कानून क्या खाक करेगा
मेरे यार,
जब सियासत ही मरवा रही है सिपाही वफादार,
जो उनकी इमानदारी के
कसीदे पड़ती है
फिर वो इमानदारी
उन पर ही भारी पड़ती है,
अपनी जांबाजी से गर
वो मुजरिम पकड़ लाये , कमबख़्त सियासत
उन्हें छुड़ा ले जाये,
साज़िशों का पर्दा जब-जब
उसने हटाया , हिन्दू- मुसलमान नही सिर्फ इंसान उसने पाया ,
वर्दी के रंग को
बेईमानी में उसने
रंगने नही दिया,
अपनी हर कोशिश में उसने इंसाफ ही किया,
इस बार भी यही सोच के
वो निकला , ये तो अपने हैं
समझा लूंगा भला , उसकी यही भूल अपनेपन पर
उसे ,पड़ गई भारी
जब साजिशन भाई ने भाई को गोली मारी,
वो सोचता रहा सियासत क्या करा रही है आज
हिन्दू को हिन्दू से क्यूँ
लड़ा रही है। उसकी बीवी बच्चों
का उसे ना रहा ध्यान ,
शहर बचाने को
\” सुबोध \” ने दे दिए अपने प्राण ।।
एप्पल न्यूज, शिमला
रविन्द्र डोगरा द्वारा बुलन्दशहर के दंगे में शहीद इंस्पेक्टर सुबोध की याद में लिखी चंद लाइनें