एप्पल न्यूज़, शिमला
कोविड-19 महामारी में रोकथाम और बचाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ को लेकर आज चर्चाओं का बाजार गर्म है, जिससे आम लोगों में असंतोष और डर पैदा हो रहा है, क्या यह वैक्सीन गलत थी या इसके साइड इफेक्ट्स से खून के थक्के जमने या थ्रोम्बस को लेकर काफी भ्रम है। यह ….
देश भर में लगे, विदेशों में भी भयभीत लोगों ने अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए तत्कालीन गाइडलाइन के अनुसार कोविशील्ड लगवाई और सुरक्षित महसूस किया।
संयोग है कि इस वैक्सीन पर असर हुआ या फिर भगवान की मेहरबानी हुई. कोविड-19 महामारी दुनिया भर में लाखों कीमती जिंदगियों से कम थी, जो इसकी निर्मम मौत को दर्शाती है!
दुनिया भर में जो कुछ भी हुआ बड़े-बड़े वैज्ञानिक, डॉक्टर, विचारक, जानकार सब देखते रह गए और दुनिया भर के लगभग सभी देश इस अभूतपूर्व वैश्विक महामारी की चपेट में आ गए, न कोई इंतजाम था, न कोई इलाज, न कोई इंतज़ाम यानी इतनी घातक महामारी, इसके लिए कोई तैयार नहीं था। !
यह पूरी मानवता के लिए ‘वज्रपात’ से कम नहीं था!
जब कई बार आई बीमारी फैलने की दहशत!
ऐतिहासिक लॉक डाउन हुआ,
मिलना जुलना बंद हो गया, हाथ मिलाना गले मिलना बंद हो गया, मास्क लगाए हुए थे, सैनिटाइजर का बेहिसाब इस्तेमाल हो रहा था, लोगों ने हाथ धोकर अपनी हस्तरेखाएं पोंछ लीं…
बसें, स्कूल, दफ्तर, ट्रेन, हवाई यात्राएं महीनों तक बंद रहीं लेकिन कोरोना फिर भी बेरहमी से फैला।
कोई इलाज नहीं था, बचाव के अनेक प्रयास किये गये, जागरूकता अभियान चला कर, कानून का डंडा चला कर, शाम दंड भेद करके!
इलाज और रोकथाम के नाम पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन नाम की दवा देश-विदेश में लोगों को खिलाई गई! इन गोलियों को लूट लिया गया, लोग इन कड़वी गोलियों को चने की तरह खिलाने लगे!
अमेरिका ने भी भारत से ली ये कड़वी दवा!
बाद में पता चला कि यह इस जानलेवा बीमारी में कारगर नहीं है!
विभिन्न प्रकार की झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ भी प्रचलन में थीं,
दुनिया भर में अस्पताल खुले, अस्थायी अस्पताल बने, बड़े-बड़े हॉल बनाए गए, धार्मिक संस्थानों को भी अस्पतालों में बदला गया,
आतंकित माहौल में ऑक्सीजन प्लांट, कंसंट्रेटर, वेंटिलेटर, पीपी किट, मास्क, ग्लब्स, नए स्टाफ, कर्मचारियों का प्रबंधन और सभी सिस्टम को सुचारु रूप से चलाना कोई आसान काम नहीं था!
बीच में कुछ महंगी दवाइयों के नाम भी हैं जैसे Renmdesivir… जिसके लिए दुनिया लड़ पड़ी… बाद में ये भी पता चला कि वो भी असरदार नहीं थी!
कोरोना ने जारी रखी अपनी क्रूर चाल, करता रहा अपना काम…
सरकार लगातार सतर्क रही, लगातार प्रयास किये गये!
असीमित व्यवस्था की गई!
दुनिया में कहीं जो नई खोज, नया इलाज आया, वही व्यवस्था यहाँ भी रातों-रात हो रही है!
अस्पतालों में, अस्पतालों के बाहर, डॉक्टरों ने अपनी जान पर खेलकर, अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारियों, सामाजिक संगठनों, समाज के हर वर्ग, सभी ने अपनी क्षमता के अनुसार दिन-रात अपनी सेवाएँ दीं।
बचाव टीके बाद में आए..
जब लोगों को डर लगता है, तो लोग खुद को सुरक्षित समझते हैं और ऐसा ही कर रहे हैं, क्योंकि जैसा कि मैंने शुरू में लिखा था, बीमारी खत्म हो गई है-
ये वैक्सीन का असर था या संयोग!!!
कुल मिलाकर यह वायरस कैसे आया, कैसे गया, कैसे कायम रहा, कौन गया, कौन ले गया– यह अभी भी प्रश्नचिह्न है!!!
चाहे कुछ भी हो जाए, अब टेंशन मत लेना…
डॉ. रमेश चंद
शिमला
Today the market of discussions about the vaccine ‘Covishield’ used for prevention and protection in the Covid-19 pandemic is hot today, creating dissatisfaction and fear among common people, was this vaccine wrong or its side effects very confusion about blood clotting or thrombus Is it ….
Engaged all over the country, fearful people abroad also installed and installed Covishield according to its then guidelines for the safety of themselves and loved ones and felt safe.
Coincidentally or this vaccine was affected or God has been merciful. The Covid-19 pandemic was less than millions of precious lives around the world, showing its heartless death!
Whatever happened worldwide big scientists, doctors, thinkers, knowledgeable all kept watching and almost all countries all over the world were griped by this unprecedented global pandemic, there was no arrangements, no cure, no arrangements means such a deadly epidemic Nobody was ready for it!
It was no less than ‘thunderstorm’ for all humanity!
When the panic of disease spread came to many times!
Historic lock down occurred,
Matching stopped, handshaking hugging stopped, masks were on, sanitizer was used unlimitedly, people wiped their palm lines by washing their hands…
Buses, schools, offices, trains, air travels were stopped for months but Corona still spread mercilessly.
There was no cure, many efforts were taken to defend, by conducting awareness campaign, by running the stick of the law, by evening penalty discrimination!
Hydroxy chloroquine named in the name of treatment and prevention fed people, both in the country and abroad! These bullets were looted, people started feeding these bitter bullets like gram!
America also took this bitter medicine from India!
Later found out it is not effective in this deadly disease!
Different types of shrubs, herbs were also trended,
Hospitals all over the world opened, make shift hospitals built, big halls, religious institutions also converted to hospitals,
Managing oxygen plants, concentrators, ventilators, pp kits, masks, glubs, new staff, employees and running all system smoothly in a terrorized environment was not an easy task!
In the middle, some expensive medicines also have names like Renmdeshivir … For whom the world fought… Later it also came to know it wasn’t effective either!
Corona continued its cruel trick, continued doing its job …
The government was constantly alert, continuous efforts were made!
Unlimited arrangements made !
Whatever new discovery new treatment came somewhere in the world, the same arrangements are being made overnight here too!
In hospitals, outside hospitals, doctors played on their lives, staff working in hospitals, social organizations, every class of society, all provided their services day and night according to their capacity.
Rescue vaccines came later.. When people feel scared, people thought themselves safe and so are, because as I wrote initially, the disease has ended-
Was it the effect of vaccine or coincidence!!!
Overall how this virus came, how it went, how it holded, who left, who took away– it is still a question mark!!!
Whatever happens, don’t be tensed anymore…
With Thanks
Dr. Ramesh Chand
Ex Dy Director Health Dept. Himachal Pradedh
Shimla