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“सखी” वन स्टॉप सेंटर के बारे में लोगों को करें जागरूक- उपायुक्त

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एप्पल न्यूज, शिमला

सखी वन स्टॉप सेंटर की जिला स्तरीय समीक्षा बैठक उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित की गई।
उपायुक्त अनुूपम कश्यप ने बताया कि वन स्टॉप सेंटर (सखी) का उद्देश्य सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही छत के नीचे सहायता उपलब्ध कराना है। इसका उद्देश्य हिंसा पीडित महिलाओं का समर्थन करना है जिसका सामना वे परिवार के भीतर या कार्यस्थल पर या समुदाय के भीतर, निजी या सार्वजनिक स्थानों पर कर सकती हैं।
 उन्होंने कहा कि इसके तहत महिलाओं के लिए एक समर्थन तंत्र विकसित किया जाता है, जो महिलाओं के लिए यौन/शारीरिक/मनोवैज्ञानिक/भावनात्मक/आर्थिक शोषण का सामना करती हैं। भले ही उनकी जाति, पंथ, नस्ल, वर्ग, शिक्षा की स्थिति, उम्र, संस्कृति या वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो।


 उन्होंने कहा कि वन स्टॉप सेंटर पर तेजाब हमले, विच-हंटिंग, घरेलू हिंसा, तस्करी, यौन उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न के कारण किसी भी तरह की हिंसा का सामना करने वाली पीड़ित महिलाओं को विशेष सेवाएं प्रदान की जाती है। इसके द्वारा पीड़िताओं को चिकित्सा, कानूनी एवं मनोवैज्ञानिक परामर्श भी तत्काल उपलब्ध करवाई जाती है। 
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि सखी वन स्टॉप सेंटर के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाए ताकि महिलाओं को तुरंत आपातकालीन स्थिति में सहायता प्राप्त हो सके। इस वर्ष अभी तक 139 शिकायतें प्राप्त हुई है।

उन्होंने रामपुर क्षेत्र में भी सखी वन स्टॉप केंद्र खोलने की सारी औपचारिकताएं पूरी करने के निर्देश दिए है। इसके अलावा चयनित भूमि के एफआरए मामले को भी शीघ्र पूरा करने का आश्वासन दिया है।

सखी वन स्टॉप सेंटर में उम्र, वर्ग, जाति, शिक्षा की स्थिति, वैवाहिक स्थिति, नस्ल और संस्कृति के कारण भेदभाव के बिना समर्थन और सहायता प्रदान की जाती है।

वन स्टॉप सेंटर योजना के समान, स्वाधार गृह योजना का उद्देश्य पीड़ित महिलाओं, कठिन परिस्थितियों की शिकार महिलाओं को आश्रय, भोजन, कपड़े और स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।

महिला टोल फ्री हेल्पलाइन 181 डायल कर कोई भी महिला विपरीत परिस्थिति में या उसकी ओर से कोई भी सखी केंद्र से 24×7 मदद मांग सकती हैं।

चाइल्ड हेल्पलाइन के कार्यों की समीक्षा
चाइल्ड हेल्पलाइन के कार्यों की समीक्षा भी बैठक के दौरान की गई। इस दौरान उपायुक्त ने कहा कि फील्ड स्टाफ हर सप्ताह चाइल्ड हेल्पलाइन के कार्यों की प्रगति रिपोर्ट सौंपेगा। इसके अलावा हर मामले की सूचना भी कार्यालय में मुहैया करवाई जाएगी। इस वित्तीय वर्ष में अभी तक प्राप्त हुई शिकायतों पर क्या-क्या कार्रवाई हुई है।

इसके अलावा पुनर्वास किए गए मामलों की स्थिति को लेकर भी आगामी बैठक में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि बच्चों के खिलाफ किसी भी तरह का शोषण स्वीकार नहीं किया जाता है।

प्रदेश और केंद्र सरकार के विभिन्न कानूनों के तहत बच्चों को सुरक्षा मुहैया करवाई जाती है। चाइल्ड हेल्पलाइन बच्चों के लिए मददगार साबित होती है। इस वित्तीय वर्ष में 198 शिकायतें प्राप्त हुई है जिनमें हर शिकायत पर कारवाई की गई है।

उन्होंने कहा कि 15 जनवरी को इस विषय पर विस्तृत बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें हर मामले के बारे में जानकारी ली जाएगी। उन्होंने फील्ड स्टाफ को निर्देश दिए कि जिला में बच्चों एवं लोगों को अधिक से अधिक चाइल्ड हेल्पलाइन के बारे में जागरूक करें। 

उन्होंने कहा कि चाइल्ड लाइन 0 से 18 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम करती है। यह संकट में फंसे बच्चों को बचाने और उनकी सहायता करने की एक पहल है। उनका विशेष ध्यान, देखभाल और सुरक्षा की ज़रूरत वाले सभी बच्चों पर है।
सड़कों पर अकेले रहने वाले सड़क के बच्चे और युवा, बाल मजदूर असंगठित और संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले घरेलू नौकर, विशेषकर घरेलू लड़कियाँ, परिवार, स्कूल या संस्थानों में शारीरिक/ यौन/ भावनात्मक दुर्व्यवहार से प्रभावित बच्चे और जिन बच्चों को भावनात्मक समर्थन और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
व्यावसायिक यौनकर्मियों के बच्चे, देह व्यापार के शिकार बच्चे, बाल तस्करी के शिकार, माता-पिता या अभिभावकों द्वारा त्यागे गए बच्चे, ग़ुम बच्चे, वे बच्चे जो मादक द्रव्यों के सेवन के शिकार और भिन्न रूप से अक्षम बच्चे इस श्रेणी में शामिल है।

वहीं कानून से संघर्षरत, संस्थाओं में बच्चे, मानसिक रूप से विकलांग बच्चे, एचआईवी/एड्स संक्रमित बच्चे, संघर्ष और आपदा से प्रभावित बच्चे, बाल राजनीतिक शरणार्थी, वे बच्चे जिनके परिवार संकट में है आदि शामिल है।

ऐसे बच्चों के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 क्रियाशील है। यह एक टोल-फ्री नंबर है, जो महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार की परियोजना है। यह सेवा रात-दिन उपलब्ध रहती है। कोई भी बच्चा या चिंतित वयस्क इस हेल्पलाइन पर कॉल कर सकता है।
बैठक में अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी (प्रोटोकॉल) ज्योति राणा, जिला कार्यक्रम अधिकारी ममता पॉल सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित रहे। 

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