एप्पल न्यूज, धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य को केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता पर सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि यदि पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (PDNA) के तहत हिमाचल को उसकी अपेक्षित सहायता नहीं मिली, तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से पीछे नहीं हटेगी।
यह बयान उन्होंने विधानसभा में कांग्रेस विधायक चंद्रशेखर द्वारा नियम-130 के तहत लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान दिया। चर्चा का विषय हिमाचल को पीडीएनए के तहत मिलने वाली सहायता और केंद्र सरकार का रुख था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल को केंद्र से मिलने वाली सहायता किसी तरह की दया नहीं है, बल्कि यह राज्य का हक है। उन्होंने विपक्षी दल भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने न तो राज्य के हितों की रक्षा की और न ही आपदा के समय राज्य सरकार को समर्थन दिया।
उनका कहना था कि आपदा के समय और उसके बाद भी भाजपा ने जनता और प्रदेश के हितों के बजाय राजनीतिक लाभ को तरजीह दी।
उन्होंने केंद्र सरकार से सहायता प्राप्त करने के लिए भाजपा से सहयोग की अपील की और यह भी कहा कि यदि भाजपा इसमें मदद करती है, तो कांग्रेस सरकार इसका श्रेय उसे देने के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राजस्व घाटा अनुदान (Revenue Deficit Grant) में लगातार कटौती की जा रही है।
उदाहरण के लिए, 2020-21 में हिमाचल को 11,431 करोड़ रुपए की अनुदान राशि मिली थी, जो 2025-26 तक घटकर मात्र 2,575 करोड़ रह जाएगी। यह गिरावट राज्य की वित्तीय स्थिरता पर गंभीर प्रभाव डाल रही है।
इसके साथ ही, उन्होंने 2023 में आई आपदा का जिक्र करते हुए बताया कि राज्य को 9,905.77 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष और 12,000 करोड़ रुपए से अधिक का परोक्ष नुकसान हुआ है।
दूसरी ओर, भाजपा ने चर्चा के दौरान केंद्र सरकार की ओर से हिमाचल को दी गई सहायता का उल्लेख किया। भाजपा नेता विपिन सिंह परमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पर्याप्त धनराशि जारी की है।
इसमें पठानकोट-मंडी, मटौर-शिमला, और किरतपुर-मनाली फोरलेन के लिए जारी धनराशि का उल्लेख किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार केंद्र से मदद तो मांगती है लेकिन उसका आभार तक व्यक्त नहीं करती।
चर्चा के दौरान सदन में हंगामे की स्थिति भी बनी, लेकिन मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि हिमाचल सरकार अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक जाएगी। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों ने भी सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर अपनी मांगें पूरी करवाई हैं और अब हिमाचल भी इसी रास्ते पर चलने को तैयार है।
इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला, लेकिन चर्चा का मुख्य बिंदु यह था कि हिमाचल को आपदा से उबरने के लिए केंद्र से मदद की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री का यह कदम राज्य के वित्तीय हितों को सुरक्षित रखने और केंद्र से अपने अधिकारों की मांग सुनिश्चित करने का प्रयास है।