एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानियां ने पुणे में आयोजित 14वीं अखिल भारतीय छात्र संसद को संबोधित करते हुए भारतीय लोकतंत्र, संविधान और विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं की भूमिका पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय राजनीति में विचारों की भिन्नता के बावजूद, लोकतंत्र और संविधान मजबूत और सर्वोपरि हैं। उन्होंने छात्रों को इतिहास से सीखकर एक नया और विकसित भारत बनाने की प्रेरणा दी।

लोकतंत्र की शक्ति और विचारधाराओं का समन्वय
कुलदीप पठानियां ने कहा कि भारत में अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराएं और दल हैं, लेकिन सभी का लक्ष्य जनहित, मजबूत लोकतंत्र और पारदर्शी सुशासन है। विचारधारा में मतभेद लोकतंत्र का स्वाभाविक हिस्सा है और यही लोकतांत्रिक प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाता है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी नेताओं की विचारधारा अलग थी—भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे क्रांतिकारी गरम दल से थे, जबकि महात्मा गांधी, नेहरू और कृपलानी शांतिपूर्ण आंदोलन के पक्षधर थे। फिर भी, दोनों विचारधाराओं का लक्ष्य देश की आज़ादी ही था।
उन्होंने कहा कि इसी तरह, वर्तमान में भी विभिन्न राजनीतिक विचारधाराएं भारत में सक्रिय हैं। कोई वामपंथी सोच रखता है, तो कोई दक्षिणपंथी, और कुछ लोग बीच का रास्ता अपनाते हैं। लेकिन अंततः सभी का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण और सुशासन है।
संघ-राज्य संबंधों में संतुलन की आवश्यकता
पठानियां ने अपने भाषण में इस बात पर भी जोर दिया कि संघ और राज्यों के बीच सहयोग अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र संघ (केंद्र सरकार) और राज्य सरकारों को मिलकर कार्य करना चाहिए, ताकि संसाधनों का उचित वितरण हो और राज्य संतुलित विकास कर सकें। उनका मानना है कि संघ की ओर से राज्यों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए और राज्यों को उनके हिस्से का संसाधन समय पर मिलना चाहिए। इससे देश की अर्थव्यवस्था और शासन प्रणाली और अधिक सशक्त होगी।

तकनीकी बदलाव और युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी
तकनीकी प्रगति का जिक्र करते हुए पठानियां ने कहा कि तकनीक विचारधारा को भी प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि समय के साथ पुरानी सोच को पीछे छोड़कर नई पीढ़ी को बदलाव को अपनाना होगा और भारत को आगे ले जाना होगा।
डिजिटल क्रांति, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और स्वचालन जैसी तकनीकें न केवल प्रशासन और अर्थव्यवस्था को बदल रही हैं, बल्कि राजनीतिक प्रणाली को भी प्रभावित कर रही हैं।
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी की भूमिका
उन्होंने एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी और डॉ. राहुल करड़ की सराहना की, जिन्होंने राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन, भारतीय छात्र संसद, राष्ट्रीय अध्यापक कांग्रेस, राष्ट्रीय महिला संसद और सरपंच संसद जैसी पहलों से लोकतंत्र को मजबूती दी है। इससे युवा नेतृत्व को बढ़ावा मिलेगा और आने वाले समय में भारत के नेता और अधिक कुशल और पारदर्शी होंगे।
छात्र संसद में प्रमुख हस्तियां
इस अवसर पर दस हजार से अधिक छात्र मौजूद थे। साथ ही, एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी डॉ. कन्हैया कुमार, राज्यसभा सांसद ए.आर. रहमान और लोकसभा सांसद राज कुमार रोट ने भी विचार साझा किए। हिमाचल प्रदेश के कई विधायक भी इस आयोजन में शामिल हुए।
कुलदीप सिंह पठानियां का भाषण भारतीय लोकतंत्र की शक्ति, विभिन्न विचारधाराओं के समन्वय और युवा नेतृत्व की भूमिका पर केंद्रित था। उन्होंने संघ-राज्य संबंधों में संतुलन, तकनीकी बदलाव को अपनाने और युवाओं को नई सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
उनका मानना है कि छात्र संसद जैसे कार्यक्रम लोकतंत्र को मजबूत करने और भविष्य के नेताओं को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।