एप्पल न्यूज़, शिमला
वही लोग पाते हैं इज्जत ज्यादा जो करते हैं दुनिया में मेहनत ज्यादा । एक सैनिक का जीवन चुनना और निभाना मुश्किल होता है। वह अपने राष्ट्र और देशवासियों के लिए बलिदान देने को तत्पर रहते हैं। यही वजह है कि सैनिक ही राष्ट्र के असली नायक मानें जाते है।
हिमाचल प्रदेश के सेवानिवृत कैप्टन शामलाल शर्मा का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही है, जिसका हाल ही में एक उदाहरण देखने को मिला । भारतीय सेना सेवानिवृति के दो दशकों बाद भी अपने कैप्टन शामलाल को नहीं भूली ।
राजधानी शिमला आर्मी ट्रेनिंग कमान में शनिवार 16 नवंबर को (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) General Upendera Dwivedi सेनाध्यक्ष (COAS) द्वारा शाम लाल शर्मा को *वेटरन अचीवर अवॉर्ड* से सम्मानित किया ।
सेना प्रमुख की ओर से उनकी उल्लेखनीय सेवाओं की सराहना के लिए लिए प्रशंसता पत्र (COAS Commendation ) भी प्रदान किया। यह पत्र उनकी सेवानिवृति के बाद भी देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा से किए गए अभूतपूर्व योगदान को मान्यता देने के लिए प्रदान किया गया ।
कैप्टन शामलाल ने इस सम्मान को अपने लिए गौरव का क्षण बताया है और कहा कि यह पुरस्कार हर उस सैनिक को समर्पित है, जो देश के प्रति निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करता हे।
भर्ती होने से रिटायरमेंट तक का जीवन
हिमाचल प्रदेश के छोटे से गांव व पंचायत धमून के रहने वाले शामलाल ने प्रारंभिक शिक्षा गवर्नमेंट हाई स्कूल ख़लग,से की थी।
सेना में 19 वर्ष की आयु में भरती हो कर आर्मी में Intermediate/BA पास किया ।
यह सम्मान कप्तान शामलाल की देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की भावना को दर्शाता है, जो भारतीय सेना में उनकी सेवाओं के दौरान और सेवानिवृत्ति के बाद भी जारी है ।
यह एक गर्व का पल है न केवल कप्तान शर्मा के लिए, बल्कि उनकी पलटन ( 14 जैक राइफल्स) उनके परिवार, गांव और देश के लिए भी यह सम्मान उनकी समर्पण और निष्ठा की भावना को प्रेरित करता है और देश के लिए काम करने की प्रेरणा देता है।
सर्विस अपॉइंटमेंट और अवॉर्ड
ACTS औरंगाबाद से HCD कोर्स में प्रथम स्थान और अल्फा ग्रेडिंग ।
कर्नल ऑफ द जम्मू और कश्मीर राइफल्स सेक्रेटेरिएट में उन्होंने रेजिमेंटल पी ए तथा उत्कृष्ट सेवा के लिए मेरिटोरियस सर्विस मेडल मिला।
स्पेशल फ्रंटियर फोरस में सर्विस के दौरान PARA कोर्स करके पैरा विंग हासिल किया।
ऑपरेशन विजय के दौरान 1999 में कारगिल युद्ध में 14 जम्मू कश्मीर राइफल्स के साथ सेक्टर कारगिल काकसर में कारगिल युद्ध के दौरान बतौर बटालियन हेड क्लर्क युद्ध में सक्रिय तौर पर भाग लिया जहां पर उन्हें OP VIJAY STAR और OP VIJAY MEDAL मिला ।
इसके इलावा विभिन्न दुर्गम सैन्य अभियानों जैसे ऑर्किड नागालैंड, नागाहिल्स, ऑपरेशन जेवलिन, ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन समेरीतिन आदि में बटालियन के साथ बढ़ चढ़ कर भाग लिया।
उन्हें सर्विस के दौरान कुल विभिन्न 12 मेडल और स्टार मिले ।
कृषि ओर उद्यानिकी परियोजना
भारतीय सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद, कैप्टन शाम लाल शर्मा ने अपने पैतृक गाँव , पंचायत धमून, जिला शिमला में एक फलदायक कृषि और उद्यानिकी परियोजना की स्थापना की है।
उनके प्लांटेशन में लगभग विभिन्न प्रकार के 500 पौधों ( नींबू, कीवी, सेब अखरोट अमरूद केला इत्यादि )और सब्जियों की खेती की जाती है, जो सभी इको-फ्रेंडली तरीकों से की जाती है, जिसमें प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाता है और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है !
उनकी उपलब्धियों में शामिल हैं:
- इको-फ्रेंडली फार्मिंग: पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए टिकाऊ तरीकों को अपनाना।
- जैविक खेती: स्थानीय किसानों और एक्स-सर्विसमैन को जैविक खेती के बारे में प्रशिक्षण और सलाह देना।
- समुदाय पर प्रभाव: राज्य के कृषि और उद्यानिकी विभागों द्वारा सम्मानित, साथ ही स्थानीय त्योहारों में भी पहचान मिली।
- अन्य लोगों को प्रेरित करना: उनके निस्वार्थ प्रयासों ने दूसरों को उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित किया है !
- इस कार्य को सफल बनाते में उनकी पत्नी सत्या शर्मा और बेटे पवन कुमार शर्मा तथा पूरे परिवार का भरपूर सहयोग रहता है ।