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संपादकीय: मंडी सीट- “कांटे की रोचक टक्कर” लेकिन “आहत” करते “कुत्सित” आरोप

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एप्पल न्यूज, शिमला
कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह ने वीरवर को मंडी में नामांकन परचा भर दिया। भारी जमा हुई भीड़ ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में न केवल जोश भर दिया बल्कि भाजपा को भी ऐसा ही प्रदर्शन करने के लिए सिर में दर्द दे दी है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहेगा और तीसरी अभिकल्प या शक्ति की कोई गुंजाईश नहीं है।

भाजपा की ओर से सिने अभिनेत्री कंगना रानौत और कांग्रेस के युवा आइकॉन और शहरी विकास मत्री विक्रमादित्य सिंह के बीच सीधी कांटे की टक्कर है और मुकाबला रोचक होने जा रहा है | बल्कि पिछले पंद्रह बीस दिनों से हो ही गया है |

कांटे की टक्कर इसलिए है कि कांग्रेस ने बहुत सोच विचार के उपरान्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को पीछे करते हुए उनके बेटे विक्रमादित्य को चुनावी मैदान में उतार दिया | जाहिर है प्रतिभा सिंह और कंगना की बीच उम्र और राजनितिक हैसियत के हिसाब से दिन रात का अन्तर था | लेकिन विक्रमादित्य सिंह की घोषणा से भाजपा भी अब डिफेन्स की मुद्रा में आ गयी है।

भाजपा मंडी के चुनावी रण को और भी गंभीरता से ले रही है | अब दोनों युवा प्रत्याशी मुकाबले को बराबरी का समझ रहे है | इस सीट पर चुनाव रोचक इसलिए भी कि जहां कंगना हो वहां विवाद कैसे पीछे रह सकते है ?

चुनाव प्रचार में मतदाता और क्षेत्र की समस्याओं, मुद्दों से इतर एक दूसरे पर छींटा कशी, कभी कभी निजी जीवन को लेकर कुत्सित आरोप लोकतंत्र की गरिमा को आये दिन आहात कर ही रहे है | कंगना की पार्टी के वर्कर इस बात को लेकर परेशां है कि न जाने अगले पल वह क्या बोल जाएगी।

इधर विक्रमादित्य इन गैर जरुरी पचड़ों में न फंसते हुए गंभीरता के साथ चुनाव की धार पैना रखे हुए है | चुनावी अभियान को जनता के मुद्दों से जोड़ कर गरिमा से चलाने का करिश्मा उन्होंने प्रारम्भिक दौर में ही दिखा दिया है | जाहिर है मतदाता उन्हें गंभीर उम्मीदवार मानने लगे हैं।

कंगना को वैयक्तिक और गैर जरूरी बयानों से बचते हुए अपनी ही पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की इज्जत का भी ध्यान रखना होगा | कंगना ने प्रत्याशी बनते ही ऐलान कर दिया था की राजा भैया तो बहर के है ! उनका तो घर भी मंडी में नहीं है।

बाद में उन्हें ज्ञात हुआ होगा कि रामपुर में विक्रमादित्य का घर है और वह भी मंडी संसदीय क्षेत्र में पड़ता है | ऐसी और भी बातें है जो भाजपा नेत्री –अभिनेत्री के सामान्य ज्ञान की और इशारा करती है | यह उदहारण उनकी राजनीतिक समझ और हैसियत को बेनकाब करती है।

यह ध्यान रखना होगा कि राजनीतिक मंच मनोरंजन नहीं अपितु जनता के कल्याण और समस्याओं के संबोधन का मंच होता है | यह भी चर्चा गर्म है कि कंगना की जन्म भूमि तो मंडी है परन्तु कर्मभूमि मुम्बई है।

मतदाताओं में यह शंका घर कर गयी है कि कही ऐसा तो नहीं कि चुनाव जीतने के बाद कंगना मैडम अभिनेता सन्नी देओल की तरह संसदीय क्षेत्र से ओझल न हो जाये | काम पड़ने पर जब लोग उनके पास जाते तो यह जवाब मिलता था कि कोंस्टीचुएंसी में अमुक आदमी के पास जाओ वह मेरा रिप्रेजेन्टेटिव है। इस बात पर कंगना रानौत अपने लोगो को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई हैं।

विक्रमादित्य की जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों हिमाचल है | वह पूर्णकालिक रूप से राजनीतिज्ञ है | जनता में सहज उपलब्ध हैं | विक्रमादित्य राजनीति को समाज सेवा के लिए माध्यम मानते हुए युवा कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष बने | दो बार वह विधयक होने के साथ वर्तमान में शहरी मंत्रालय के केबिनेट मंत्री है | इस तरह विक्रमादित्य राजनितिक बोध के हिसाब से कंगना से इक्कीस ही बैठते हैं।

कंगना अभी राजनीती का ककहरा सीख रही है | अलबत्ता वह संसदीय क्षेत्रों में अपने परिचय यात्रा के दौरान इलाके विशेष की पोषाक, वेशभूषा धारण करके सेल्फी जरूर ले रही है ताकि वहां के लोगों के साथ कनेक्ट कर सके |
भाजपा के विषय में यह जगजाहिर है की वह साधारण सक्रिय कार्यकर्त्ता को भी बड़े अवसर प्रदान करती है और सी. एम ,मंत्री, प्रधानमंत्री बनाती है | इन चुनावों में संसदीय क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्त्ता लोकसभा टिकट के तलबगार थे | लेकिन टिकटों के चाहवान और उनके समर्थक उपर से थोपी गयी कंगना को टिकट दिए जाने से अंदरूनी खाते संतुष्ट नहीं हैं।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि इधर का वोट उधर जाने से भी भाजपा को नुक्सान उठाना पड सकता है | नाराज चल रहे इन असन्तुष्टों को साधना और साथ ले कर चलना पूर्व मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर के लिए बड़ी चुनौती है | इसलिए मंडी सीट साधने के लिए वह कंगना के सारथी बन कर उसका चुनावी रथ हांक रहे है |
अभी यह दूर की बात नहीं है | 2021 के मंडी लोकसभा उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने मोदी लहर के बावजूद और जय राम ठाकुर की कथित डबल इंजन की सरकार के रहते जीत दर्ज की थी | यह सीट जीत कर प्रतिभा सिंह ने कांग्रेस में संजीवनी फूंक दी थी।

प्रधानमंत्री के “इस बार 400 पार” के तिलिस्म को तोड़ने का बड़ा काम या बड़ी जिम्मेदारी विक्रमादित्य के कन्धों पर है | विक्रमादित्य जानते है कि मंडी सीट को उनके यशस्वी पिता वीरभद्र सिंह ने और माता प्रतिभा सिंह ने बड़े यत्न से सींचा है और सेवा भाव से मंडी की जनता का प्रतिनिधित्व किया है |

इस विरासत को आगे बढाने का अवसर विक्रमादित्य अब खोना नहीं चाहेंगे | यही कारण है कि वह बड़ी संजीदगी के साथ आगे बढ़ते नजर आते हैं |
चुनाव प्रचार के हर दिन के साथ साथ कंगना रानौत भी अब अपनी पार्टी की चिर परिचित लाइन पर आगे बढती दिख रही है | वह बड़ी आसानी व् सहजता के साथ विक्रमादित्य पर रजवाडा शाही ,परिवारवाद, वंशवाद आदि शब्दावली की बौछार कर देती है | यहाँ तक कि वह विक्रमादित्य की निजी जिन्दगी को भी सार्वजनिक मंचों पर उछाल रही है | विक्रमादित्य भी मंजे खिलाडी की तरह बड़ी संयत भाषा में सभ्याचार के साथ कंगना को मतदाताओं के असली मुद्दो की बिसात में चुनावी रण में घेर रहे है | भजपा प्रत्याशी यहाँ पर बैक फुट में नजर आती है।

भाजपा इन चुनावों में एक बार फिर राममंदिर, प्राण प्रतिष्ठा, सनातन धर्म, हिदुत्व,राष्ट्रीय सुरक्षा,कश्मीर पाकिस्तान , मुसलमान, आरक्षण,धरा 301 आदि मुद्दों को भी हिमाचल में खूब उठाने का प्लान कर रही है।

उधर कांग्रेसी प्रत्याशी विक्रमादित्य पूर्व भाजपा सांसदों को संसद में प्रदेश के हितों को न उठा पाने पर खूब घेर रहे है | मसलन, आपदा के समय हिमाचल के लिए विशेष राहत पैकज और पुरानी पेंशन स्कीम का पैसा दिलाने में नाकाम रहना –इन मुद्दों पर जनता उनसे जवाब मांग रही है।

कांग्रेस के लिए त्रासदी पर प्रधानमंत्री की बेरुखी ,बेरोजगारी, आसमान छूती कीमतों, पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस ,केन्द्रीय योजनाओं को प्रदेश में लागू करने के लिए फंड्स में देरी ,जातीय जनगणना आदि पर भाजपा को घेरे जाने की योजना है |
चूँकि हिमाचल के चुनाव आखिरी सातवें चरण में एक जून को होने हैं तो प्रधानमंत्री, गृहमंत्री. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, रक्षामंत्री आदि अन्य स्टार प्रचारकों के आने से कंगना के चुनाव प्रचार को बहुत गति मिलने वाली है।

हिमाचल के मतदाता विशेष कर मंडी के लिए भाजपा प्रत्याशी कंगना क्या कोई विशेष प्रोजेक्ट या स्कीम को ले कर अपनी धारणा रखती है ? यह भी जनता के समक्ष रखना होगा | एक सांसद के रूप में कंगना को उनकी भूमिका को स्पष्ट करना होगा।

अलबत्ता फिल्म कला क्षेत्र से आने वाली कंगना ने अपनी प्राथमिकता में मनाली में फिल्मसिटी के निर्माण को अपनी प्राथमिकता बताया है | उनके विचार से कुल्लू मनाली में अकूत प्राकृतिक सौंदर्य है और फिल्मो की शूटिंग के लिए देश विदेश के फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए आवश्यक मूल भूत संरचना ,सुविधाओं का निर्माण करना होगा | कुल्लू मनाली में पर्यटन का ढांचा सुदृड करना होगा |

कांग्रेस के प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह के लिए समस्त मंडी संसदीय क्षेत्र को देश का सर्वश्रेष्ठ संसदीय क्षेत्र बनाने की प्राथमिकता है | विक्रमादित्य साबरमती की तरह ब्यास नदी पर रीवर फ्रंट बना कर मंडी और आसपास के क्षेत्र का सौन्दर्यकरण करना चाहते है।

भूभू जोत सुरंग ,जालोरी जोत और चैहनी सुरंग निर्माण होलि-उतारला सड़क और मंडी को समार्ट सिटी का दर्जा दिलाना उनकी प्राथमिकता में है | आगे आने वाले दिनों में हो सकता है दोनों प्रत्याशी जनसंपर्क से अपनी प्राथमिकताओं का विस्तार कर दें।

राजनीति के मंजे खिलाडी की तरह विक्रमादित्य ने परचा भरने के फ़ौरन बाद यह भी ऐलान कर दिया कि चुनाव जीतने पर बल्ह हवाई अड्डे की भूमि की समीक्षा कराई जाएगी | विक्रमादित्य की पारखी राजनीतिक दृष्टि यह भी देख रही है कि ब्राह्मण वोटर को भी साधने के लिए पंडित सुखराम के नाम की माला तो जपनी ही पड़ेगी |

पंडित जी वीरभद्र के घुर राजनितिक प्रतिद्वद्वी रहे है | पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा चूँकि अब विरोधी खेमे में है, वह भी विक्रमादित्य को वाक् युद्ध में पटकनी देने का कोई अवसर नहीं खोना चाहते।

वह लोकसभा चुनाव में अपनी जमानत जब्त होने के दंश को भूले नहीं होंगे | परन्तु विक्रमादित्य की फितरत और संस्कार में बुजुर्गों को पर्याप्त इज्जत देना रहा है चाहे वह उनके विरोधी ही क्यों न हों।
प्रदेश में हो रहे चुनाव और विधान सभा उपचुनाव प्रदेश की राजनीति में उलटफेर और परिवर्तन की ओर संकेत करते हैं | इन उपचुनावों में जीत सुनिश्चित करना सुखविंदर सिंह सुखु सरकार की स्थिरता के लिये भी आवश्यक है।

लोकसभा चुनावों में सी.एम सुक्खू हाली लॉज के साथ अपनी सारी दूरियां,नाराजगियां भुला कर , वीरभद्र खेमे के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चलने का एहसास दिला रहे है।

सेरी मंच से उन्होंने विक्रमादित्य को हिमाचल की राजनीति का हीरो कह कर संबोधित किया जो हिमाचल की राजनीति के ‘अंगना में कंगना का क्या काम है’ का काम तमाम करेग़ा।

चूँकि कंगना एक फिल्म स्टार है इसलिए भी मुख्यमंत्री चुनावी भाषणों में फ़िल्मी शब्दावली का खूब प्रयोग कर रहे है | जैसे कि जयराम ठाकुर फ्लॉप फिल्म के डायरेक्टर है और फिल्म नहीं चलेगी और विक्रमादित्य राजनीती के सफल एक्टर है आदि आदि।

वोटिंग तक चुनावी फिल्म में और कौन किरदार नजर आयेंगे और घटना क्रम क्या मोड़ लेता है यह देखना दिलचस्प रहेगा।

लेखक

देवेंद्र गुप्ता, स्वतंत्र लेखक एवं संपादक सेतु

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