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बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में हिमाचल प्रदेश को देशभर में आंका गया सर्वश्रेष्ठ

एप्पल न्यूज़, शिमला

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्ज, 2016 के कार्यान्वयन के संबंध में विभिन्न राज्यों में किया गया तुलनात्मक मूल्यांकन।

बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हिमाचल प्रदेश को देशभर में प्रथम स्थान पर आंका गया है। प्रदेश को यह शीर्ष स्थान देश के विभिन्न राज्यों में किए गए तुलनात्मक मूल्यांकन के आधार पर मिला है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्ज, 2016 के कार्यान्वयन के संबंध में यह तुलनात्मक मूल्यांकन किया गया है। सीपीसीबी द्वारा इस तुलनात्मक मूल्यांकन में देश के विभिन्न राज्यों व चंडीगढ़, दिल्ली, पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में हिमाचल प्रदेश का तुलनात्मक  मूल्यांकन स्कोर कुल 24 में से सर्वाधिक स्कोर 21 रहा है।

हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डाॅ. निपुण जिंदल ने बताया कि सीपीसीबी ने यह मूल्यांकन राज्यों की निगरानी, प्रभावशीलता का अनुपालन करने और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 को लागू करने के संबंध में किया है जिसके लिए 12 प्रमुख बिन्दु चिन्हित किए गए थे। जिसमें हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन देशभर में सर्वश्रेष्ठ रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में नए नियम अधिसूचित होने पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हितधारक संस्थानों जैसे एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और पशु चिकित्सा अस्पतालों के संबंध में अनेक नए कदम उठाए हैं। बोर्ड द्वारा इस संबंध में राज्य, जिला व स्थानीय स्तर पर 100 से अधिक प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है।

राज्य के पास लगभग 8853 स्वास्थ्य देखभाल संस्थान हैं, जो नियमों के दायरे में आते हैं और जिनमें से लगभग 77 प्रतिशत संस्थानों को राज्य बोर्ड द्वारा अधिकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की स्थिति के बावजूद, राज्य नियामक एजेंसी ने जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए नियामक उपायों को लागू करने के लिए बेहतर प्रयास किए हैं और लगभग 4000 स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों को प्राधिकृत किया है, जो लगभग 58 प्रतिशत है।

उन्होंने बताया कि राज्य में 4125 एलोपैथिक स्वास्थ्य संस्थान हैं, जिनमें से 3147 संस्थानों को अब तक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिकृत किया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का पालन करने में आयुर्वेदिक संस्थान सबसे आगे है। कुल 1228 संस्थानों में से 1112 संस्थानों को बोर्ड द्वारा अधिकृत किया गया है। इसके अलावा, पशु चिकित्सा संस्थानों का अनुपालन स्तर लगभग 72 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त 96 औद्योगिक इकाइयां भी हैं जो नियमों के दायरे में आती हैं और 91 इकाइयों को अब तक अधिकृत किया गया है।

हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डाॅ. निपुण जिंदल ने बताया कि राज्य में बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की स्थिति की समय-समय पर मुख्य सचिव, हिमाचल प्रदेश सरकार के स्तर पर समीक्षा की जा रही है। सामूहिक प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य में नियमों का बेहतर तरीके से कार्यान्वयन हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप ही राज्य को देश भर में बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में सर्वश्रेष्ठ आंका गया है।

बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हिमाचल प्रदेश को देशभर में प्रथम स्थान पर आंका गया है। प्रदेश को यह शीर्ष स्थान देश के विभिन्न राज्यों में किए गए तुलनात्मक मूल्यांकन के आधार पर मिला है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्ज, 2016 के कार्यान्वयन के संबंध में यह तुलनात्मक मूल्यांकन किया गया है। सीपीसीबी द्वारा इस तुलनात्मक मूल्यांकन में देश के विभिन्न राज्यों व चंडीगढ़, दिल्ली, पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में हिमाचल प्रदेश का तुलनात्मक  मूल्यांकन स्कोर कुल 24 में से सर्वाधिक स्कोर 21 रहा है।

हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डाॅ. निपुण जिंदल ने बताया कि सीपीसीबी ने यह मूल्यांकन राज्यों की निगरानी, प्रभावशीलता का अनुपालन करने और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 को लागू करने के संबंध में किया है जिसके लिए 12 प्रमुख बिन्दु चिन्हित किए गए थे। जिसमें हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन देशभर में सर्वश्रेष्ठ रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में नए नियम अधिसूचित होने पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हितधारक संस्थानों जैसे एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और पशु चिकित्सा अस्पतालों के संबंध में अनेक नए कदम उठाए हैं। बोर्ड द्वारा इस संबंध में राज्य, जिला व स्थानीय स्तर पर 100 से अधिक प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है।

राज्य के पास लगभग 8853 स्वास्थ्य देखभाल संस्थान हैं, जो नियमों के दायरे में आते हैं और जिनमें से लगभग 77 प्रतिशत संस्थानों को राज्य बोर्ड द्वारा अधिकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की स्थिति के बावजूद, राज्य नियामक एजेंसी ने जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए नियामक उपायों को लागू करने के लिए बेहतर प्रयास किए हैं और लगभग 4000 स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों को प्राधिकृत किया है, जो लगभग 58 प्रतिशत है।

उन्होंने बताया कि राज्य में 4125 एलोपैथिक स्वास्थ्य संस्थान हैं, जिनमें से 3147 संस्थानों को अब तक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिकृत किया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का पालन करने में आयुर्वेदिक संस्थान सबसे आगे है। कुल 1228 संस्थानों में से 1112 संस्थानों को बोर्ड द्वारा अधिकृत किया गया है। इसके अलावा, पशु चिकित्सा संस्थानों का अनुपालन स्तर लगभग 72 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त 96 औद्योगिक इकाइयां भी हैं जो नियमों के दायरे में आती हैं और 91 इकाइयों को अब तक अधिकृत किया गया है।

हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डाॅ. निपुण जिंदल ने बताया कि राज्य में बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की स्थिति की समय-समय पर मुख्य सचिव, हिमाचल प्रदेश सरकार के स्तर पर समीक्षा की जा रही है। सामूहिक प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य में नियमों का बेहतर तरीके से कार्यान्वयन हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप ही राज्य को देश भर में बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में सर्वश्रेष्ठ आंका गया है।

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