एप्पल न्यूज़, शिमला
रोहित ठाकुर, पूर्व विधायक व पूर्व मुख्य संसदीय सचिव (कृषि) ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से कोरोना महामारी से उत्पन्न किसानों-बाग़वानों से जुड़ी समस्याओं को लेकर मुलाकात की। पैकेजिंग सामग्री, मजदूर, विपणन, ऋण माफ़ी आदि विषयों को लेकर गहन चर्चा हुई।
उन्होंने मुख्यमंत्री को किसानों-बाग़वानों की ज़मीनी स्तर की समस्याओं और उसके निदान को लेकर मांग पत्र सौंपा जो कि निम्नलिखित हैं:-
आदरणीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी।
\"जय हिंद\"
महोदय, वैश्विक कोरोना महामारी ने जन जीवन सहित हर क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया हैं। वैश्विक कोरोना महामारी से प्रदेश में कृषि एवं बाग़वानी क्षेत्र घोर संकट की चपेट में आ गया प्रदेश भौगोलिक रूप से एक पहाड़ी राज्य हैं, यहां की 90% आबादी गांव में रहती हैं जबकि 70% जनसंख्या पूर्ण रूप से कृषि पर निर्भर हैं। मज़बूत कृषि क्षेत्र की आर्थिकी न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बनाती हैं बल्कि प्रदेश की विकास दर को संभालने में भी अहम योगदान हैं। गत वर्ष जहां एक ओर पूरा भारतवर्ष मंदी की चपेट में था वहीं हिमाचल प्रदेश कृषि क्षेत्र में ख़ासकर सेब की लगभग ₹ 5000 करोड़ की आर्थिकी के चलते अन्य राज्यों के मुकाबले मज़बूत विकास दर के साथ खड़ा था। महोदय, मौजूदा वैश्विक कोरोना महामारी से उत्पन्न विकराल परिस्थितियों से जहां आम जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया हैं वहीं कृषि क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ हैं,यदि समय रहते कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान न किया गया तो आने वाले समय में इसके गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। विषय की गम्भीरता को देखते हुए मैं निम्न बिंदुओं के माध्यम से कृषि क्षेत्र की समस्याओं व मूलभूत आवश्यकताओं को आपके ध्यानार्थ लाकर हल की आशा रखता हूँ :-
- फल पैकेजिंग सामग्री को उपलब्ध करवाना:- प्रदेश में चैरी व अन्य स्टोन फ्रूट का सीज़न चल पड़ा हैं जबकि सेब, नाशपाती आदि फलों के सीज़न में कुछ ही दिन शेष बचे हैं। गौरतलब हैं कि इस वर्ष भी सेब की सामान्य पैदावार होने का अनुमान हैं। कोरोना महामारी के चलते पैकेंजिंग सामग्री का उत्पादन मार्च माह से ठप्प पड़ा हुआ हैं, ऐसे में औघोगिक क्षेत्र नालागढ़, बद्दी, कालाअंब में कार्टन व ट्रे इकाइयों में सरकार मज़दूरों के स्वास्थ्य सुरक्षा में ज़रूरी एहतियात बरतकर पैकिंग सामग्री का पुनः उत्पादन युद्स्तर पर करना सुनिश्चित करें। बागवानों को परेशानी न हो इसलिए सरकार पहले की तरह HPMC व HIMFED के माध्यम से पैकेजिंग सामग्री की आपूर्ति करें व निजी विक्रेताओं की भी भागीदारी सुनिश्चित करें।
- श्रमिकों का प्रबंध करना:- प्रदेश में कृषि कार्य के लिए बाहरी राज्य व मैत्री देश नेपाल के श्रमिकों पर निर्भर रहना पड़ता हैं। 90% श्रमिक अकेले नेपाल से हिमाचल के विशेषकर सेब बाहुल्य क्षेत्रों में आते हैं, श्रमिकों के परिश्रम से ही सेब व अन्य बाग़वानी उत्पाद बाज़ार में पहुँच पाते हैं। हर वर्ष 15 जून के बाद सेब सीजन शुरू हो जाता हैं। वर्तमान में वैश्विक कोरोना महामारी को देखते हुए प्रदेश सरकार केंद्र से मामला उठाएं ताक़ि समय रहते इस गम्भीर विषय को नेपाल सरकार से समाधान हेतु ध्यानार्थ में लाया जा सकें। नेपाल से श्रमिकों का आना प्रारम्भ हो और ज़रूरी स्वास्थ्य जांच व क्वारन्टीन के बाद उन्हें राज्य के सेब बाहुल्य क्षेत्रों में भेजा जाए।
- HPMC के माध्यम से विपणन करवाना:- पहाड़ी राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में पैकेजिंग सामग्री, कृषि उत्पादों को देश की विभिन्न मंडियों में पहुँचाने और किसानों के उत्पादों के वाज़िब दाम दिलवाने के उद्देश्य से 1970 के दशक में HPMC की स्थापना की गई थी, लेक़िन वर्तमान में उस उददेश्य से कार्य नही किया जा रहा हैं। कोरोना महामारी से उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों से पारंपरिक बाज़ार अस्त व्यस्त हो चुके हैं, इन सब बातों को देखते हुए HPMC की विपणन में महत्वत्ता बढ़ चुकी हैं और इसे सुदृढ़ करने की आवश्यकता हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में HPMC के माध्यम से विपणन किया जाए जिससे किसान लाभान्वित हो सकें। गत्त वर्ष जम्मू-कश्मीर में बागवानों का सेब सरकारी एजेंसी NAFED द्वारा ख़रीदा गया था उसी तर्ज़ पर हिमाचल में भी व्यवस्था की जाए।
- कृषि क्षेत्र के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय निगरानी कमेटी बनाना:- कृषि क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय निगरानी कमेटी गठित की जाए और कृषि क्षेत्र में समयबद्ध तरीक़े से कार्य की समीक्षा हो व साथ ही लिए गए निर्णयों पर अमलीजामा पहनाया जाएं।
- किसानों को राहत देने के लिए कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए:- कोरोना महामारी के चलते कृषि उद्योग को भारी नुक़सान पहुँचा हैं । बेमौसमी सब्जियों का लागत मूल्य भी किसानों को नहीं मिल पा रहा हैं। किसानों को राहत देने के लिए बेमौसमी सब्जियों व अन्य कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए। सेब की बढ़ती उत्पादन लागत के कारण समर्थन मूल्य में उचित वृद्धि की जाए। लगभग पिछले दो वर्षो से बागवानों की MIS के तहत ₹50 करोड़ की लम्बित बक़ाया राशि तुरन्त ज़ारी की जाए।
- लघु एवम् सीमांत किसानों के कृषि ऋण माफ़ करना:- वैश्विक कोरोना महामारी ने अन्नदाता किसान को सबसे अधिक प्रभावित किया हैं। सभी उद्योग जगत ने वैश्विक कोरोना महामारी के सामने घुटने टेक दिए हैं वहीं किसान विपरीत परिस्थितियों में दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ जिम्मेदारियों को निभा रहा हैं। उद्योग दोबारा चल सकते हैं यदि कृषि क्षेत्र की गति थम गई तो कोरोना के साथ-2 देश में भुखमरी की बड़ी समस्या भी खड़ी हो सकती हैं। कृषि क्षेत्र को गतिशील बनाएं रखने के लिए लघु एवम् सीमांत किसानों के ऋण माफ़ किए जाएं। गौरतलब हैं कि प्रदेश के 90% किसान लघु एवम् सीमांत किसानों की श्रेणी में आते हैं।
- बजट में स्वास्थ्य व कृषि क्षेत्र को दे प्राथमिकता:- प्रदेश सरकार ने वैश्विक कोरोना महामारी के दुष्प्रभाव से पहले वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट तैयार कर दिया था। वर्तमान में बदली हुई परिस्थितियों को देखते हुए इसे संशोधित कर स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी जाएं।
- कीटनाशक व फफूंदनाशक दवाइयों को मांग अनुरूप उपलब्ध करवाना:- बाग़वानों को मांग अनुरूप कीटनाशक व फफूंदनाशक दवाइयां उपलब्ध नही हो पा रही हैं जो कि चिंता का विषय हैं। सरकार बागवानों को मांग अनुसार गुणवत्ता वाली दवाइयां उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें।
- प्रदेश में भंडारण के लिए सीए स्टोर व फल प्रसंस्करण केंद्र और खोलें जाए:- कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए सीए स्टोर व फल प्रसंस्करण केंद्र ज़्यादा मात्रा में खोलें जाए जिससे किसान अपनी फ़सल को सुरक्षित रख पाए व उचित दाम में बेच सकें। पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा एपीड़ा के माध्यम से तीन सीए स्टोर स्वीकृत करवाएं गए थे जिसकी सभी औपचारिकताएं पूरी कर केंद्र सरकार के साथ समझौता (एमओयू) भी हो चुका था । दुर्भाग्यवश बिना कारण तीनों सीए स्टोरों को रद्द कर दिया गया। इन तीन सीए स्टोरों का पुनः केंद्र सरकार के समक्ष मामला उठाया जाएं।
- ओलावृष्टि से हुए भारी नुक़सान का मुआवज़ा दिलवाएं:- वैश्विक कोरोना महामारी से आम जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया हैं वहीं आए दिन ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी हैं। ऐसे समय में अन्नदाता किसान के पास रोजगार का कोई अन्य साधन नही हैं। सरकार ओलावृष्टि से हुए नुक़सान का आंकलन कर किसानों को उचित मुआवज़ा दें जिससे किसान इस विकट परिस्थिति में फ़िर से अपना कार्य सुचारू रूप से कर सकें।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ करें:- वैश्विक कोरोना महामारी के चलते किसान, प्रवासी श्रमिकों, दैनिक भोगी, छोटे-2 दुकानदार आदि सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ कर जरूरतमदों व असहायों को निःशुल्क राशन उपलब्ध करवाएं।
मुख्यमंत्री महोदय जी, मुझे पूर्ण उम्मीद हैं कि वैश्विक कोरोना महामारी से उभरने और धरातल में किसानों, मजदूरों और आम जनता की परेशानियों को दूर करने के लिए आप उपरोक्त जनहित की मांगो पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगें।
आदर सहित।(रोहित ठाकुर) पूर्व विधायक एवम् पूर्व मुख्य संसदीय सचिव (कृषि)