एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमचल प्रदेश में जहां लाखों पड़े लिखे बेरोजगार युवा ओर युवतिया रोजगार पाने का बेसब्री से इंतजार करते रहते है। वहीं सरकारी क्षेत्र में वर्तमान सरकार द्वारा अब तक प्रदेश के विभिन्न विभागों में काम के भारी बोझ जो सरकारी कार्यों को निपटाने के लिए बाधा बनता जा रहा है। इस एवज में यदि लाखों नए पद सृजित किए होते तो बेरोजगारों को अब तक काफी हद तक राहत पहुंच गई होती।लेकिन अफसोस सरकार द्वारा नए पदों को तो क्या सृजित करना। बल्कि सरकार विभागों में पहले से ही खाली पड़ें लाखों पदों को भरने में भी नाकामयाब साबित हुई है। यदि कुछ छूट पुट पद हमीरपुर के सिलेक्शन बोर्ड या किसी भी बोर्ड,निगम,विश्वविद्यालयों इत्यादि द्वारा कभी एक बार कुछ पदों के विज्ञापन के माध्यम से बेरोजगारों से संबंधित पदों की परीक्षाओं के वास्ते भारी भरकम फीस के साथ आवेदन आमंत्रित यदि किए जाते भी गए है।
जैसे कि अभी हाल में ही पंचायत सहायक सचिव के पदों के आवेदन करने हेतु फीस 1200 रुपए मांगी गई।वोभी श्रेणी तीन के पदों के लिए। दूसरी ओर श्रेणी एक यानी H.A.S.के पदों को भरने की फीस 400 रुपए।जब कि छोटे पदों की फीस बड़े पदों की तुलना में कम बनती है।या नहीं कि थोड़ी बहुत।इस प्रकार से प्रदेश सरकार बेरोजगारी से भी करोड़ों रुपए का राजस्व एकत्रित करने पर तुली हुई है।इतना ही नहीं बेरोजगारों को तो अपने पॉकेट मनी तक की अक्सर दिक्कत देखी जा सकती है।जैसे कि आज आलम इस कदर हो गया है कि यदि किसी विभाग में 4-5 पद भी भरने होंगे तो उक्त पदों के लिए कम से कम 20-25 हजार बेरोजगार युवा आवेदन करते देखे गए है।मान लो 1200 रुपयों के हिसाब से भी आवेदन करते हैं।तो कितना राजस्व एकत्रित होता है?
अभी हाल ही में हिमाचल प्रदेश विश्विद्यालय शिमला में बहुत सारे पदों,तथा राजस्व विभाग में पटवारियों के पदों को भरने हेतु करोड़ों रुपए एकत्रित किए गए।इस बाबत बरोगारो से इस प्रकार जान बुझ कर भारी भरकम फीस वसूलने से सरकार पर सार्वजनिक रूप से जनता खासकर बेरोजगार युवाओं के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।
यहां शिमला से प्रैस को जारी एक बयान में हिमाचल प्रदेश आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एसएस जोगटऻ ने हिमाचल प्रदेश की जय राम सरकार को बेरोजगारों के साथ इस तरह के बर्ताव के लिए आड़े हाथों लिया।जोगटऻ ने भाजपा सरकार द्वारा अपने चुनाव घोषणा पत्र जो सरकार के हिसाब से आज उनका नीतिगत दस्तावेज बना हुआ है के अनुसार बेरोजगारी की समस्या हल होनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।जब की बेरोजगारी आज एक विकराल रूप धारण कर चुकी है।तथा वर्तमान सरकार अपने किए हुए इस वादे के मुताबिक इस समस्या से निपटने में असफल हो चुकी है। इस तरह देखते देखते तीन साल से भी ऊपर का समय हो चुका है और सरकार द्वारा अभी तक प्रदेश के विभिन्न विभागों में बड़े हुए काम के हिसाब से नए पद सृजित करना तो दूर की बात है। लेकिन सरकार विभिन्न विभागों में खाली पड़े लाखों लाख नियमित पदों को भरने में भी नाकाम साबित हुई है। कारण ये बना कि बेरोजगारों और उनके अभिभावकों के अंदर सरकार के प्रति काफी रोष व्याप्त हो चुका है।क्योंकि बेरोजगारों के मां बाप ने अपने बच्चों की पढ़ाई वास्ते उनके उपर लाखो रुपए यहां तक कि ,Educational loan तक लेकर उनको अच्छी तालीम दिलवाने की कोशिश की। जिसका हश्र ये ही रहा है कि वे आज अपने घरों में बेले ठोकरें खाने को मजबुर हो रहे है।
यहां तक कि पिछले दिनों सैकड़ों बेरोजगारों ने आत्म हत्या तक कर डाली। जिनके घर से बच्चा जाता है उनसे पूछे सरकार की उनके उपर क्या गुजर रही होगी।
आम आदमी पार्टी का सरकार पर ये भी आरोप है कि सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र के हिसाब से भी उक्त मुदे को अमली जामा पहनाने में नाकाम सिद्ध हुई।जिसका खामियाजा निश्चित रूप से सरकार को चुनावों में भुक्तना ही होगा।
बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी का कहना है कि 2022 के चुनावों में आम आदमी पार्टी सता में आने पर हर घर से एक को सरकारी नोकरी प्रदान किए जाने की योजना पर काम कर रही है।जिसकी विस्तृत रिपोर्ट त्यार भी की जा रही है।इससे पहले पार्टी आम जन/खासकर बेरोजगार युवाओं से अनुरोध भी करना चाहेगी कि आम आदमी पार्टी उनके साथ कंधे से कंघा मिलाकर सरकार की नाकामयाबी बारे एक ऐतिहासिक सबक सिखाना चाहती है। बेरोजगारी सहित विकास के तमाम पहलू जस के तस है। बजाय विकास के सरकार कर्जा ले लेकर प्रदेश की जनता पर लादने का प्रयास कर रही है।