हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र समाप्त, आखिरी दिन विपक्षी भाजपा का वॉकआउट, गरमाई सियासत

एप्पल न्यूज, धर्मशाला
धर्मशाला के तपोवन में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस और गतिरोध के साथ समाप्त हुआ। यह सत्र न केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों का गवाह बना, बल्कि विकास, शिक्षा, वित्तीय राहत और प्राकृतिक आपदा से जुड़े गंभीर मुद्दों पर बहस का केंद्र भी रहा।

प्रश्नकाल: नए संस्थानों का मुद्दा और राजनीतिक आरोप

सत्र का प्रारंभ सुबह 11 बजे प्रश्नकाल से हुआ, जिसमें नए संस्थानों के मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष में तीखी नोकझोंक देखी गई। भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने राज्य में 1,865 संस्थानों के बंद होने का मुद्दा उठाया।

उन्होंने आरोप लगाया कि ये संस्थान जनहित में आवश्यक थे और इन्हें राजनीतिक भेदभाव के चलते बंद किया गया।

जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि केवल आवश्यकता के आधार पर संस्थानों को खोला जाना चाहिए, और पिछली सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए अधिसूचनाएं जारी कर संस्थानों की घोषणा की थी, लेकिन उनके संचालन के लिए पर्याप्त स्टाफ की व्यवस्था नहीं की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने अब तक 37 नए संस्थान आवश्यकता के आधार पर खोले हैं। उन्होंने भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जहां बच्चों की संख्या शून्य थी, वहां 675 स्कूलों को बंद करना पड़ा।

इसके विपरीत, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने तर्क दिया कि बच्चों की संख्या कम होने के बावजूद इन स्कूलों को बंद करना शिक्षा के अधिकार का हनन है।

पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (PDNA) का मामला

सत्र के दौरान एक और बड़ा मुद्दा केंद्र सरकार से पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (PDNA) के तहत 9,977 करोड़ रुपये की सहायता राशि न मिलना रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हिमाचल प्रदेश का अधिकार है और यदि केंद्र से यह सहायता नहीं मिलती है, तो सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जाएगा।

उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि हिमाचल को किसी खैरात की नहीं, बल्कि उसके अधिकार की मांग है।

विपक्ष ने इस मुद्दे पर भी सरकार को घेरने का प्रयास किया, लेकिन मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार से प्राप्त राशि का सही उपयोग पिछली सरकार ने नहीं किया।

वन टाइम सेटलमेंट योजना: ऋणियों को राहत

प्रश्नकाल में भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने कांगड़ा सहकारी बैंक की वन टाइम सेटलमेंट नीति का मुद्दा उठाया।

उन्होंने पूछा कि क्या सरकार उन ऋणियों को राहत प्रदान करने पर विचार करेगी, जिनका रोजगार प्रभावित हुआ है और जिनकी संपत्तियां कुर्क की गई हैं।

मुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि उनकी सरकार ने 10 लाख रुपये से अधिक के ऋणों को भी इस योजना के तहत शामिल करने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा लागू की गई नीति केवल एक सीमित वर्ग तक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई गई थी, लेकिन अब इस योजना का विस्तार सहकारी और कृषि बैंकों तक भी किया जाएगा।

विधायकों के लिए सुविधाओं की कमी

सत्र के दौरान बिलासपुर के भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने हिमाचल भवन में भाजपा विधायकों के लिए कमरों की बुकिंग नहीं होने का मुद्दा उठाया।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को कमरे आवंटित किए जा रहे हैं, जबकि विधायकों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि सभी विधायकों का सम्मान किया जाएगा और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी।

शिक्षा और बुनियादी ढांचे के मुद्दे

लाहौल-स्पीति की कांग्रेस विधायक अनुराधा राणा ने लोसर स्कूल में आग से हुए नुकसान का मुद्दा उठाया। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने जवाब में कहा कि बर्फीले इलाकों में अधिक सतर्कता बरती जाएगी।

एक अन्य मुद्दे में कांग्रेस विधायक केवल सिंह पठानिया ने भवनों के नियमितीकरण की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रक्रिया कानून के दायरे में रहकर की जाएगी। एटिक निर्माण से जुड़े मामलों का अध्ययन कर नियमानुसार उन्हें नियमित किया जाएगा।

राजनीतिक तकरार और सदन का बहिष्कार

सत्र के दौरान विपक्ष ने कई बार सदन का बहिष्कार किया। विशेष रूप से, केंद्र से सहायता राशि न मिलने के मुद्दे पर विपक्ष ने जोरदार नारेबाजी की और सदन से बाहर चला गया। इसके बाद विपक्ष दोबारा सदन में नहीं लौटा।

मुख्यमंत्री ने विपक्ष के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि यह राज्य के विकास में बाधा डालने का प्रयास है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष को केवल विरोध करने की बजाय राज्य के हितों के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

सत्र का समापन और भविष्य की राह

सत्र के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के विकास और लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि केंद्र से सहायता राशि की मांग को लेकर वह एक बार फिर केंद्रीय नेताओं से मिलने दिल्ली जाएंगे। यदि आवश्यकता हुई, तो कानूनी कदम भी उठाए जाएंगे।

इस शीतकालीन सत्र ने यह स्पष्ट कर दिया कि हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सत्ता और विपक्ष के बीच वैचारिक मतभेद गहराते जा रहे हैं।

जहां सरकार विकास और वित्तीय राहत के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, वहीं विपक्ष ने जनहित के मुद्दों को उठाकर सरकार पर जवाबदेही का दबाव बनाया।

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