एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में जल शक्ति विभाग में हुए कथित पानी घोटाले की जांच इन दिनों सुर्खियों में है। गर्मियों के दौरान टैंकरों से पानी की आपूर्ति के नाम पर 1 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की गई थी, जिसके बाद मामला विजिलेंस विभाग तक पहुंचा।
विभाग ने जांच तेज करते हुए अधिशासी अभियंता को छोड़कर 7 एसडीओ और जेई से गहन पूछताछ की। साथ ही एक ठेकेदार को भी जांच के दायरे में लाया गया है।
घोटाले का मुख्य स्वरूप
बीते साल जल शक्ति विभाग ने शिमला जिले के ठियोग तहसील के कई प्रभावित क्षेत्रों के लिए टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति का टेंडर निकाला था। हालांकि, हैरत की बात यह है कि एक ऐसा गांव, जो अभी तक सड़क से भी नहीं जुड़ा है, वहां पानी पहुंचाने का दावा किया गया।
जांच में यह भी पाया गया कि जिन टैंकरों से पानी की आपूर्ति की बात कही गई, उनमें से कुछ के स्थान पर मोटरसाइकिल और एक अधिकारी की गाड़ी के नंबर दर्ज थे। यह सीधे तौर पर घोटाले की ओर इशारा करता है।
विजिलेंस की कार्रवाई
सोमवार को विजिलेंस विभाग ने इन 7 अधिकारियों और एक ठेकेदार से करीब दो घंटे तक पूछताछ की, जिसमें कई अहम जानकारियां सामने आईं। बताया जा रहा है कि कुछ अधिकारियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं और उनके बैंक खातों की भी जांच की जा रही है।
इसके अलावा, पानी की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किए गए टैंकरों की लोकेशन जीपीएस के माध्यम से ट्रैक की जाएगी। टैंकर चालकों की वास्तविक लोकेशन और गतिविधियों का खुलासा मोबाइल फोन लोकेशन के जरिए किया जाएगा।
विजिलेंस की टीम ने जल शक्ति विभाग से संबंधित सभी रिकॉर्ड जब्त कर लिए हैं और पानी के स्रोतों का भी दौरा किया।
टीम ने गिरि नदी और क्यार खड्ड जैसे स्थानों का निरीक्षण किया, जिनसे पानी टैंकरों के माध्यम से प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाने का दावा किया गया था।
जांच के दायरे में कार्यालय कर्मी
सूत्रों के अनुसार, घोटाले में केवल इंजीनियर ही नहीं, बल्कि कार्यालय के लिपिक भी संलिप्त हो सकते हैं। जल शक्ति विभाग द्वारा जारी किए गए टेंडरों और आपूर्ति ऑर्डर की गहराई से जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी तो नहीं की गई।
घोटाले की गंभीरता
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोटाला 1.13 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने पहले ही जल शक्ति विभाग के 10 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया है।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने दोषियों को कड़ी सजा देने का आश्वासन दिया है, जबकि जल शक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा ने निष्पक्ष जांच का वादा किया है।
भविष्य की कार्रवाई
जांच धीरे-धीरे घोटाले की परतें खोल रही है। विजिलेंस टीम यह पता लगाने में जुटी है कि पानी की आपूर्ति के टेंडर में कितने लोगों ने भाग लिया और क्या प्रक्रिया में अनियमितता हुई।
साथ ही, उन क्षेत्रों में वास्तविक आपूर्ति की स्थिति की भी जांच हो रही है, जहां पानी पहुंचाने का दावा किया गया।
निष्कर्ष
यह घोटाला न केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि संसाधनों की बर्बादी और जनता के साथ धोखे की भी कहानी कहता है।
सरकार और विजिलेंस टीम की त्वरित कार्रवाई ने उम्मीद जगाई है कि दोषियों को उनके किए की सजा मिलेगी और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकेगा।