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गोलियां नहीं पुस्तकें

एप्पल न्यूज़, शिमला

जम्मू और कश्मीर तीन दशक से अधिक के छद्म युद्ध, हिंसा और मानव जीवन के सभी क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति का गवाह रहा है। समाज के सभी वर्गों में सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव इस क्षेत्र के बच्चों और युवाओं पर पड़ा है। 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए जो युवा मस्तिष्क आकांक्षाओं, शिक्षा, कौशल से परिपूर्ण होना चाहते थे, उनकी विचारधाराओं में हिंसा, आतंकवाद और राष्ट्र विरोधी भावनाऐं भरने का प्रयास किया गया था।

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5 अगस्त 2019 के ऐतिहासिक दिवस पर जम्मू और कश्मीर के इतिहास में एक आदर्श बदलाव आया। जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख के नए केंद्र शासित प्रदेश स्वरूप ने इस अशांत क्षेत्र के लोगों के लिए अवसर के नए और प्रचुर मार्ग खोल दिए। 5 अगस्त 2019 से पहले, स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को जलाना एक परंपरा और गर्व की बात थी। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुँच से वंचित करना अलगाववादी समूहों के नापाक मंसूबों को अंजाम देने की योजना का हिस्सा था। पिछले वर्ष में, यह देखकर प्रसन्नता हुई है कि स्कूलों और शिक्षण संस्थानों के जलने की खबरें अब नगण्य हुई हैं। बच्चे, शिक्षक और शिक्षा विभाग नए वातावरण में नई जिम्मेदारियों को निभाने में खुशी का अनुभव कर रहे हैं। राज्य और केंद्र ने शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की चुनौतियों को एक अवसर में बदलकर गुणवत्ता, समानता और शिक्षा को जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख में अंतिम बच्चे तक पहुंचाने का अवसर प्रदान किया है। केन्द्र शासित प्रदेश के नव गठन के कुछ हफ्तों के भीतर, केंद्रीय शिक्षा मंत्री के रूप में, मुझे अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान 1500 से अधिक शिक्षकों और शिक्षाविदों के साथ वार्तालाप करने का अवसर मिला। घाटी के लोगों का दृष्टिकोण नव गठित केंद्र शासित प्रदेश के प्रति बेहद उत्साहपूर्ण और स्वागतपूर्ण रहा है और  उन्होंने घाटी में विकास केंद्रित रणनीतियों को लागू करने के लिए सरकार की नीतियों और प्रतिबद्धता के प्रति अपना अत्यधिक विश्वास जताया। केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षकों, शिक्षा विभाग और प्रशासनिक मशीनरी की भी यह पूर्ण वचनबद्धता रही है, जिसने यह सुनिश्चित किया कि अपरिहार्य लॉकडाउन और जनसांख्यिकीय चुनौतियों के बावजूद छात्रों का शैक्षणिक वर्ष बर्बाद न हो। कुलपति, शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों, शिक्षकों, अभिभावकों के साथ मेरे वार्तालाप के दौरान, बहुस्तरीय चर्चाओं और सुझावों से निकलकर आने वाली रोजमर्रा की बातें पर्याप्त थी \”पर्याप्त है\”। वहाँ राष्ट्र की मुख्यधारा में आने और विकास के पथ पर आगे बढ़ने एवं दशकों पुरानी ​​रूढ़िवादी और प्रतिगामी विचारधाराओं को त्यागने पर सर्वसम्मति थी। केवल शिक्षा ही हमारी पीढ़ियों के भविष्य में बदलाव लाते हुए उन्हें सकारात्मक आकार दे सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक वर्ष में नवगठित केन्द्रशासित प्रदेश के बारे में कई परियोजनाओं की नियमित समीक्षा की है। पहाड़ी क्षेत्र के लोगों के लिए प्रतिबद्धता के साथ लद्दाख में केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है। यह विश्वविद्यालय न केवल लद्दाख क्षेत्र के छात्रों को बल्कि हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती जिलों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में एक मील का पत्थर साबित होगा। विश्वविद्यालय परिसर में स्थानीय आबादी की मांग को पूरा करने के लिए बौद्ध छात्रों के लिए भी एक केंद्र होगा। सभी स्कूली बच्चों के लिए व्यापक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने हेतू जम्मू और कश्मीर के लिए विस्तारित शिक्षा का सार्वभौमीकरण और शिक्षा के अधिकार 2009 को सुनिश्चित करना अपने अंतिम चरण में है।

आज तक, राज्य के छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए ऐसी मौलिक पहुंच से वंचित रखा गया था। जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर पाठ्यक्रम सुधार, शिक्षक प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे का उन्नयन और शिक्षा प्रौद्योगिकी के एकीकरण के साथ शिक्षा के मूलभूत ढांचे में क्षमता निर्माण भी प्रमुख रूप से ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्रों में शामिल हैं।  उन्नयन कार्य को युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। सरकार क्षेत्र के लोगों के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव उपाय किए जा रहे हैं कि कोई भी बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुँच से दूर न हो। विशेष जरूरतों वाले 23405 बच्चों की पहचान की गई है और उन्हें स्कूलों में छात्रों के तौर पर दाखिल किया जा रहा है। अनूठी प्रवासी जीवन शैली जीने वाले गुज्जर और बक्करवालों के बच्चों को को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 1417 सीजनल केंद्र स्थापित किए गए हैं। लड़कियों के छात्रावास के साथ, 88 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को  त्वरित गति से संचालन योग्य बनाया जा रहा हैं। समूचे केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में पचास नए सरकारी डिग्री कॉलेजों को शैक्षिक सुविधा की पहुंच और समानता को सुनिश्चित करने के लिए स्वीकृत और संचालित किया गया। केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर उन्नीस नए मॉर्डन स्कूलों को अगले तीन वर्षों के दौरान विकसित किया जाएगा। कोविड के पश्चात के परिदृश्य में ई-सामग्री वितरित करने के लिए स्मार्ट/आईटी-सक्षम कक्षाओं के उन्नयन ने इस कमी को पूरा करना शुरू कर दिया है। जम्मू और कश्मीर शिक्षा निवेश नीति 2020 को तैयार करते हुए इसके शीघ्र कार्यान्वयन के लिए अंतिम रूप दे दिया गया है। पहले से ही उच्च तकनीकी शिक्षायुक्त शहर, कॉलेज/विश्वविद्यालयों के लिए 327 करोड़ की लागत वाली परियोजनाएं प्रशासन को कार्यान्वयन के लिए सौंप दी गई हैं। सही मायने में यह इस हिंसाग्रस्त क्षेत्र के इतिहास में एक नया शुभारंभ है।

एनईपी 2020 के आगमन के साथ, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय बुनियादी साहित्यिक संख्यात्मकता, व्यावसायिक कौशल पर ध्यान केंद्रित करने के साथ भारत को वैश्विक ज्ञान केन्द्र बनाने के लिए वचनबद्ध है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि जम्मू और कश्मीर के बच्चे अपने जीवन और कार्यक्षेत्र में शिक्षण, कौशल और उन्नति के अवसरों को प्राप्त करने से वंचित न हों। प्रधानमंत्री की आत्म-निर्भर भारत की परिकल्पना के साथ, सरकार पूरी तरह से यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में विकास के एजेंडे को किसी भी हालत में अपने लक्ष्य से विमुख नहीं होना चाहिए। मेरा दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा सबसे अच्छा उपहार है जिसे हम अपनी पीढ़ियों को दे सकते हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबसे अच्छा निवेश है जिसका भुगतान हमें आने वाली पीढ़ियों के लाभांश के रूप में प्राप्त होगा। एनईपी 2020 इस परिवर्तन का शुभारंभ है।

रमेश पोखरियाल \’निशंक\’

*लेखक भारत सरकार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री हैं

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