एप्पल न्यूज, ब्यूरो
2025 के हेनले पासपोर्ट इंडेक्स ने एक बार फिर वैश्विक पासपोर्ट की ताकत का आकलन प्रस्तुत किया है। इस वर्ष, भारत की पासपोर्ट रैंकिंग में गिरावट देखी गई है, और यह पांच स्थान नीचे आकर 85वें पायदान पर पहुंच गया है।
भारतीय पासपोर्ट धारकों को वर्तमान में 57 देशों में वीजा-मुक्त यात्रा की अनुमति है। यह रैंकिंग भारत के लिए एक चेतावनी है कि वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा बढ़ाने और वैश्विक कनेक्टिविटी में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत की स्थिति
पिछले वर्ष भारत 80वें स्थान पर था, लेकिन इस बार की गिरावट इसे इक्वेटोरियल गिनी और नाइजर जैसे देशों के साथ खड़ा करती है।
भारतीय पासपोर्ट पर वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा देने वाले देशों की संख्या स्थिर बनी हुई है, जबकि कई अन्य देश अपने पासपोर्ट की ताकत को बढ़ाने में सक्षम रहे हैं।
भारत की यह गिरावट उन नीतियों और कूटनीतिक प्रयासों की ओर इशारा करती है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी स्थिति मजबूत करने के लिए अपर्याप्त साबित हो रही हैं।
सिंगापुर और अन्य देशों की उपलब्धि
सिंगापुर लगातार दूसरे वर्ष दुनिया का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट रखने वाला देश बना हुआ है। इसके नागरिक 195 देशों में वीजा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं।
सिंगापुर की यह सफलता उसके कुशल कूटनीतिक प्रयासों, मजबूत वैश्विक साझेदारी और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी को दर्शाती है।
जापान, जिसने लंबे समय तक पासपोर्ट रैंकिंग में शीर्ष स्थान बनाए रखा था, अब दूसरे स्थान पर खिसक गया है। जापानी पासपोर्ट धारक 193 देशों में वीजा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं।
अमेरिका, जो 2015 में दूसरे स्थान पर था, अब नौवें स्थान पर आ गया है। यह गिरावट दिखाती है कि राजनीतिक और राजनयिक स्थिरता पासपोर्ट की ताकत को सीधे प्रभावित करती है।
पाकिस्तान की स्थिति
भारत की तुलना में पाकिस्तान की स्थिति अधिक खराब है। 2025 में पाकिस्तान 103वें स्थान पर है। इसका मतलब है कि पाकिस्तान के नागरिकों को वीजा-मुक्त यात्रा के लिए बहुत सीमित अवसर उपलब्ध हैं।
यह भारत के लिए एक राहत हो सकती है, लेकिन वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत को और बेहतर करने की आवश्यकता है।
चुनौतियां और समाधान
भारत के लिए यह गिरावट केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है। वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा किसी देश की वैश्विक कनेक्टिविटी, राजनयिक संबंधों और अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव डालती है। भारत को निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है:
- कूटनीतिक प्रयास: अधिक देशों के साथ वीजा छूट समझौते करना।
- आर्थिक संबंध: व्यापार और निवेश को बढ़ावा देकर अन्य देशों के साथ मजबूत आर्थिक संबंध बनाना।
- आव्रजन सुधार: आव्रजन प्रणाली को बेहतर बनाना और अपने नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए अधिक अवसर प्रदान करना।
- इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार: हवाई अड्डों और यात्रा से जुड़े बुनियादी ढांचे में सुधार करके यात्रा अनुभव को बेहतर बनाना।
निष्कर्ष
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स की रैंकिंग न केवल यात्रा की स्वतंत्रता का मापदंड है, बल्कि यह देश की वैश्विक स्थिति, आर्थिक स्थिरता और कूटनीतिक शक्ति का प्रतिबिंब भी है।
भारत को अपनी वैश्विक पहुंच बढ़ाने और वीजा-मुक्त यात्रा के लिए और अधिक देशों के साथ संबंध सुधारने की दिशा में कार्य करना चाहिए। इससे भारतीय नागरिकों को अधिक अवसर मिलेंगे और भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी।