एप्पल न्यूज़, शिमला
न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार ’हर क्रिया के समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। ‘To every action there is always equal and opposite reaction’. यह नियम सभी अवस्थाओं में यूनिवर्सली सही है। न्यूटन ने यह नियम अपनी पुस्तक प्रिंसीपिया में 1686 में दिया था। यह नियम 334 वर्ष पुराना है और दुनिया के 7.8 बिलियन या अरब लोग इसे सही मानते है। फिर भी इस फडामैटल नियम को थियोरेटिकली संशोधित किया गया है।
थियोरेटिकल संशोधन की वजह यह है कि यह नियम वस्तु के आकार जैसे गोल, अर्धगोल, छतरीनुमा, त्रिभुज, शकु, फलैट अनियमित आकार आदि की अनदेखी करता है। आज तक वैज्ञानिको ने वस्तु के आकार के प्रभाव को जानने के लिए प्रयोग किए ही नहीं हैं। पर तीसरे नियम को आकार के संबध में इसलिए सही माना जा रहा है क्योकि यह दूसरे अप्लिकेशन्स पर खरा उतरा है और पिछले 334 वर्षो से पूरी दुनिया में पढ़ाया जा रहा है.
नये सुझाए गये प्रयोग न्यूटन के तीसरे नियम के अनुप्रयोगो या अप्लिकेशन्स पर आधारित है। नियम के इन अप्लिकेशन्स के बारे में वैज्ञानिक सोचते ही नहीं हैं। अगर नये सुझाए गये प्रयोग सफल भी होते है तो न्यूटन का नियम एक विशेष टॉपिक पर ही संशोधित होगा । बाकी जहाँ इसे सदियों से ठीक समझा जा रहा है वहाँ इस के स्थापित या एस्टॅब्लिश्ड स्टेटस पर कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा।
इन प्रयोगों से नियम की समझ में नयी addition या वृद्धि होगी. दुनिया के कई जाने माने वैज्ञानिक इन मौलिक प्रयोगों को करने की सलाह दे चुके हैं । वैज्ञानिक जगत इन मौलिक प्रयोगों को तर्क संगत मानता है। पर संशोधन की अन्तिम मान्यता के लिए कुछ प्रयोग अभी होने है।
2018 में वाशिगटन D.C. America में अमेरिकन एसोसिएसन आफ फिजिक्स टीचर्ज कान्फरैंस में एक अमरीकी साइटिस्ट ने कहा था कि अजय यदि आपके ये प्रयोग सफल होते है तो भारत नोबेल प्राइज का हकदार होगा। इन प्रयोगो पर लगभग 10-12 लाख रूपये खर्च होंगे। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से विनम्र प्रार्थना है कि मुझे प्रयोगो की सुविधाए उपलब्ध करवाई जाए।
अगर किसी को भी मेरे रिसर्च पेपरज की वेलिडिटी पर शक हो तो मैं किसी भी वैज्ञानिक संस्था के सामने वीडियो रिकारडिड सेमिनार के लिए तैयार हूँ। वैज्ञानिको की रिपोर्ट्स और कोमेंट्स मेरे पास सबूत के तौर पर मेरे पास मौजूद हैं
नासा के वैज्ञानिको ने भी न्यूटन का तीसरा नियम प्रथम चरण के प्रयोगों में भी सही नहीं पाया है।
वैज्ञानिक न्यूटन के नियम के फेल होने की बात दूसरे ढंग से भी कर रहे हैं .पहले हम नासा की हाऊस्टन स्थित जानसन स्पेस सैन्टर की इगलवर्क्स लैबोरेटरी के वैज्ञानिको की रिसर्च के बारे में जानना चाहेगे। इन प्रयोगो में भी न्यूटन का तीसरा नियम गलत साबित हुआ है। ये प्रयोग EM Drive नामक यंत्र में हुए और राकेट लांचिग से सम्बधित है। यह रिसर्च पेपर 2017 जरनल ओफ प्रोपलसन एंड पावर में प्रकाशित हुआ है। लाख आलोचनाओ के बावजूद दुनिया भर के वैज्ञानिक इस शोध को गलत साबित नहीं कर सके है। इस संबंध में आगे जाँच जारी है।
न्यूटन की खामी को दर्शाने का दूसरा तरीका; वस्तु के आकार पर आधारित प्रयोग
न्यूटन के आधारभूत या फंडामैन्टल नियम का संशोधन क्यों होना चाहिए? इसका सीधा और स्पष्ट जवाब है कि यह नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। मान लो हमारे पास 1 किलो ग्राम भार की रबड़ की वस्तुए है। ये वस्तुए गोल, अर्धगोल, छतरीनुमा, त्रिभुज, शंकु, स्पाट या फलैट, अनियमित आकार या irregular shape की हो सकती है। जब 1किलो ग्राम रबड़ की भिन्न भिन्न आकारों की वस्तुयें ज़मीन पर गिरती हैं तो सभी पर समान ग्रेविटेशनल फोरस (mass x acceleration due to gravity) 9.8 न्यूटन के बराबर लगता है। यह फोर्स क्रिया या action कहलाता है। न्यूटन ने क्रिया को फोर्स से denote किया है जो गुरुत्व का फोर्स है।
जब वस्तुएं फर्श पर टकराती हैं तो action और reaction बराबर युगलो या equal pairs में लगते है. सभी वस्तुओं की action 9.8 न्यूटन है और न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार reaction भी 9.8 न्यूटन ही होगी. प्रतिक्रिया या reaction की दिशा क्रिया से विपरीत होगी । रबड़ की गोल गेंद तो फर्श से टकरा कर 1 मीटर की उँचाई तक आ सकती है. इस तरह गोल गेंद के संबंध में क्रिया और प्रतिक्रिया दोनों 9.8 न्यूटन अर्थात बराबर हैं । यहाँ हम समझते है, Action = -Reaction या क्रिया = – प्रतिक्रिया; और न्यूटन का नियम सही है।
पर भिन्न-2 आकार की वस्तुएं 1 मीटर से कम ऊंचाई तक उछलती है। इस का मतलब प्रतिक्रिया, क्रिया से कम है अर्थात 9.8 न्यूटन से कम है। इन स्थितियों में न्यूटन का तीसरा नियम फेल होता है। पाठ्यपुस्तकों में इस तरह के उदाहरण डिस्कस ही नहीं किए जाते हैं। यह न्यूटन के नियम के लिए कड़वा सच है । अगर भिन्न -2 आकार के वस्तुओं के लिए प्रतिक्रिया 9.8N के बराबर होती; तो वे भी गोल गेंद की तरह 1 मीटर की उँचाई तक उपर विपरीत दिशा में उछलती. इस तरह अभी तक 334 वर्ष पुराने नियम को वस्तुओं के आकार संबंध मे समझा ही नहीं गया है.
वस्तुओं के आकार पर आधारित नियम में संशोधन
संशोधित नियम के अनुसार क्रिया और प्रतिक्रिया सभी अवस्थाओं में बराबर नही बल्कि समानुपात मे होते है। Action and reaction are proportional to each other . इस तरह क्रिया और प्रतिक्रिया की बराबरी यूनिवर्सल नहीं है। जब हम समानुपात के चिन्ह या sign of proportionality को हटाते है तो एक कोफिसियन्ट समीकरण या equation में आ जाता है। यह कोफिसियन्ट वस्तु के आकार और अन्य प्रोपरटीज को account for करता है। जिनकी न्यूटन का नियम अनदेखी करता है।
गोल गेंद के लिए कोफिसियन्ट की वॅल्यू 1 के बराबर होती है और अलग अलग आकार की वस्तुओं के लिये कोफिसियन्ट की वॅल्यू 1 से कम है। एग्जेक्ट वॅल्यू प्रयोगो द्वारा मापी जा सकती है.
इस तरह संशोधित नियम के अनुसार क्रिया, प्रतिक्रिया से कम, ज़्यादा या बराबर भी हो सकती है । संशोधित नियम संपूर्ण नियम है और न्यूटन का नियम उसकी विशेष अवस्था है । इस रिसर्च का महत्व collisions की स्टडी पर भी है, वहाँ भी वस्तु के आकार और अन्य प्रॉपर्टीज की अनदेखी की जाती है ।
अन्य वैज्ञानिको की राय
सन 2000 में यानी 20 वर्ष पहले मैने न्यूटन के तीसरे नियम को संशोधित करने वाला पहला रिसर्च पेपर ‘एक्टा सिनेसिया इडिका’ नामक रिसर्च जर्नल में छपवाया था। 2016 में मेरा महत्वपूर्ण शोधपत्र कनाडा के रिसर्च जरनल ‘फिजिक्स ऐसेज’ में छपा था। पर इस रिसर्च को नई दिशा 2018 में मिली, जब मैंने इसे वाशिगटन D.C. अमेरिका की कान्फरैस में प्रस्तुत किया। 22 अगस्त 2018 की रिपोर्ट में अमेरिकन एसोसिएसन आफ फिजिक्स टीचर्ज के प्रैजीडैंट प्रोफैसर गौरडन पी रामसे (लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो) ने लिखा कि वस्तु के आकार पर आधारित अजय शर्मा द्वारा सुझाये गए प्रयोगो से न्यूटन का नियम गलत साबित हो सकता है। 2019 में CSIR की National Physical Laboratory, New Delhi के निदेशक एवं वैज्ञानिको ने भी प्रयोगो को मौलिक बताया है और आर्थिक सहायता के लिए डिटेल्ड प्रौजैक्ट भेजने को कहा है। इससे पहले इटरनैशनल जरनलज ’ करन्ट सांइस’ और ’ फाऊडेसनज आफ फिजिक्स’ के एडिटरज ने भी प्रयोगो की बात की है। 107 वीं इंडियन साइंस काग्रेस 2020 जो बगलौर में हुई, उस की प्रॉसीडींगज में भी मेरी शोध छपी है।
भारत सरकार से प्रार्थना
मैने 1983 में BSc और 1985 में MSc (physics) फस्र्ट डिविजन में पास की । टीचिग कैरियर 1985 में DAV College चंडीगढ से शुरू किया और हिमाचल में भी वर्षो तक फिजिक्स पढ़ाई । इस समय मै शिमला में Deputy District Education Officer की पोस्ट पर कार्यरत हूं। मेरे पास न कोई लैबोरेटरी है, न ही मेरे पास Phd की डिग्री है। इस तरह मैं फंडिग के लिए CSIR, DST को प्रोजैक्ट भेजने को कवालीफाई ही नही करता हूँ। पर मैने वर्षों की मेहनत के बाद जो रिसर्च की है वो किसी के पास नहीं है . उस से भारत का नाम दुनिया में नयी उँचाइयो को छुएगा और 135 करोड़ हिंदुस्तानियों के लिए फखर की बात होगी.
अतः मेरी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, सांइस एंड टैक्नोलोजी मंत्री डा. हर्ष वर्धन, मुख्य मंत्री श्री जय राम ठाकुर सांसद एव अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा केन्द्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर, शिक्षा मंत्री श्री सुरेश भारद्धाज से प्रार्थना है कि मुझे प्रयोगशाला की सुविधाए उपलब्ध करवाई जाए। ताकि मै न्यूटन के तीसरे नियम की खामियो को आकार पर आधारित प्रयोगो द्वारा दर्शा सकूं। इन प्रयोगो पर लगभग 10-12 लाख रूपया खर्च आएगा। 1 अगस्त 2018 को वाशिगटन कान्फरैस में एक अमेरीकी वैज्ञानिक ने प्रैजेनटेसन के दौरान कहा था कि अजय यदि आप न्यूटन के नियम की खामी को प्रयोगो द्वारा सिद्ध करते हैं तो भारत नोबेल प्राइज का हकदार होगा।
लेखक
Ajay Sharma, scientist
Shimla
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