एप्पल न्यूज़, शिमला
संयुक्त कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान,महासचिव हीरालाल वर्मा,वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद कुमार, वनिता सकलानी, सुनील जर्याल, उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र डोकरा,मानसिंह ठाकुर, विमल शेखरी,एलडी चौहान,गीता राम,वीरेंद्र जिंटू, दिनेश शर्मा,गगन कपूर,डॉ नितिन व्यास,आशा कुमार,बलदेव ठाकुर,यशवंत कंवर,डिप्टी जनरल सेक्रेटरी तिलक नायक,प्रकाश बादल,अरविंद मेहता,जॉइंट सेक्रेटरी संतोष कुमार,अनिल कुमार,ताराचंद,हरि सिंह चौधरी,राजेश शर्मा,हेमचंद शर्मा,वित्त सचिव खेर्मेंद्र गुप्ता, मुख्य संगठन सचिव कामेश्वर शर्मा,मुख्य सलाहकार नरेश कुमार शर्मा, ऑडिटर रविंद्र कंवर, प्रेस सचिव भूपेश शर्मा,पैटर्न गोविंद चित्रांटा,कुलदीप खरवाड़ा,रोशन लाल कपूर, अरुण गुलरिया,राजेंद्र ठाकुर आदि महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि इस तरह के विधेयक को लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
यदि विधेयक लाया ही गया है तो इसमें ऐसे प्रावधान होने चाहिए थे जिससे कर्मचारियों के हितों कि रक्षा कि जा सके न कि इसके विपरीत हो।

महासंघ ने मांग कि है कि सरकार को इसे पुनः जांचना चाहिए ओर इसमें मुख्यतः ये प्रावधान होने की मांग भी महासंघ द्वारा कि गई।
कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा की जाये। महासंघ ने कहा कि विधेयक में ऐसे प्रावधान नहीं होने चाहिए जो कर्मचारियों की सेवा शर्तों और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाएं।
मौजूदा कर्मचारियों के लिए पहले से तय शर्तों को बदला न जाए।
महासंघ ने मांग की है कि भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए।
सभी भर्तियां लोक सेवा आयोग ओर सिलेक्शन बोर्ड के माध्यम से हो आगे के लिए अनुबंध प्रणाली और अस्थायी नौकरियों के प्रावधान को खत्म किया जाए।
महासंघ ने सेवा के दौरान कर्मचारियों के लिए बेहतर सुविधाएं, जैसे प्रोमोशन, ट्रांसफर नीति और रिटायरमेंट लाभ में सुधार की मांग की।
पुनः चर्चा और समीक्षा
विधेयक को लागू करने से पहले कर्मचारियों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों के साथ चर्चा की जाए।
सरकार की भूमिका:
संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने उम्मीद जताई है कि सरकार उनकी मांगों पर विचार करेगी और कर्मचारियों की समस्याओं को हल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाएगी।
सरकार के लिए सुझाव:
कर्मचारी संगठनों के साथ नियमित संवाद स्थापित करें।
विधेयक को पारदर्शिता और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए संशोधित करें।
कर्मचारियों के विश्वास को मजबूत करने के लिए ठोस निर्णय लें।
यह मुद्दा हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है, और सरकार को इसे ध्यानपूर्वक हल करना चाहिए।
महासंघ ने यह भी सुझाव दिया की जो व्यवस्था माननीय न्यायालय द्वारा कर्मचारियों के पक्ष मे दी है उस संवेधानिक व्यवस्था को यथावत रहने दिया जाये उसके साथ कोई छेड़छाड़ न की जाये।