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सुक्खू सरकार ने बंद किए 1865 संस्थान, तपी विधानसभा से विपक्ष का “वाकआउट”, अब सिर्फ “नीड बेस्ड” खुलेंगे संस्थान

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एप्पल न्यूज, धर्मशाला

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष ने सुक्खू सरकार की राज्य में संस्थानों को बंद करने के मुद्दे पर जोर-शोर से घेराबंदी की और बाद में मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वाकआउट किया।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सुक्खू सरकार और विपक्ष के बीच संस्थानों को बंद करने और नए संस्थान खोलने की नीति को लेकर तीखी बहस देखने को मिली।

विपक्ष ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए सरकार पर शिक्षा और प्रशासनिक क्षेत्र में “व्यवस्था का पतन” करने का आरोप लगाया।

वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे “व्यवस्था परिवर्तन” का हिस्सा बताया और स्पष्ट किया कि उनकी सरकार सिर्फ “नीड बेस्ड” यानी जरूरत के आधार पर ही संस्थान खोलने की नीति पर काम कर रही है।

संस्थान बंद करने का निर्णय

सुक्खू सरकार ने सत्ता में आने के बाद प्रदेश में 1865 संस्थानों को बंद कर दिया, जिसमें 1094 स्कूल शामिल हैं। इनमें से 675 स्कूल ऐसे थे, जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं था, और 419 स्कूलों में 5 से कम छात्र थे।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इन स्कूलों के दो किलोमीटर की परिधि में अन्य स्कूल पहले से मौजूद थे। सरकार का दावा है कि पूर्व सरकार ने बिना उचित योजना के ये संस्थान खोले थे, जो केवल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए किए गए थे। सरकार ने इन संस्थानों का सर्वेक्षण करवाया और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उन्हें बंद करने का निर्णय लिया।

नीड बेस्ड नीति पर जोर

मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि उनकी सरकार सिर्फ जरूरत के आधार पर ही संस्थानों को खोलने की नीति अपना रही है। अब तक सरकार ने 37 नए संस्थान खोले हैं और 103 अन्य संस्थानों के लिए अधिसूचना जारी की है।

हर विधानसभा क्षेत्र में एक-एक राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल खोलने की योजना है। मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक सुधार की दिशा में भी कदम उठाने का जिक्र किया और कहा कि आने वाले महीनों में एसडीएम कार्यालयों का युक्तिकरण किया जाएगा।

विपक्ष का विरोध और वाकआउट

भाजपा ने सरकार पर शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार कुछ क्षेत्रों को प्राथमिकता दे रही है, जबकि अन्य को नजरअंदाज कर रही है।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है।

विपक्ष ने सदन में जोरदार नारेबाजी की और मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से वाकआउट कर दिया।

सरकार का तर्क

मुख्यमंत्री ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने केवल उन संस्थानों को बंद किया है, जो 1 अप्रैल 2022 के बाद खोले गए थे।

उन्होंने यह भी बताया कि ये कदम शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए उठाए गए हैं। उनका दावा है कि पूर्व सरकार की गलत नीतियों के कारण हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में 21वें स्थान पर पहुंच गया था।

शिक्षा में सुधार के प्रयास

सुक्खू सरकार ने शिक्षकों की भर्ती और प्राथमिक कक्षाओं से अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई शुरू करने पर जोर दिया है। सरकार का मानना है कि संस्थानों की संख्या बढ़ाने की बजाय उनकी गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना अधिक आवश्यक है।

निष्कर्ष

यह विवाद हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक निर्णयों में गहरी असहमति को दर्शाता है।

सुक्खू सरकार का “नीड बेस्ड” नीति अपनाने का निर्णय दीर्घकालिक दृष्टिकोण से सही हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने में पारदर्शिता और संतुलन बनाए रखना भी आवश्यक होगा।

विपक्ष और सरकार के बीच बेहतर संवाद की आवश्यकता है ताकि जनता के हित में प्रभावी निर्णय लिए जा सकें।

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