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बजट से स्पष्ट- भाजपा की डबल इंजन सरकार केवल ‘जुमला सरकार’- बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, निजीकरण व कृषि के साथ आर्थिक संकट बढ़ेगा- संजय चौहान

एप्पल न्यूज़, शिमला
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की राज्य कमेटी का मानना है कि केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा आज पेश किया गया बजट देश में अंतराष्ट्रीय वितीय पूंजी द्वारा संचालित नवउदारवादी नीतियों को आगे ले जाने वाला बजट है तथा देश में बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई व कृषि संकट जैसे गम्भीर मुद्दों के निवारण के बजाए इसको और अधिक बढ़ाने का काम करेगा।

माकपा राज्य सचिव हिमाचल प्रदेश मण्डल सदस्य संजय चौहान ने कहा कि देश मे मोदी सरकार के द्वारा लागू की जा रही निजीकरण, उदारीकरण व वैश्वीकरण की इन जनविरोधी नीतियों के चलते जो आर्थिक संकट पैदा हुआ है उससे बाहर निकलने के लिए इस बजट में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है।

रेलवे व अन्य क्षेत्रों में विकास के PPP मॉडल को बढ़ावा देकर देश के सार्वजनिक क्षेत्र का तेजी से निजीकरण किया जा रहा है। खाद्य सब्सिडी पर 2021-22 में 541330 करोड़ रुपए खर्च किये गए हैं इसे घटा कर वर्ष 2022-23 के बजट में 206831 करोड़ रुपए के प्रावधान किया गया है।

इस भारी कटौती से देश में खाद्य सुरक्षा का संकट और अधिक बढेगा। मनरेगा में इस वर्ष 111170 करोड़ रुपए खर्च किये गए जबकि वर्ष 2022-23 में मात्र 73000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है और इसमें कोई वृद्धि नहीं की गई है।

इससे ग्रामीण रोजगार पर बुरा असर पड़ेगा। RBI द्वारा डिजिटल करेंसी आरम्भ करने के निर्णय से बैंको में रोजगार समाप्त होगा। शिक्षा में डिजिटल पद्धति के बढ़ावे के लिये डिजिटल विश्विद्यालयखोलने के निर्णय से शिक्षा का व्यवसायीकरण व व्यापारीकरण बढेगा और शिक्षा आम जनता की पहुंच से दूर होगी।

इस बजट में वित्त मंत्री ने श्रम कानूनों में बदलाव पर बल दिया है जिससे देश के मजदूर वर्ग पर हमले बढ़ेंगे। कृषि संकट को दूर करने के लिए इस बजट में कोई भी ठोस प्रावधान नहीं किये गए हैं।

देश में किसान सभी फसलों के लिए MSP की गारण्टी के लिए कानून बनाने के लिए आन्दोलन कर रहा है। परन्तु सरकार ने इसके लिए बजट में कोई भी अतिरिक्त प्रावधान नहीं किया है। इस बजट से अमीर और गरीब के बीच की खाई और अधिक बढ़ेगी तथा आम जनता का आर्थिक संकट और अधिक बढेगा।
केंद्रीय बजट में हिमाचल प्रदेश के हितों को पूर्ण रूप से अनदेखा किया गया है। इसमें प्रदेश को न तो कोई वित्तीय मदद दी गई है तथा न ही कोई नई परियोजना स्वीकृत की गई है।

संजय चौहान ने कहा कि जनता को उम्मीद थी कि केंद्र की सरकार इस वित्त वर्ष के बजट में प्रदेश के लिये रेलवे, सड़क व अन्य बुनयादी ढ़ाचे के क्षेत्र, पर्यटन तथा कृषि व बागवानी क्षेत्र के विकास में गति प्रदान करने के लिए नई परियोजनाओं का प्रावधान किया जाएगा परन्तु इस बजट में कोई भी घोषणा न होने से प्रदेश की जनता के हाथ निराशा ही लगी है।
प्रदेश सरकार पहले ही आर्थिक संकट से गुजर रही है तथा 65000 करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ तले दबी हुई है।

केंद्र से जो राज्यों को GST की क्षतिपूर्ति के लिए फण्ड मिलता था उसे भी इस वित्त वर्ष से बन्द कर दिया गया है। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा जून, 2022 से 2000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त कटौती कर दी जाएगी।

प्रदेश में पहले से ही चल रहे आर्थिक संकट के कारण विकास पर पूर्ण विराम लग गया है तथा सरकार कर्मचारियों व किसानों की देनदारियों को देने में भी विफल हो रही है।

इस बजट में केंद्र सरकार द्वारा खाद्य सब्सिडी में की गई भारी कटौती से भी प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली बुरी तरह से प्रभावित होगा और राशन की कीमतों में वृद्धि होगी। जिससे इस बढ़ती महंगाई से जूझ रही जनता पर और अधिक आर्थिक बोझ पड़ेगा।

मनरेगा के बजट में कोई वृद्धि नहीं की गई है तथा गत वर्ष मनरेगा पर खर्च से करीब 35 प्रतिशत की कटौती की गई है। इससे भी मनरेगा मजदूर का रोजगार बुरी तरह से प्रभावित होगा।
इस बजट में प्रदेश में रोजगार पैदा करने वाले पर्यटन तथा कृषि व बागवानी को पूर्ण रूप से नजरअंदाज किया गया है जिससे इन क्षेत्रों में संकट और अधिक बढ़ेगा। कृषि व बागवानी में खाद व अन्य लागत वस्तुओं में सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी में निरंतर कटौती से लागत कीमतों में वृद्धि से संकट बढ़ रहा है।

प्रदेश के बागवान केंद्र सरकार से लम्बे समय से सेब पर आयात शुल्क 100 प्रतिशत करने की मांग कर रहे हैं। परन्तु सरकार द्वारा इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस बजट में प्रदेश की जनता की पूर्ण रूप से अनदेखी की गई है और प्रदेश में बेरोजगारी, महंगाई व कृषि संकट और अधिक बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि इस बजट से स्पष्ट हो गया है कि अब प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन की सरकार केवल जुमला सरकार बन कर रह गई है।

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