एप्पल न्यूज़, शिमला
शर्मा का पहला आरोप यह है कि कांग्रेस पार्टी हिमाचल प्रदेश में जनविरोधी निर्णय ले रही है । हिमाचल सरकार ने पंजाब और तेलंगाना जैसे राज्यों का अनुसरण करते हुए डॉक्टरों के लिए नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस यानी एनपीए को बंद कर दिया है। 17 मई को हुई कैबिनेट की बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई है। एनपीए एक साथ एलोपैथी, डेंटल, आयुष और वेटरनरी चारों के लिए बंद कर दिया गया है।
नए डॉक्टरों को अब नहीं मिलेगा एनपीए। अधिसूचना 24 मई को जारी की गई है इसके अनुसार हिमाचल प्रदेश में हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर डिपार्टमेंट में भर्ती होने वाले एमबीबीएस डॉक्टर, डेंटल आयुष के डॉक्टर सहित एनिमल हसबेंडरी डिपार्टमेंट में भर्ती होने वाले वेटरनरी डॉक्टर को एनपीए नहीं मिलेगा। अधिसूचना में इस बात का जिक्र नहीं है कि नए भर्ती होने वाले डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं या नहीं।
इससे केवल हिमाचल प्रदेश के डॉक्टर ही नहीं हिमाचल की जनता भी प्रभावित होगी।
वेतन में कमी आने के कारण डॉक्टर सरकारी नौकरी के इच्छुक नहीं होंगे और इसमें प्रदेश भर में स्वास्थ्य सुविधाओं पर असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा भारतीय जनता पार्टी एनपीए बंद करने की कड़ी निंदा करती है और सरकार से मांग करती है कि इस को जल्द से जल्द बहाल किया जाए।
उन्होंने कहा कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल में महंगाई को बढ़ावा दिया है, सरकारी संस्थान बंद किए, विधायक निधि बंद की, बिजली महंगी की गई, इसके साथ-साथ विकास रोकने वाला जन विरोधी कृत्य भी किया गया।
पिछली भारतीय जनता पार्टी के समय जो विकास के लिए फंड का प्रावधान हुआ था उसको भी विकास के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा रहा।
मिली सूचना के मुताबिक 305 करोड रुपए पीडब्ल्यूडी और 250 करोड़ पर जल शक्ति विभाग का 31 मार्च तक सिलेंडर हो गया है।
हिमाचल के ठेकेदारों ने जो काम किए उनकी पेमेंट भी नहीं हो पा रही है।
विकास के आधे अधूरे कामों को भी विभाग ने वही रोक दिया है, जारी किए गए टेंडरों को भी किया कैंसिल कर दिया गया है,इन विभागों के मंत्रियों से जब पूछो तो वह चुप्पी धारण कर लेते हैं।
भाजपा सरकार के दौरान स्कूलों में मुफ्त वर्दी के साथ-साथ स्कूल बैग और पानी की बोतल भी दी जाती थी और इस सरकार ने ना बैग दिए ना पानी की बोतल दी।
शिमला शहर के अंतर्गत जो लिफ्ट में 10 रू किराया लगता था उसको बढ़ाकर 20 रू कर दिया गया है और इसमें सीनियर सिटीजंस को भी राहत नहीं दी गई है।
इस निर्णय से आम जनता के साथ-साथ पर्यटक भी प्रभावित होगा, यह जनविरोधी के साथ-साथ प्रदेश विरोधी निर्णय भी है और भाजपा इसकी कड़ी निंदा करती है।
कामगार बोर्ड के माध्यम से काम करने वाले मजदूरों को सरकार द्वारा अनेकों लाभ दिए जाते थे इस सरकार ने यह सभी लाभ बंद कर दिए है।
शर्मा ने दूसरे आरोप में कहा कि हिमाचल के मुख्यमंत्री जनता को झूठ बोलकर गुमराह करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्विस सिलेक्शन बोर्ड की जांच 1 महीने में पूरी होगी पर वक्तव्य दिए 2 महीने हो गए हैं और अभी तक कुछ नहीं हुआ।
लिखित परीक्षा के रिजल्ट 1 सप्ताह के भीतर निकले जाएंगे पर अभी तक नहीं निकले,
नगर निगम शिमला के चुनावों के दौरान कर्मचारियों को प्रभावित करने के लिए 2 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर लगे लोगों को रेगुलर करने की घोषणा की पर वह भी पूरी नहीं हो पाई।
शर्मा ने तीसरा आरोप लगाया कि हिमाचल की वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार में सम्मिलित है। 6 महीने के अंतर्गत ही मुख्यमंत्री का कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बनता दिखाई दे रहा है, कुछ दिन पहले एक भ्रष्टाचार पर कथित पत्र हमारे समक्ष आया।
मुख्यमंत्री और उनके नेता इस पत्र को गुमनाम करार देकर पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, अगर हम उस पत्र को पूरी तरह से पड़ेंगे तो वह पूरी तरह गुमनाम नहीं है। पत्र लिखने वाले व्यक्ति ने कहा है कि “मैं सरकारी कर्मचारी हूं, मैं मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात था और जब मैंने इस प्रकार के भ्रष्टाचार का विरोध किया तो मुझे मुख्यमंत्री कार्यालय से बदल दिया गया। अगर इस मामले की गंभीरता से जांच होगी तो मैं सामने आकर सबूत भी देने को तैयार हूं।”
ऐसे आरोपों से मुख्यमंत्री का पल्ला झाड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है और यह जीरो टोलरेंस वाली सरकार पहले 6 महीने के अंतराल में ही भ्रष्टाचार में सम्मिलित होती दिखाई दे रही है।
किन्नौर जिले में एक विद्युत परियोजना का मामला सामने आया है वह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की देखरेख में मैसेज पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड बना रही है।
हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन कि 18 मई 2023 को संपन्न हुई बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में मेसर्स पटेल इंजीनियरिंग को क्या लाभ दिया गया?
क्या यह सत्य नहीं है कि इस मीटिंग में इस कंपनी को एक्सटेंशन दी गई है,
समय पर अगर प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता तो उस प्रोजेक्ट को पेनल्टी लगती है पर यहां इस प्रोजेक्ट को एक्सटेंशन दी गई।