SJVN Corporate ad_E2_16x25
SJVN Corporate ad_H1_16x25
previous arrow
next arrow
IMG-20240928-WA0004
IMG_20241031_075910
previous arrow
next arrow

प्राकृतिक खेती में नवोन्मेषी प्रयासों से मिसाल बनीं मंडी जिले के पंजयाणु गांव की महिलाएं, ऑनलाइन पोर्टल पर होगा 50 हजार किसानों का प्रमाणीकरण

IMG-20240928-WA0003
SJVN Corporate ad_H1_16x25
SJVN Corporate ad_E2_16x25
Display advertisement
previous arrow
next arrow

प्रदेश में पौने दो लाख किसान उगा रहे रसायनमुक्त फसलें

एप्पल न्यूज़, शिमला

हिमाचल के पहाड़ों की ओट में बिखरे पड़े खेत-खलिहानों में प्राकृतिक तौर पर उपजाई जा रही फसलें आज हर किसी को आकर्षित कर रही हैं। बिना किसी रसायिनक उर्वरक के उपयोग अथवा कीटनाशक के छिड़काव के बजाय पूरी तरह प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग से खेती कर किसान भी खुश हैं और विशुद्ध उपज से उसका उपभोग करने वाले भी संतुष्ट हैं कि वे रसायनों के दुष्प्रभावों से अब बच सकेंगे।

यह सब संभव हुआ है प्रदेश सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना से। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की पहल पर प्रदेश में आरम्भ की गई विभिन्न नवोन्मेषी योजनाओं में से यह भी एक महत्वकांक्षी योजना है।


राज्य सरकार के प्रोत्साहनों से प्रदेश में प्राकृतिक खेती की ओर किसानों का रूझान लगातार बढ़ा है। रसायन उर्वरक मुक्त खेती की ओर उन्मुख हिमाचल को प्राकृतिक फसलों के उत्पादन में आगे ले जाने में प्रदेश की महिलाएं भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

पहाड़ों सा जीवट लिए हिमाचल की महिलाएं कृषि की प्राकृतिक विधा से न केवल आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रही हैं, अपितु अन्य लोगों को भी प्रेरित कर रही हैं।
मंडी जिले की पांगणा उप-तहसील के पंजयाणु गांव के निवासियों ने प्राकृतिक खेती अपनाकर एक मिसाल कायम की है। इस गांव की लीना शर्मा ने खुद उदाहरण बनकर ग्रामीणों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया।

लीना शर्मा को कृषि विभाग द्वारा आयोजित कृषि विज्ञानी पदम्श्री सुभाष पालेकर के प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का मौका मिला। इसके उपरान्त लीना ने अपने खेतों मे प्राकृतिक खेती प्रारम्भ की और उनकी प्रेरणा से आज गांव के 30 परिवारों ने इसे अपना लिया है।

गांव की एक और महिला सत्या देवी प्राकृतिक खेती की मास्टर ट्रेनर बन चुकी हैं। गांव में पारम्परिक फसलों के अलावा मूंगफली, लहसुन, मिर्च, दालें, बीन्स, टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, अलसी व धनिया की खेती की जा रही है। प्राकृतिक खेती ने जहां उनके खेतों की क्षमता एवं उर्वरता बढ़ाई है, वहीं उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई है।  
लीना शर्मा व सत्या देवी जैसी महिलाओं के नवोन्मेषी प्रयासों एवं डबल इंजन सरकार के प्रोत्साहन का ही सुखद परिणाम है कि आज प्रदेश के लगभग 1 लाख 71 हजार किसानों द्वारा 9 हजार 421 हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक पद्धति से खेती की जा रही है।

वर्ष 2022-23 के लिए प्रदेश सरकार ने 50 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती के अन्तर्गत लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अतिरिक्त 50 हजार किसानों को प्राकृतिक कृषक के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।

इसके लिए एक ऑनलाईन पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंन्द मोदी भी राष्ट्रीय मंचों पर हिमाचल में प्राकृतिक खेती के मॉडल की सराहना कर चुके हैं।  
प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान योजना का लक्ष्य फसल उत्पादन लागत को कम कर आय बढ़ाना, मृदा व मानव को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से बचाना है।

इस योजना के अंतर्गत देसी गाय के गोबर व गौमूत्र तथा कुछ स्थानीय वनस्पतियों के घोल को रसायनिक कीटनाशकों के स्थान पर फसलों पर छिड़काव के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
प्राकृतिक खेती में प्रयोग होने वाले अदान बनाने के लिए किसानों को ड्रमों पर 75 प्रतिशत उपदान अधिकतम 750 रुपए प्रति ड्रम प्रदान किया जा रहा है। एक किसान परिवार ऐसे तीन ड्रम पर यह लाभ प्राप्त कर सकता है।

गौशालाओं को पक्का करने व गौमूत्र एकत्र करने के लिए गौशाला बदलाव को 80 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है जिसकी अधिकतम सीमा 8 हजार रुपए है।
प्राकृतिक खेती में काम आने वाले अदानों की आपूर्ति के लिए प्रत्येक गांव में प्राकृतिक खेती संसाधन भण्डार खोलने के लिए 10 हजार रुपए तक की सहायता का भी प्रावधान है। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अन्तर्गत अब तक लगभग 58.46 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं।
प्रदेश की सभी 3615 पंचायतों में प्राकृतिक खेती मॉडल विकसित करने के साथ ही 100 गांवों को प्राकृतिक खेती गांवों के रूप में परिवर्तित करने की दिशा में काम किया जा रहा है।

किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से प्रदेश में प्राकृतिक खेती आधारित 10 नए एफ.पी.ओ. (किसान-उत्पादक संगठन) स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। 10 मंडियों में प्राकृतिक खेती उत्पादों की बिक्री को स्थान निर्धारित करने के साथ ही 2 नई मंडियां भी बनाई जाएंगी। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 17 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया है।  
सर्व संकल्प से शत-प्रतिशत सिद्धी के मूल मंत्र के साथ कार्य कर रही केंद्र एवं हिमाचल प्रदेश की डबल इंजन सरकार ने कृषि क्षेत्र में संचालित क्रांतिकारी योजनाओं को धरातल पर उतारते हुए इनका त्वरित व समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित किया है। इससे हिमाचल प्रदेश अब प्राकृतिक कृषि उत्पादन में एक आदर्श राज्य के रूप में उभरा है।

Share from A4appleNews:

Next Post

CM ने सुन्दरनगर में 55.03 करोड़ की परियोजनाओं के लोकार्पण- शिलान्यास किए, निहरी पुलिस चौकी थाने में स्तरोन्नत

Sun Sep 11 , 2022
एप्पल न्यूज़, सुंदरनगर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सुन्दरनगर विधानसभा क्षेत्र में 55.03 करोड़ रुपये की विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के लोकार्पण तथा शिलान्यास किए। इनमें 2.54 करोड़ रुपये का सहायक आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी कार्यालय भवन तथा आवास, 5.58 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित राजकीय बहुतकनीकी महाविद्यालय सुन्दरनगर […]

You May Like

Breaking News