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हिमाचल में पुलिस संशोधन विधेयक पारित- अब किसी भी “लोक सेवक” को “गिरफ्तारी” से पहले सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य

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एप्पल न्यूज, धर्मशाला

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को पुलिस संशोधन विधेयक 2024 ध्वनिमत से पारित किया गया। इस विधेयक के माध्यम से राज्य में पुलिस और लोक सेवकों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं।

सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब किसी भी लोक सेवक को गिरफ्तार करने से पहले सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इस कदम ने सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच गहरी बहस को जन्म दिया है।

प्रमुख प्रावधान:
इस विधेयक के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि सरकार की अनुमति के बिना किसी भी लोक सेवक को गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि गिरफ्तारी केवल गंभीर और प्रमाणित मामलों में ही हो।

इसके अलावा, एनजीओ ग्रेड-2 रैंक तक के पुलिसकर्मियों का राज्य काडर बनाया जाएगा, जिससे उनके प्रमोशन और ट्रांसफर की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी।
इसके अलावा, पुलिस कर्मियों की भर्ती के लिए एक विशेष भर्ती बोर्ड का गठन किया जाएगा। इससे भर्ती प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की उम्मीद की जा रही है।

साथ ही, जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरण में कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों और न्यायवादियों को भी शामिल किया जाएगा।

विधेयक पर सरकार का पक्ष:
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस विधेयक को सदन में पेश करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाना है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं कर रही है। विजिलेंस और पुलिस विभाग रिश्वतखोरी जैसे मामलों में अपनी कार्यवाही पहले की तरह जारी रखेंगे।

उन्होंने आश्वासन दिया कि इस विधेयक के प्रावधानों को लागू करने के लिए सरकार जल्द ही मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेगी।

विपक्ष की आपत्ति:
विपक्ष ने इस विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई। भाजपा के रणधीर शर्मा और त्रिलोक जम्वाल ने आरोप लगाया कि यह संशोधन भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकता है।

उन्होंने कहा कि यह कदम लोक सेवकों को रिश्वतखोरी और अन्य अनियमितताओं में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

विपक्ष ने इसे बीएनएस की धारा-35 का अतिक्रमण करार दिया और सरकार से इस विधेयक को वापस लेने की मांग की।

राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव:
यह विधेयक हिमाचल प्रदेश में प्रशासनिक सुधारों के एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। इससे पुलिस और लोक सेवकों के कार्यों में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने की उम्मीद की जा रही है।

हालांकि, विपक्ष के विरोध और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के आरोपों ने इसे विवादास्पद बना दिया है।

आगे की चुनौतियां:
विधेयक पारित होने के बावजूद इसे लागू करने में सरकार के सामने कई चुनौतियां होंगी। एसओपी तैयार करना और यह सुनिश्चित करना कि इसका दुरुपयोग न हो, महत्वपूर्ण होगा।

जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरण को प्रभावी बनाना भी सरकार के लिए एक चुनौती होगी, क्योंकि न्यायवादियों और वरिष्ठ अधिकारियों की कमी पहले से ही एक बड़ी समस्या है।

निष्कर्ष:
पुलिस संशोधन विधेयक 2024 हिमाचल प्रदेश में पुलिस और प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

हालांकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह विधेयक पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा दे, न कि भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग को।

विपक्ष के आरोपों और जनता की अपेक्षाओं के बीच इस कानून की सफलता सरकार की कार्यक्षमता पर निर्भर करेगी।

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