एप्पल न्यूज, शिमला
संयुक्त किसान मंच की आज महत्वपूर्ण बैठक शिमला में आयोजित की गई। जिसमें मंच से जुड़े विभिन्न किसानों व बागवानों के संगठनों के नेतृत्व ने भाग लिया। इसमें संयोजक हरीश चौहान, सह संयोजक संजय चौहान, सोहन ठाकुर, आशुतोष चौहान, दीपक सिंघा, कुलदीप सिंह तंवर, राजिंदर चौहान, प्रताप चौहान, जय सिंह जेहटा, हरीश घमटा, राजप्रताप, पवन सिंह आदि ने भाग लिया।
इस बैठक में प्रदेश में कृषि व बागवानी से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई तथा निर्णय लिया गया कि प्रदेश में इससे जुड़े लाखों परिवारों की रोजी रोटी बचाने के लिए ये जरूरी है कि इस चुनाव में कृषि व बागवानी पर बढ़ते संकट व किसानों व बागवानों के मुद्दो के समाधान पर भी जरूर चर्चा हो। बैठक में निर्णय लिया गया कि आज सरकार द्वारा लागू की जा रही नीतियों के चलते किसान व बागवानों की उत्पादन व उत्पादकता में निरंतर गिरावट आ रही है तथा कम पैदावार के बावजूद किसानों व बागवानों को मंडियों में उनकी फसल का उचित दाम नही मिल रहा है। जिससे प्रदेश के किसानों व बागवानों को रोजी रोटी का संकट पैदा हो रहा है। पिछले वर्षो से सरकार द्वारा खाद व अन्य लागत वस्तुओं में दी जा रही सब्सिडी में कटौती के चलते इनकी कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही सरकार द्वारा विभिन्न देशों के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते(FTA) व हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क 70 प्रतिशत से घटा कर 50 प्रतिशत करने से विदेशों से भारी मात्रा में सेब देश की विभिन्न मंडियों में आया है जिससे सेब उत्पादकों व कारोबारियों को कम फसल के बाबजूद इस वर्ष भारी नुक़सान उठाना पड़ा है। जिसका व्यापक असर आगामी वर्ष की फसल पर भी पड़ना स्वाभाविक है।
बैठक में चर्चा की गई कि सरकार की इन नीतियों के चलते कृषि व बागवानी में बढ़ते संकट के चलते आज किसानों व बागवानों पर कर्ज बढ़ रहा है। एक ओर केन्द्र सरकार ने पिछले 10 वर्षों में बड़े कॉरपोरेट घरानों के करीब 15 लाख करोड़ रुपए के ऋण माफ किए हैं और किसान व बागवान लम्बे समय से कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं परन्तु सरकार इनकी मांग पर गौर नही कर रही है। बैठक में निम्न मुद्दों को मुख्य मुद्दे के रूप में तय किया गया तथा इसके आधार पर एक मांगपत्र तैयार किया जाएगा!
सभी फसलों को स्वामीनाथन कमीशन के अनुरूप C2+50% MSP कानूनी रुप से लागू करो!
सेब व अन्य फलों पर आयात शुल्क कम से कम 100 प्रतिशत करो!
*केंद्र सरकार मण्डी मध्यस्थता *योजना(MIS) के बजट में की गई कटौती वापिस ले! बागवानों का बकाया भुगतान तुरन्त किया जाए।*
खाद, बीज, कीटनाशक, फफुंदीनाशक, कृषि उपकरण व अन्य लागत वस्तुओं पर सब्सिडी में कटौती बंद करो!
कृषि व बागवानी में इस्तेमाल होने वाली सभी लागत वस्तुओं व पैकेजिंग सामग्री पर GST समाप्त करो!
किसानों व बागवानों का कर्ज माफ किया जाए!
बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी लोकसभा चुनाव में संयुक्त किसान मंच इस मांगपत्र तैयार कर चुनाव लड़ रहे सभी राजनितिक दलों के समक्ष ये मांगपत्र रखा जायेगा और जो इसको अपने घोषणा पत्र में सम्मिलित करेगा उसे ही इन चुनावों में संयुक्त किसान मंच का समर्थन रहेगा।
बैठक में कृषि व बागवानी के मुद्दो पर चर्चा कर यह निष्कर्ष निकाला गया कि पिछले 10 वर्षों से केन्द्र सरकार ने किसानों व बागवानों के हित की नीतियां लागू नहीं की गई है। संयुक्त किसान मंच ने कई बार प्रधानमन्त्री मोदी व उनके मंत्रियों को ज्ञापन व मांगपत्र दिए गए परन्तु कोई भी मांग आज तक नहीं मानी गई। प्रधानमन्त्री मोदी व बीजेपी ने 2014 व 2019 के चुनाव अभियान में वायदा किया था कि किसानों को स्वामीनाथन कमीशन के आधार पर फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) C2+50% के आधार पर दिया जाएगा, सेब पर आयात शुल्क बढ़ाया जाएगा, किसान का कर्ज माफ किया जाएगा, खाद, कीटनाशक, फफुंदीनाश्क, कृषि उपकरणों व अन्य लागत वस्तुओं पर सब्सिडी दी जाएगी। परंतु बीजेपी सरकार ने किसानों व बागवानों से चुनावो में जो वायदे किए थे उन्हें लागू नहीं किया। जिसके चलते आज प्रदेश के किसानों व बागवानों में सरकार के प्रति आक्रोश है।
बैठक में चर्चा की गई कि प्रदेश के साथ वर्तमान सांसदो के द्वारा पिछले 5 वर्षों में संसद में किसानों व बागवानों के कोई भी मुद्दा नही उठाया है और न ही कभी किसानों व बागवानों के संघर्ष में साथ नही दिया है। इससे इनका किसान व बागवान विरोधी चेहरा सामना आया है। इसलिए इनका विरोध किया जाएगा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि संयुक्त किसान मंच इस मांगपत्र का पर्चा छाप कर किसानों व बागवानों के बीच ले जाएगा तथा ब्लॉक व तहसील स्तर पर संगठित रुप से इन मांगो को लागू करने के लिए कार्य करेगी।
संयुक्त किसान मंच सभी किसानों व बागवानों के संगठनों से आग्रह करती है कि अपनी मांगों को लेकर संगठित हो।
हरीश चौहान संजय चौहान
संयोजक सह संयोजक