IMG_20220716_192620
IMG_20220716_192620
previous arrow
next arrow

शिमला में जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए जुटे वैज्ञानिक व अफ़सर, एक जुलाई से सिंगल यूज़ प्लास्टिक बैन, जानें अब कौन सी आईटम होगी विलुप्त

एप्पल न्यूज़, शिमला
जलवायु परिवर्तन का मुद्दा वैश्विक चिंता का विषय हैै तथा पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु परिवर्तन के असमय बदलाव के लिए अत्यधिक संवेदनशील है, जो पर्वतीय पर्यावरण को प्रभावित करता है।

यह विचार हिमकोस्ट स्थित स्टेट जलवायु परिवर्तन केन्द्र शिमला तथा दिवेचा जलवायु परिवर्तन केन्द्र आईआईएससी बैंगलुरू द्वारा संयुक्त रूप से होटल होलीडे होम में आयोजित एक दिवसीय ‘जलवायु परिवर्तन एवं पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र पर नीति निर्माताओं एवं प्रशासन के उच्च अधिकारियों के लिए आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन के उपरांत अपने संबोधन में अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग हिमाचल प्रदेश प्रबोध सक्सेना ने व्यक्त किए।


उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को दर्शाने में पर्वतों की विशेष भूमिका होती है। हिमालय पारिस्थितिकी तंत्र मंे लगभग 51 मीलियन लोग पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि करते हैं और कृषि में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से प्रभावित होते हैं।
उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में तेजी से होने वाले विकास में पूरे हिमालय क्षेत्र के पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन केन्द्र की संकल्पना को पूरा करने और अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ, स्थिर और टिकाऊ वातावरण प्रदान करने के लिए कार्य करें। हिमाचल प्रदेश सरकार निश्चित रूप से भविष्य की योजनाओं और नीतियों के निर्माण में इस कार्यशाला के निर्णय एवं सुझावों से लाभान्वित होंगे।


उन्होंने कहा कि हम सभी इस दिशा में एक साथ काम करेंगे ताकि इस हिमालयी राज्य में बदलती जलवायु के लिए विभिन्न अनुकूलन और शमन रणनीतियों को विकसित करने के लिए एक विश्वसीनय वैज्ञानिक डेटाबेस तैयार करेंगे।
ललित जैन, निदेशक, पर्यावरण विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग हिमाचल प्रदेश तथा सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद हिमकोस्ट ने अपने संबोधन में कहा कि आज इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा होगा जो जलवायु परिवर्तन से अछुता हो।

इसमें विशेष तौर से कृषि पर अधिक प्रभाव पड़ रहा है, जिसके लिए हमें नई नीतियों को बनाने तथा प्रभावों में लाने की आवश्यकता है, जिससे हम जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम कर सके।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता प्रोफेसर अनिल कुलकर्णी, विशिष्ट वैज्ञानिक दिवेचा केन्द्र, इंडियन इंस्टीच्यूट आॅफ साइंस बेंगलोर ने बताया कि तापमान में 2.6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि, हिमाचल प्रदेश में सदी के अंत तक ग्लेशियर 79 प्रतिशत बर्फ खो देते हैं और तापमान में 4.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हिमाचल प्रदेश में सदी के अंत तक ग्लेशियर 87 प्रतिशत बर्फ खो दते हैं। 2050 में हिमनदों से अपवाह बढ़ेगा और फिर घटना शुरु होगा।
डाॅ. आर. कृष्णन, निदेशक भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान पुणे (महाराष्ट्र) तथा डाॅ. लाल सिंह, हिमालयन रिसर्च ग्रुप, शिमला ने भी जलवायु परिवर्तन मुद्दे पर अपने विचार रखें।
इस अवसर पर अपूर्व देवगन, सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण बोर्ड शिमला ने अपनी इजरायल यात्रा तथा वहां पर किए जा रहे जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष में अपने विचार साझा किए।
डाॅ. एस.एस. रंधावा, मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी, हिमकोस्ट शिमला ने हिमालयी बर्फ और गलेशियरों पर किए गए कार्यों पर अपने विचार साझा किए।

ये आईटम होगी बन्द

हिमाचल में आज से एकल उपयोग प्लास्टिक स्टिक में ईयरबड, गुब्बारे में लगी प्लास्टिक स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, कैंडी स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, सजावट में इस्तेमाल होने वाले पॉलीस्ट्रीन (थर्माकोल), कटलरी प्लेट, कप, चाकू, ट्रे, गिलास, फोर्क, स्ट्रॉ इत्यादि शामिल हैं। एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं का निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंधित लग गया है। 

Share from A4appleNews:

Next Post

ब्रेकिंग- काव बील मंदिर में देवता की 9 प्रतिमाएं और छड़ें चोरी, ग्रामीणों ने एक चोर को धर दबोचा, CCTV में वारदात कैद, जांच जारी

Fri Jul 1 , 2022
एप्पल न्यूज़, रामपुर बुशहरजिला शिमला के झाखडी थाना के तहत ग्राम पंचायत काव बील मंदिर में चोरों ने रात करीब 12:30 बजे चोरी की ग्घटना को अंजाम दिया। सारा वाकया मंदिर के गर्भगृह में लगे सीसीटीवी कैमरा में कैद हो गया।जानकारी के नौसर रात करीब 12:30 बजे चोर ने मंदिर […]

You May Like

Breaking News