी बेल?
?जा खत्म कर दे इसका खेल?
?माँ हूँ, लेकिन थी मेरी लाचारी?
?इसलिए फेंक आई, अपनी बिटिया प्यारी?
?कुत्ते का गला भर गया?
?लेकिन बयान वो पूरे बोल गया….!?
?बोला, मैं फिर उल्टा आ गया?
?दिमाग पर मेरे धुआं सा छा गया?
?वो लड़की अपना, अंगूठा चूस रही थी?
?मुझे देखते ही हंसी, जैसे मेरी बाट में जग रही थी?
?कलेजे पर मैंने भी रख लिया था पत्थर?
?फिर भी काँप रहा था मैं थर-थर?
?मैं बोला, अरी बावली, जीकर क्या करेगी?
?यहाँ दूध नही, हर जगह तेरे लिए जहर है, पीकर क्या करेगी?
?हम कुत्तों को तो, करते हो बदनाम?
?परन्तु हमसे भी घिनौने, करते हो काम?
?जिन्दी लड़की को पेट में मरवाते हो?
?और खुद को इंसान कहलवाते हो?
?मेरे मन में, डर कर गयी उसकी मुस्कान
?लेकिन मैंने इतना तो लिया था जान?
?जो समाज इससे नफरत करता है?
?कन्याहत्या जैसा घिनौना अपराध करता है?
?वहां से तो इसका जाना अच्छा?
?इसका तो मर जान अच्छा?
?तुम लटकाओ मुझे फांसी, चाहे मारो जूत्ते?
?लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते?
?लेकिन खोज के लाओ, पहले वो इन्सानी कुत्ते ..!!

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