जिन बेटियों से घर का काम नही होता। उनको कहीं पर भी जीवन में उचित सम्मान नही मिलता एक वकील साहब ने अपने बेटे का रिश्ता तय किया…. कुछ दिनों बाद, वकील साहब होने वाले समधी के घर गए तो देखा कि होने वाली समधन खाना बना रही थीं। सभी […]
\” पिता का अपनी संपत्ति पर फैसला \” सुबह- सुबह लान में टहलते हुए जगन्नाथ महापात्र के मन में द्वंद्व छिड़ा हुआ था. पत्नी के निधन के बाद वो सारा व्यापार बेटे को सौंपकर अपना समय किसी तरह घर के छोटे- छोटे कार्यों व पोते- पोती के साथ खेलने बतियाने […]
विभत्स हूँ… विभोर हूँ… मैं समाधी में ही चूर हूँ… *मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।* घनघोर अँधेरा ओढ़ के… मैं जन जीवन से दूर हूँ… श्मशान में हूँ नाचता… मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ… *मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।* साम – दाम […]