एप्पल न्यूज़, शिमला
क्रोए शियन -21वीं सदी के गैजेट या आर्टिफिशल इंटेलिजेंस चाहे कितना भी आनंद और व्यवस्था प्रदान करें, कोई भी चीज़ वास्तव में मानव संचार की जगह नहीं ले सकती…
दिनांक 19 व 20 जुलाई 2024 को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में क्रोएशियाई नाटक “द डॉल’ का मंचन किया गया। यह आयोजन भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान संकल्प रंगमंडल शिमला द्वारा किया गया।
इस नाटक का मूल आलेख अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नाटककार मौरी गावरान ने लिखा है जबकि इसका नाट्य रूपानतरण जयपुर के सौरभ श्रीवास्तव ने किया है।
इस नाटक में मुख्य भूमिका में रूपेश भीमटा ने निभाई है जो पिछले 28 वर्षों से रंगमंच और सिनेमा में लगातार सक्रिय है।
माया, द डॉल की मुख्य भूमिका येशवी भारद्वाज ने निभाई जो मिस आर के ऐम वी 2024 भी रह चुकी हैं और मुख्य धारा के व्यवसायिक रंगमंच में यह इनका पहला ही नाटक है जो पूर्णतया चुनौती पूर्ण है, संगीत रोहित कंवल ने दिया जबकि सेट डिजाइन दीपिका राय ने किया।
मंच के पीछे अनुभवी अभिनेता अनिल शर्मा, अमित रोहली और राखी का विशेष योगदान रहा। नाटक का निर्देशन उत्तर भारत के प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक केदार ठाकुर ने किया।
नाटक कि विषयवस्तु
रिश्ते कभी आसान नहीं रहे. हजारों साल पहले एक आदमी को एक औरत के बारे में जो बात भ्रमित करती थी, वह आज भी करती है। महिलाएं सदियों से पुरुषों के कुछ विशेष लक्षणों के बारे में शिकायत करती रही हैं।
दुनिया ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी, जीव विज्ञान और चिकित्सा में विकास के मामले में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है लेकिन कोई भी तकनीक एक पुरुष और एक महिला के बीच के जटिल रिश्ते को हल नहीं कर सकती है।
नवीनतम नाटक द डॉल एक आदमी और एक औरत के बीच इसी जटिल रिश्ते से संबंधित है।
क्रोएशियाई लेखक मिरी गाव्रान के प्रसिद्ध नाटक पर आधारित, द डॉल प्रकृति के इन दो अत्यंत महत्वपूर्ण घटकों के मनःस्थिति पर प्रकाश डालता है।
पुरस्कार विजेता क्रोएशियाई नाटककार मिरो गैवरन ने कनेक्शन की हमारी आवश्यकता की इस मार्मिक और चंचल खोज को लिखा है।
जब रुद्र की प्रेमिका 7 साल बाद उसे छोड़ देती है, तो वह अकेलेपन से उकता कर अपने साथी के रूप में आर्टिफिशल इंटेलीजेंस में बिलकुल नवीनतम – एक एंड्रॉइड डॉल का परीक्षण करने का मौका पाने के लिए साइनअप करता है।
सुंदर, स्मार्ट और एक आदर्श सेक्स पार्टनर, डॉल एक आदर्श समाधान है। जिस क्षण से वह उसकी ज़िन्दगी में आती है। माया, द डॉल उसे सिखाती रहती है कि “कृत्रिम बुद्धि” (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) की अपार सुविधाओं के बावजूद भी मनुष्य एक वास्तविक साथी के साथ न होने से जीवन में कितना अकेला है।
क्रोएशिया के प्रमुख नाटककारों में से एक की यह चंचल कॉमेडी हमें दिखाती है कि हमारे 21 वीं सदी के गैजेट चाहे कितना भी आनंद और व्यवस्था प्रदान करें, कोई भी चीज वास्तव में मानव संचार की जगह नहीं ले सकती।
नाटक का सारांश
नाटक द डॉल एक 39 वर्षीय व्यक्ति की कहानी है जिसकी प्रेमिका छह साल के लिवइन रिश्ते के बाद उसे छोड़ देती है क्योंकि वह अपनी शादी और बच्चे के प्रति उसकी अनिच्छा के कारण उसे छोड़ देती है।
अकेला रह जाने पर, वह अकेलापन सहन नहीं कर पाता और कुछ महीनों के बाद एक महिला एंड्राइड डॉल के साथ रहना शुरू कर देता है, जिसे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से पुरुषों को खुश करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और एकदम नवीनतम एंड्रॉइड है।
लेकिन एंड्रॉइड का निर्माण एक महिला वैज्ञानिक द्वारा किया गया था, जिसने एंड्रॉइड को पुरुष-महिला संबंधों पर अपने कुछ विचार दिए, ताकि इस अकेले आदमी और “डॉल” द्वारा झेली गई चंचल और हास्यसपद स्थितियों के माध्यम से, दर्शकों को सार दिखाई दे।
महिलाओं के प्रति गलत व्यवहार और आज के पुरुषों द्वारा उनके बारे में गलत समझा एक “डॉल” के साथ रहते हुए, आदमी को धीरे-धीरे उन गलतियों का एहसास हुआ जिनके लिए उसकी प्रेमिका ने उसे छोड़ दिया था।
इस नाटक का प्रीमियर जून 2012 में न्यूयॉर्क, यूएसए में स्टोफ्रंट और बेंच प्रोडक्शंस में किया गया था। अंग्रेजी, जर्मन, पोलिश, चेक, स्लोवेनियाई, रूसी, स्लोवाक, डेनिश, डच, स्पेनिश और अल्बानियाई में अनुवादिता
यह नाटक संयुक्त राज्य अमेरिका, क्रोएशिया, स्लोवाकिया, चेक गणराज्य, स्लोवेनिया, डेनमार्क, क्यूचा, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया के 15 थिएटरों में प्रदर्शित किया गया है और अब ये भारत में भी हो रहा है जिसे उत्तर शैली के नाटक के रूप में शिमला में पहली बार प्रस्तुत किया जा रहा है।
निष्कर्ष
गावरान के नाटकों की परिधि बहुत विस्तृत है। उनके कुछ नाटकों में समकालीन समय के ऐसे विषय हैं जो पचास वा सौ साल के पहले के नाटककारों में नहीं हो सकते हैं।
जैसे साइबार तकनीक के विकास के कारण हमारा समग्र पचास- साठ साल पहले की तुलना में काफी बदल गया है।
रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धि) ने वैश्विक स्तर पर आम से लेकर विशिष्ट जनों के जीवन में ऐसा हस्तक्षेप किया है कि लोगों के समझ में नहीं आ रहा है कि आगे क्या होगा या क्या हो रहा है?
ऐसे में कई आशंकाएं भी हैं, भय भी। पर साथ ही कुछ ठोस परिस्थितियां भी हैं जिनका हमारी जटिल भावनाओं से एक पेचीदा रिश्ता बन रहा है।
भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश एवं संकल्प रंगमंडल शिमला के संयुक्त तत्वावधान में इसी नाटक के 12 और प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों में जल्दी ही करेगी और उसके बाद इस नाटक को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश के बाहर भी प्रस्तुत किया जाएगा।