एप्पल न्यूज ब्यूरो
– इसी सन्दर्भ में एक छोटी सी कहानी है। एक बार एक राजा खूब ठाठ वाट से रहते थे। उनकी कई रानियं थीं और सैकड़ों सेवक सेवा मे कार्यरत रहते थे। राजा को सोने चंदी के बर्तनो मे नाना प्रकार का स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता था। राजा की शानों शौकत देखने वाली थी। परन्तु समय के साथ समय ने पलटी मारी और दुशमन राजा ने आक्रमण कर राजा का राज्य छीन लिया। जैसा अक्सर होता है। बुरे दिनो मे तो अपनी परछाई भी साथ छोड देती है। रानीयो ने नये शासक की पटरानीया बनना स्वीकार कर लिया और सेवको ने नये राजा की सेवा स्वीकार कर ली। सोने चांदी के बर्तनों का स्थान मिट्टी के बर्तनों ने ले लिया और नाना प्रकार के स्वादिष्ट खाने की जगह साधारण दाल रोटी ने ले ली।
सौभग्य से एक वफादार सेवक ने साथ नही छोड़ा। वह उदास जरूर रहता परन्तु भोजन बनाता और परोसता था। लेकिन राजा की सेवा अधमने तरीके से करता । राजा ने उसे कहा कि देखो आज कल हमारी विपरीत परिस्थितियों चल रही है। यह भी ठीक है सोने चांदी के बर्तनों की जगह मिट्टी के बर्तनों ने ले ली है। और मेरा शसन भी चला गया। परन्तु तुम एक काम तो कर सकते खाना तो उसी शाही अन्दांज मे परोस सकते हो। राजा की सोच राजा जैसी ही रही।कहते है \”जब आप सब कुछ खो चुके होते फिर भी आपके पास भविष्य बचा रहता है \”।
महेन्द्र नाथ सोफत