हिमाचल विधानसभा में “शून्यकाल” की शुरुआत, अनुराधा राणा ने उठाया “पहला मामला”, जानें क्या है “शून्यकाल”…!

एप्पल न्यूज, धर्मशाला

हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए शून्यकाल की शुरुआत की। यह व्यवस्था लोकसभा की तर्ज पर बनाई गई है, जिसमें विधायकों को बिना किसी पूर्व सूचना के अपने क्षेत्रों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने का अवसर मिलता है।

यह कदम न केवल विधानसभा की कार्यप्रणाली में एक नई परंपरा जोड़ता है, बल्कि विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का मंच भी प्रदान करता है।

शून्यकाल के पहले दिन उठाए गए मुद्दों ने प्रदेश की जमीनी समस्याओं पर सरकार का ध्यान केंद्रित किया।

शून्यकाल का पहला मामला

लाहौल-स्पीति की विधायक अनुराधा राणा को शून्यकाल में पहला मामला उठाने का अवसर मिला। उन्होंने मनाली के पास डोहलूनाला और टकोली में लगे टोल टैक्स बैरियर की समस्या पर बात की।

अनुराधा ने कहा कि इन दोनों बैरियरों के बीच की दूरी 50 किलोमीटर है, जबकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पहले घोषणा की थी कि 60 किलोमीटर से कम की दूरी पर दूसरा टोल बैरियर नहीं लगाया जाएगा।

उन्होंने इसे स्थानीय जनता पर अनावश्यक वित्तीय भार बताया और मांग की कि इस समस्या का समाधान किया जाए।

लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस मुद्दे पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय और राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के समक्ष मामले को उठाने का आश्वासन दिया।

गद्दी समुदाय की समस्याएं

भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज ने गद्दी समुदाय से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरकार के उदासीन रवैये के कारण गद्दी समुदाय के लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। पलायन के दौरान भेड़ों की चोरी और चारागाहों पर अवैध कब्जे बड़ी समस्याएं बन चुकी हैं। उन्होंने इस व्यवसाय को बचाने के लिए ऊन खरीदने की व्यवस्था और चरागाहों की सुरक्षा की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन समस्याओं को हल करने के लिए सरकार जरूरी कदम उठाएगी, ताकि गद्दी समुदाय को राहत मिल सके।

फोरलेन निर्माण से प्रभावित किसान

पठानकोट-मनाली नेशनल हाईवे के निर्माण से जुड़ी समस्याओं को विधायक केवल पठानिया ने उठाया। उन्होंने कहा कि हाईवे के निर्माण के कारण 22 कूहलें (नहरें) क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे किसान अपनी जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। इसके साथ ही स्थानीय पेयजल योजनाएं और हैंडपंप भी प्रभावित हुए हैं। उन्होंने प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की।

बादल फटने से हुए नुकसान

भाजपा विधायक सुखराम चौधरी ने बादल फटने की घटना से किसानों और आम जनता को हुए नुकसान का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि 25-26 सितंबर को उनके क्षेत्र में हुई घटना के कारण सैकड़ों बीघा जमीन और पुलों को नुकसान हुआ है। उन्होंने शिकायत की कि अब तक कोई भी अधिकारी इस क्षेत्र का दौरा करने नहीं आया और प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की मांग की।

स्वतंत्रता सेनानी स्मारक निर्माण

धर्मशाला के कांग्रेस विधायक संजय रतन ने धर्मशाला के दाड़ी क्षेत्र में स्वतंत्रता सेनानी स्मारक बनाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि करीब 10 साल पहले इस स्मारक की नींव रखी गई थी, लेकिन इसके निर्माण पर कोई प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने इस स्मारक को बनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि आने वाली पीढ़ियां स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को याद रख सकें।

नई पंचायतों का गठन

ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने नई पंचायतों के गठन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पंचायतों के गठन का प्रस्ताव डीसी या विधायक सीधे भेज सकते हैं, लेकिन इसके लिए वित्तीय बोझ और अन्य कारकों को ध्यान में रखना आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि जनसंख्या के आधार पर पंचायतों का गठन होना चाहिए।

भू-जल दोहन और उद्योगों पर कार्रवाई

उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भू-जल दोहन के मुद्दे पर गंभीरता दिखाई। उन्होंने कहा कि नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में भू-जल का अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है और एमओयू का उल्लंघन करने वाले उद्योगों पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही भू-जल स्तर बनाए रखने के लिए इसके पुनर्भरण (रिचार्ज) की व्यवस्था की जाएगी।

नई परंपरा की शुरुआत

विधानसभा में शून्यकाल की व्यवस्था शुरू करने के लिए उप मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों ने विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह परंपरा विधायकों को सदन में अपनी बात रखने का एक और प्रभावी माध्यम प्रदान करेगी।

निष्कर्ष

शून्यकाल की शुरुआत हिमाचल प्रदेश विधानसभा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल विधायकों को जनता से जुड़े मुद्दों को उठाने का मंच देगा, बल्कि सरकार को भी समस्याओं के समाधान में अधिक जवाबदेह बनाएगा। शून्यकाल के पहले दिन उठाए गए मुद्दे प्रदेश की जमीनी हकीकत को दर्शाते हैं और सरकार को ठोस कदम उठाने की ओर प्रेरित करते हैं।

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