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शिमला फ़िल्म फेस्टिवल में ईरान की ‘द बोर्डिंग हाउस’ को मिला सर्वश्रेठ अंतर्राष्ट्रीय  फीचर फिल्म का पुरस्कार

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एप्पल न्यूज़, शिमला
तीन दिवसीय इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला के पुरस्कार वितरण समारोह में फिल्म्स डिविजन के पूर्व महानिदेशक वी एस कुंडू ने अध्यक्षता की। इस फिल्म समारोह में पिछले 3 दिनों में स्क्रीन हुई  सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को पुरस्कृत किया गया।  

तीन दिवसीय इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला में प्रतियोगिता का आयोजन इंटरनेशनल, नेशनल, और स्टेट कैटेगरी के अंतर्गत किया गया था।

फिल्म फेस्टिवल के आठवें  एडिशन में कुल 17 देशों की फिल्में दिखाई गई । जिनमें कनाडा, अमेरिका, लेबनान, स्पेन, ईरान, ताइवान, ब्राज़ील, आईसलैंड,  सिंगापुर, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, बेल्जियम, डेनमार्क, रशिया  इत्यादि देशों की डॉक्यूमेंट्री एनिमेशन फीचर फिल्म और शार्ट फिल्म दिखाई गई।

इन फिल्मों के अलावा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला के कॉम्पिटेटिव सेक्शन के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय वर्ग में विभिन्न देशों की 27 फिल्मों की स्क्रीनिंग की गयी  जबकि राष्ट्रीय वर्ग में 35 फिल्म की स्क्रीनिंग की गयी।

  यह सभी फिल्में डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म, फीचर फिल्म, एनीमेशन, और म्यूजिक वीडियो वर्ग में बेस्ट फिल्मों को फेस्टिवल के अंतिम दिन पुरस्कृत किया गया। इस फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेने देश और विदेश से 50 निर्देशक  शामिल हुए  हैं । जोकि गेयटी थिएटर में दर्शकों से  भी रूबरू  हुए ।
अंतर्राष्ट्रीय वर्ग में  बेस्ट शॉर्ट फिल्म ईरान के निदेशक हामिद बेहरामी की  ‘फुट स्टेप्स’ सर्वश्रेष्ठ रही। अमेरिका की निर्देशिका गायत्री कुमार द्वारा निर्देशित फिल्म ‘कफिन्ड एट 15 ‘ और सिंगोरे की निर्देशिका शिल्पा कृषणन शुक्ल की फिल्म ‘पोलर बेयर’ को स्पेशल जूरी अवार्ड शार्ट फिल्म से पुरस्कृत किया गया। बेस्ट फीचर फिल्म केटेगरी में ईरान की फिल्मकार मरियम इब्राहिमबांद को  उनकी फिल्म ‘ द बोर्डिंग हाउस ‘ के लिए सम्मानित किया गया।

स्पेन के फिल्मकार रोबेर्टो रुइज़ की फीचर फिल्म ‘स्तयोन ‘ को स्पेशल ज्यूरी फीचर फिल्म से सम्मानित किया गया। कनाडा के निदेशक विनय गिरिधर की डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘ एमेर्जेंस आउट ऑफ़ थे शाडोज़’ को स्पेशल जूरी डाक्यूमेंट्री से पुरस्कृत किया  गया।
राष्ट्रीय केटेगरी में दो फिल्मों को बेस्ट डाक्यूमेंट्री के पुरसकार से सम्मानित किया गया।  कोलकाता की फिल्मकार फरहा खातून  एवं फिल्म डिवीज़न की प्रस्तुति ‘ रिपल्स अंडर द  स्किन ‘ और मुंबई के निर्देशक के. एस।

 श्रीधर की फिल्म ‘ द फर्स्ट इंक’ को बेस्ट डाक्यूमेंट्री के पुरस्कार से संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया। स्पेशल जूरी डाक्यूमेंट्री अवार्ड से फिल्मकार दिव्या  हेमंत खरनारे  की फिल्म ’15 सेकण्ड्स ए लाइफटाइम ‘ को पुरस्कृत किया गया।  शार्ट फिल्म केटेगरी में निर्देशक फ़राज़ आरिफ अंसारी को ट्रांसजेंडर मुद्दे पर आधारित फिल्म ‘शीर कोरमा’ को बेस्ट  शार्ट फिल्म से सम्मानित किया गया। पुणे के  निर्देशक  शिवांग खन्ना को फिल्म ‘पिंकी और पापा’ के लिए स्पेशल जूरी शार्ट फिल्म अवार्ड से सम्मानित किया गया।

बंगलोर के निर्देशक    विनोद विरमानी  को उनकी तमिल शार्ट फिल्म ‘काकिथम -पेपर ‘ और असम की  निर्देशिका  आकांक्षा भगवती  की शार्ट फिल्म ‘कुमू’ को भी  को भी स्पेशल जूरी शार्ट फिल्म अवार्ड दिया गया।
राष्ट्रीय केटेगरी में फिल्मकार राजा घोष द्वारा निर्देशित बंगाली फीचर फिल्म ‘ चाबीवाला-द  कीस्मिथ ‘ को  बेस्ट फीचर फिल्म  से पुरस्कृत किया गया। फिल्मकार अमित सिनौरीया की फीचर फिल्म ‘रज़ा ‘ को स्पेशल जूरी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

 बेस्ट म्यूजिक केटेगरी  में   एबेनज़र अनदोस और के. ऐबिराज के तमिल म्यूजिक वीडियो ‘द राइज’ को पुरस्कृत किया किया। स्टेट केटेगरी में हिमाचल प्रदेश के निर्देशक आर्यन हरनोट की फिल्म ‘कील ‘ को सर्वश्रेष्ठ शार्ट फिल्म के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

फेस्टिवल के तीसरे दिन कुल 26  फिल्मों की स्क्रीनिंग एम् पी थिएटर , गॉथिक  थिएटर और कांफ्रेंस हॉल में की गयी।
ओपन फोरम में कुल दस  निदेशकों ने चर्चा में भाग लिया।

 ओपन फोरम में सभी निदेशकों ने अपने देश और प्रदेश में प्रचलित फिल्मों  पर चर्चा की और सिनेमा के उद्भव एवं विकास में फिल्म महोत्सव के महत्व पर अपनी बात रखी।


इस बार इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला में नेशनल फिल्म आर्काइव्स आफ इंडिया, पुणे द्वारा  एक  फिल्म प्रदर्शनी का भी आयोजन किया  गया ।

 इस प्रदर्शनी में फिल्म से संबंधित विभिन्न कृतियां प्रदर्शन के लिए रखी गयी। डायरेक्टरेट ऑफ़ फिल्म फेस्टिवल्स की और से राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित 16 फिल्मों की स्पेशल स्क्रीनिंग की गयी।
अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह की फ़िल्म्ज़ की स्क्रीनिंग जेल बंदियों के लिए मॉडल केन्द्रीय कारागार, कण्डा  और  नाहन जेल  मे भी की गई , जिससे उन्हें भी सिनेमा के विभिन्न आयामों से रूबरू होने का मौका मिला और बाहरी दुनिआ को समझने का अवसर मिला ।

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