परिवार को बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए मदद की दरकार , विधायक ने दी 50 हजार की मदद
एप्पल न्यूज़, संजीव कुमार गोहर मंडी
बीपीएल परिवार को अपने बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए आर्थिक मदद की दरकार है। गोहर उपमंडल के तहत आने वाले तरौर गांव के माधव राम के बेटे संजय कुमार ने नीट की परीक्षा को उतीर्ण करके एमबीबीएस में एंट्री ले ली है।
लेकिन अब परिवार के समक्ष बेटे की पढ़ाई पर आने वाला खर्च एक बड़ी चुनौती बन गया है। माधव राम एक बीपीएल परिवार से संबंध रखता है। माधव के चार बच्चे हैं जिसमें दो बेटियां और दो बेटे हैं।
माधव राम ने बताया कि गरीबी के दौर में भी उसने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बड़ी बेटी से जेबीटी करवाई और अब उसका विवाह करवा दिया है। छोटी बेटी ने बीएससी की पढ़ाई कर रखी है। बेटा संजय मेडिकल में पढ़ाई करने के बाद अब डॉक्टर बनने जा रहा है जबकि सबसे छोटा बेटा आईटीआई कर रहा है।
डॉक्टर बनने के लिए चाहिए 10 लाख, मदद को उठ रहे हाथमाधव राम ने बताया कि उसके बेटे संजय कुमार की एमबीबीएस की पढ़ाई पर 10 लाख से अधिक का खर्च आएगा। इतनी बड़ी रकम उसके पास नहीं है। लेकिन मदद के लिए लोगों के हाथ खुद व खुद उठ रहे हैं। नाचन के विधायक विनोद कुमार ने अपनी तरह से 50 हजार की आर्थिक मदद कर दी है।
वहीं संजय को पढ़ाने वाले शिक्षकों ने भी आर्थिक मदद का भरोसा दिलाया है। इसके साथ नाचन के अन्य सामाजिक संगठन भी इस बच्चे की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। यदि कोई माधव राम की मदद करना चाहता है तो उसके मोबाईल नंबर 9882109088 पर संपर्क कर सकता है।
बैंड बजाकर, मजदूरी करके और हल जोतकर पढ़ाए हैं बच्चेमाधव राम ने बताया कि जब वो मात्र 2 वर्ष के थे तो उनके पिता का देहांत हो गया। मां ने कठिनाईयों के दौर में माधव की परवरिश की।
मात्र 7 साल की उम्र में माधव ने हल जोतकर घर के लिए पैसे कमाना शुरू कर दिया। इसके बाद मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण किया। बीते 15 वर्षों से माधव बैंड बजाने का काम कर रहा है।
वहीं मनरेगा में मजदूरी करके भी घर का गुजर-बसर कर रहा है। माधव राम बताते हैं कि बीपीएल में शामिल होने के बाद भी उन्हें सरकार की किसी सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया है। खुद तंगी में गुजर-बसर कर दिया लेकिन बच्चों की पढ़ाई पर कोई आंच नहीं आने दी।
हमीरपुर और नेरचौक से दिलाई बेटे को कोचिंगमाधव राम ने बताया कि अपने बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए उसने अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रखी है। बेटे को जब कोचिंग देने की बारी आई तो पहले एक साल हमीपुर के एक संस्थान से कोचिंग दिलवाई और उसके बाद अगले एक साल तक नेरचौक स्थित संकल्प क्लासेज से। बेटे ने दिन रात मेहनत की और एमबीबीएस में अपना चयन करवाया। संजय अब आईजीएमसी शिमला से डॉक्टर की पढ़ाई करेगा।