रूह गद गद हो गई रे दातया दर्शन कर के तेरे:-शांति
लाहुल स्पीति
सन्त निरंकारी मिशन हर वर्ष दिल्ली स्थित बुराड़ी रोड में अपना वार्षिक समागम मनाता आ रहा है।जिस में देश विदेश के लाखों लाख निरंकारी महापुरुष हिस्सा लेते है।इस बार भी सत्तरवें सन्त समागम को निरंकारी मिशन के अनुयायियों ने मिशन के सद्गुरु और वक्त के पैगम्बर सतविंदर हरदेव जी महाराज के आशीर्वाद से धूम धाम से मनाया।
17 नवम्बर से 19 नवम्बर तक चले 3 दिवसीय इस समागम में लाखों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और खुशी खुशी से समागम का आनन्द लिया।इस साल जनजातीय जिला लाहुल स्पीति की शांति देवी जो पिछले 15 वर्षों से मिशन के साथ जुड़ी हुई थी अपने बड़े वहन बनती देवी के साथ पहली बार देश की राजधानी दिल्ली इस महासंगम में पहुंची।
शांति के अनुसार इन तीन चार दिनों में जो सुकून और शांति सद्गुरु के दरवार में मिली वह और जगह मिल ही नही सकती है।उनके अनुसार मिशन में एकता और प्रेम भाव के पाठ के साथ साथ मिल वर्तन की अनमोल सिखलाई दी जाती है।
उन्होंने अद्भुत हैरानी जताते हुए कहा कि लाखों के भीड़ में मजाल है किसी को धक्का मात्र लग जाये।इतना अनुशासन और मैत्री भाव शायद कहीं और देखने को मिले कहा नही जा सकता है।
उन्होंने सेवादल के भाई बहनों के सेवा भाव को नतमस्तक होते हुए बताया कि किस प्रकार वे लंगर,प्याऊ यातायात और विशेष कर शौचालयों की साफ सफाई और देख रेख में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।
बुराड़ी रोड में पांच छः पंडालों में असंख्य संगते और लंगर में सैंकड़ों लोगो का एकसाथ भोजन करना और इतने लोगों के लिए गर्म गर्म स्वादिष्ट भोजन गुरु घर के इलावा कहीं और सम्भव नही है।
शांति के मुताबिक समागम में सेवादलों की खासी भूमिका रहती है।शांति के लिये वह पल और भी अधिक अनमोल हो गए जब रात्रि के समय लाखो लोगो के साथ लाइन में लग कर सद्गुरु नमस्कार करने का और दर्शन करने का मौका मिला।
उन्होंने भी 3 दिन तक लगातार संगत का आनन्द लिया और खुद भी सेवादल के साथ कंधे से कंधा मिला कर सेवा की।शांति बताती है कि गुरु कृपा से उनके जीवन मे शांति ही शांति है।अब वे हर साल दिल्ली समागम में आने की भरपूर कोशिश करेगी।उन्होंने कहा कि समागम के साथ साथ दिल्ली दर्शन का भी सुअवसर मिला और देश के राजधानी के बारे जानने का मौका मिला।
शांति कहती है कि मुझे गुरु माता के करीब से दर्शन हुए हैं यह मेरा सौभग्य है। इस अवसर पर उनके साथ लाहुल स्पीति, और कुल्लू मनाली के संगत में खास तौर पर उनके तीन वहने बनती देवी,प्रेम प्यारी और देवदासी मौजूद थीं।