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ऊना जिला के थानाकलां में बनेगा प्रदेश का पहला गोकुल ग्राम, 500 गायों को मिलेगा आश्रय

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एप्पल न्यूज़, शिमला

राष्ट्रीय गोकुल ग्राम के अन्तर्गत ऊना जिला के थानाकलां में हिमाचल प्रदेश का पहला कोगुल ग्राम स्थापित किया जाएगा। यह गोकुल ग्राम 15-01-70 हेक्टेयर भूमि पर स्थापित किया जाएगा जो वर्तमान में गौ सेवा आयोग के स्वामित्व में है। यहां गैर- उत्पादक पशुओं के लिए पशु अभ्यारण्य भी स्थापित किया जाएगा।

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पशुपालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने यह जानकारी देते हुए कहा कि भारत सरकार ने इस परियोजना के अन्तर्गत 995.1 लाख रुपये स्वीकृत किए हैं, जिसमें से 778.64 लाख रुपये जारी हो चुके हैं। इस परियोजना का कार्यन्वयन हिमाचल प्रदेश पशुधन और कुकुट विकास बोर्ड (एचपीएलपीडीबी) द्वारा किया जाएगा। गोकुल ग्राम की स्थापना एचपलएलपीडीबी द्वारा राज्य पशुपालन विभाग के सहयोग से की जाएगी।
वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि गोकुल ग्राम में रैड सिंधी, साहीवाल, थारपारकर, गिर  जैसी विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश की देशी नस्ल की 500 गाय रखने की क्षमता होगी। देसी नस्ल के पशुओं की खरीद का अनुपात प्रजनन और उपलब्धता के आधार पर तय किया जाएगा। क्राॅसब्रीडिंग से प्रजनन न करवाकर संबंधित प्रजाति के उन्नत किस्म के वीर्य से प्रजनन करवाया जाएगा ताकि प्रजाति में शुद्धता बनी रहे। गोकुल ग्राम में क्वारंटीन शैड्स भी उपलब्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि दवाई निर्माताओं को आसवन किया गौमूत्र बेचा जाएगा। गुरू ग्राम में गाय के गोबर से बने अभिनव उत्पाद जैसे हाथ से बने कागज, मच्छर भगाने की दवाई, गर्मी प्रतिरोधी छत की टाइलें, सूखा और तेल बाध्य डिस्टेंपर, गमले इत्यादि के निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा। गौमूत्र को जैव कीटनाशक और जैव उर्वरकों में परिवर्तित किया जाएगा और गोकुल ग्राम में भी इस का उपायोग किया जाएगा। घरेलू बाजारों में भी इसकी बिक्री की जाएगी।
वीरेंद्र कवंर ने कहा कि भूमि की उर्वरता के सुधार के लिए जैविक-खाद बनाई जाएगी। गोकुल ग्राम के उपयोग के लिए बायोगैस से बिजली उत्पादन के लिए बायोगैस संयंत्र स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एचपीएल और पीडीबी से उच्च अनुवांशिक किस्म के पशु खरीदे जाएंगे। राष्ट्रीय गोकुल ग्राम के अन्तर्गत देश में देसी नस्ल के पशुओं के विकास, संरक्षण और प्रसार के उद्देश्य से गोकुल ग्राम की स्थापना की जा रही है।
पशुपालन मंत्री ने कहा कि गोकुल ग्राम को वैज्ञानिक संसाधन प्रबंधन, व्यावसायिक फार्म और विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से आत्मनिर्भर इकाई बनाया जाएगा।

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