संजौली मस्जिद विवाद को लेकर एमसी आयुक्त के कोर्ट में सुनवाई, सबंधित जेई और वक्फ बोर्ड को लगी फटकार
मामले की 5 अक्टूबर को अगली सुनवाई,जेई को फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के निर्देश
एप्पल न्यूज, शिमला
शिमला के सँजौली में एक दो नहीं पांच मंजिल की मस्जिद बन गई, जिसके न नक्शे पास है न कोई अन्य परमिशन। जमीन का मालिक कौन इसका पता नहीं। मस्जिद किसने बनाई उसका पता नहीं। नगर निगम के अधिकारी कहां सोए थे पता नहीं। वक्फ बोर्ड के अधिकारी कहा सोए थे पता नहीं। स्थानीय लोग क्यों सोए रहे ….. पता नहीं।
पता चला तो ….ये कि 2010 से अब तक कोर्ट में 44 पेशियां लग गई लेकिन जिसको पार्टी बनाया उसका न मस्जिद से लेना देना न वक्फ बोर्ड से। अब हक जताने सब आ गए। वक्फ बोर्ड कहता है मस्जिद हमारी लेकिन बनाई किसने पता नहीं।
नगर निगम कहता है जमीन सरकारी है मस्ज़िद कैसे बनी पता नहीं। जिला प्रशासन को भी कुछ पता नहीं। पता चला तो ये कि कोई बाहरी राज्य के लोग आए और एक दो नहीं पांच मजिलें तैयार कर दी वो भी बीच शहर में। लेकिन किसी को कुछ खबर नहीं। आखिर नगर निगम के वार्ड पार्षद, जेई, एसडीओ अन्य अधिकारी इस भवन के निर्माण में साझीदार बन कर मुकदर्शक क्यों बने रहे। ये जांच के साथ कार्रवाई का भी विषय है।
शिमला के संजौली में अवैध मस्जिद मामले में शनिवार को नगर निगम आयुक्त कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें वक्फ बोर्ड और संबंधित जेई को फटकार लगी है और मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को तय की गई है।
वक्त बोर्ड और जेई को स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने के निर्देश दिए गए हैं।मामले में संजौली के निवासियों की ओर से अदालत में पार्टी बनने को एप्लिकेशन दी गई।
संजौली लोकल रेजिडेंट (हिंदू संगठन) के एडवोकेट ने जगत पाल कहा, जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वह सरकारी है। वक्फ बोर्ड इसमें अतिक्रमणकारी है।
लोकल रेजिडेंट की ओर से अदालत में एक और एप्लिकेशन दी गई है, जिसमें कहा गया कि मस्जिद के कारण क्या क्या परेशानी हो रही है।
इस पर कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से भी जवाब मांगा है। अढ़ाई मंजिला मस्जिद 5 मंजिला कैसी हो गई, इस पर भी वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी से जवाब मांगा गया है।
संजौली हिंदू संगठन के एडवोकेट ने निर्माण में एक मास्टर माइंड की बात कही है जो बाहरी राज्य का बताया जा रहा है।
वहीं वक्फ बोर्ड के वकील भूप सिंह ठाकुर ने बताया कि एक मंजिल के निर्माण की उनको जानकारी है।
लेकिन उसके बाद बनी 4 और मंजिल किसने बनाई इसकी उनको भी जानकारी नहीं है।
वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में अपील की है कि मस्जिद को गिराया न जाए और इसका नक्शा पास किया जाए।
वहीं वक्फ बोर्ड के स्टेट ऑफिसर कुतुबदीन का कहना कि ज़मीन वक्फ बोर्ड की है।
रिकार्ड में भी एक मंज़िल मस्जिद दर्ज है लेकिन उसके बाद किसने निर्माण किया इसकी उनको भी जानकारी नहीं है।
बाहरी राज्यों से कुछ मुस्लिम लोग शिमला आए और उन्होंने स्थानीय मस्जिद कमेटी को भी दरकिनार कर अवैध रूप से चार और मंज़िल मस्जिद के बना दिए।
वक्फ बोर्ड ने मस्जिद को न गिराने की कोर्ट में अपील की है।
कोर्ट के आदेशों के बाद देखना होगा कि स्थानीय हिन्दू संगठन के लोगों का निर्णय को लेकर क्या रुख रहता है।
क्योंकि लोगों ने एक सप्ताह के भीतर मस्जिद को न तोड़ने की स्थिति पर खुद मस्जिद को तोड़ने की बात कही है। लेकिन कोर्ट से मामला अब 5 अक्तूबर तक लटक गया है।