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महाराष्ट्र से आनी का पता बताकर रामपुर बुशहर पहुंचा दिए 2 नेपाली, 3 SDM के मध्य उलझा मामला- अब किए क्वारन्टीन

एप्पल न्यूज़, रामपुर बुशहर
रेड जोन महाराष्ट्र के पुणे से हिमाचल प्रशासन द्वारा लाए गए दो नेपाली लोगों को बीच सड़क अपने हाल छोड़ दिया गया। लापरवाही इस कदर कि दोनों लोगों के पास सिवाय आधार कार्ड और ट्रेन टिकट के कोई भी दस्तावेज नहीं तो फिर उन्हें सीमा पर क्वारन्टीन करने के बजाय खुले में कैसे छोड़ दिया, ये बड़ा सवाल है। ये तो गनीमत रही कि सैज पुलिस ने उन्हें अपनी निगरानी में रखा और अब क्वारन्टीन सेंटर भेजा गया।

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जानकारी के मुताबिक बीते दिनों महाराष्ट्र से हिमाचलवासियों को लेकर एक ट्रेन ऊना पहुंची तो इस ट्रेन में हिमाचल के स्थानीय लोगों के साथ ही दो नेपाली भी आये जो वहां किसी होटल में काम करते थे। उन्होंने यहां जिला कुल्लू के आनी में अपने किसी रिश्तेदार का पता बताया और वहां जाने के बहाने ट्रेन से ऊना पहुंच गए। यहां से बस से शिमला और शिमला से उन्हें रामपुर बुशहर जाने वाली बस में रवाना कर दिया।

मंगलवार रात को दोनों बस से जब सेंज पहुंचे तो बिना निगरानी के उन्हें उतार दिया गया। यहाँ से जब वे रात में लुहरी पहुंचे तो कुल्लू की सीमा पर पुलिस ने उनसे दस्तावेज मांगे। उनके पास आधार कार्ड और रेल की टिकट थी। इसके अलावा अन्य कोई दातावेज नहीं था जो ये साबित करे कि उन्हें आनी क्षेत्र के घोरला गांव भेजा जाए।

इस पर पुलिस ने इन्हें कुल्लू जिला की सीमा में प्रवेश करने से रोक दिया और वापस सेंज भेज दिया। वे दोनों मनमोहन सिंह गांव घोरला उप तहसील नित्थर जाना चाहते थे। इसके बाद दोनों को मंगलवार रात को सैंज पुुलिस ने अपनी निगरानी में रखा और डीएसपी रामपुर बुशहर अभिमन्यु वर्मा के निदेर्शों के बाद दोनों को खाने पीने की व्यवस्था की गई।
नेपाली मूल के इन लोगों ने पूछताछ में आपबीती सुनाई और बताया कि किस तरह यहां तक पहुंचे।

दोनों नेपाली व्यक्तियों के बिना किसी दस्तावेज के लुहरी तक पहुंचने पर क्षेत्र के लोगों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं कि ये दोनोंं कैसे हजारों किलोमीटर का सफर कर रेड जोन से यहां तक पहुंचे और यहां किसके पास रहने आए थे। जबकि रेड जोन से आने वाले लोगों को इंस्टिट्यूशनल क्वारन्टीन किये जाने के निर्देश दिए गए हैं तो फिर क्यों इस तरह लापरवाही कर उन्हें किसी के घर जाने के लिए आजाद छोड़ दिया।

इस बारे में एसडीएम कुमारसैन निशांत ने बताया कि आनी प्रशासन के साथ कई बार इस विषय में बातचीत होती रही, लेकिन बुधवार सुबह आनी प्रशासन ने उन्हें आनी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी। जिसके बाद एसडीएम रामपुर नरेंद्र चौहान के ध्यान में मामला लाया तो उन्होंने क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दोनों व्यक्तियों को ज्यूरी स्थित एसजेवीएन परिसर कोटला के क्वारन्टीन केंद्र में पहुंचाया।

वहीं इस बारे में एसडीएम आनी चेत सिंह ने बताया कि क्षेत्र में कुल तीन लोग आए थे। जिनमें से एक व्यक्ति निरमंड का रहने वाला था, उसके पास सभी दस्तावेज होने पर उसे जाने की अनुमति दी गई और उसे क्वारन्टीन कर दिया गया है। जबकि दोनों नेपालियों के आने की उनके पास कोई सूचना नहीं थी, जिस कारण उन्हें लुुहरी से वापस सैंज भेजा गया। वहीं, जिस व्यक्ति का पता नेपालियों ने भाई कहकर दिया था वह उन्हें पहचानने से मुकर गया। यही नहीं जिस बागवानके बगीचे में वह नेपाली रहता था उसने भी दोनों नेपलोयों को वहां लाने से इनकार कर दिया। इस वजह से उन्हें आनी क्षेत्र में प्रवेश करने नहीं दिया गया।

एसडीएम आनी ने बताया कि बाहर से लाये गए लोगों को पहले जिला मुख्यालय लाया जाता है जहां मेडिकल जांच के बाद ही उन्हें संस्थागत क्वारन्टीन में रखा जाना था घर नहीं ।

उधर प्रधान सचिव ओंकार शर्मा ने बताया कि इन दोनों को ट्रेन से यहां नियमों के तहत लाया गया है। इन दोनों ने आनी क्षेत्र के घोरला गांव में अपने रिश्तेदार के पास जाने के लिए आवेदन किया था। लेकिन यहां आने पर उन्हें लेने से इनकार कर दिया। अब उन्हें क्वारन्टीन केंद्रों में रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें कोई लापरवाही नहीं हुई है। उन्होंने माना कि थोड़ी चूक हुई है जिसे भविष्य में सुधारा जाएगा।

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