एप्पल न्यूज़, शिमला
भारतीय मौसम विभाग ने आगामी मानसून सामान्य से अधिक रहने की संभावना व्यक्त की है जिसके दृष्टिगत सभी उपायुक्तों, विभागों और अन्य संस्थाओं को पर्याप्त तैयारियां करने और समय-समय पर उचित सलाह प्रदान करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि जान और माल को नुकसान से बचाया जा सके।
मुख्य सचिव अनिल खाची ने यह यहां सभी उपायुक्तों से आगामी मानसून को लेकर की जा रहीं तैयारियों के संदर्भ में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि भूस्खलन व बाढ़ के लिए संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित किया जाना चाहिए तथा लोक निर्माण विभाग को अग्रसक्रिय भूमिका निभाते हुए आवश्यक मशीनरी व श्रमशक्ति तैनात करनी चाहिए ताकि आम जनता को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
मुख्य सचिव ने कहा कि उन क्षेत्रों में समय रहते पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री, चारे व ईंधन का पर्याप्त मात्रा में भंडारण किया जाए जिनकी प्राकृतिक आपदाओं के कारण शेष हिस्सों से कटने की संभावना हो। विशेषकर, राज्य के जनजातीय क्षेत्रों जैसे किन्नौर, लाहौल-स्पीति, पांगी, भरमौर और डोडरा-क्वार जैसे क्षेत्रों में आवश्यक सामग्री पर्याप्त मात्रा में भेजी जाए जो अक्सर भारी वर्षा के दौरान राज्य के दूसरे भागों से कट जाते हैं।
शिमला और राज्य के अन्य नगरों की चर्चा करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि उपायुक्तों, शहरी स्थानीय निकायों, नगर निगमों व नगर परिषद्ों को नालियों की साफ-सफाई और इनमें जल भराव रोकने के लिए पर्याप्त मात्रा में श्रमिक तैनात करने चाहिए। इससे घरों में पानी घुसने और सड़कों को नुकसान से बचाने में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने सभी उपायु࣭क्तों को जल निकासी प्रणालियों तथा बाढ़ संभावित क्षेत्रों में अतिक्रमण तथा अवरोधों को रोकने के लिए भी कहा।
उन्होंने कहा कि नदियों के मुहानों तथा नालों के नज़दीक तथा बाढ़ संभावित क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को उनकी सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाए तथा संभावित भारी बारिश के बारे में पूर्व सूचना एवं चेतावनी जारी की जाए।
अनिल खाची ने कहा कि आपातकाल से प्रभावी रूप से निपटने के लिए बचाव व बचाव दलों को हमेशा सतर्क रखा जाए। उन्होंने बचाव अभिायान के दौरान आवश्यक सामग्री की सूची का प्रस्ताव भेजने पर भी बल दिया और कहा कि कोविड-19 के दृष्टिगत आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों को प्रशिक्षण के दौरान इस महामारी के बारे में जागरुक किया जाए। अगर कोई संभावित कोविड मरीज़ को सहायता प्रदान की जानी हो तो उस स्थिति के लिए व्यक्ति सुरक्षा उपकरणों व अन्य उपकरणों की पर्याप्त व्यवस्था की जाए ताकि वायरस न फैल सके।
उन्होंने कहा कि उपायुक्त सम्बंधित बांध अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकें आयोजित करें तथा बांधों से जल छोड़ते समय केन्दªीय जल आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/सलाह व चेतावनी प्रणालियों का कड़ाई से पालन किया जाए।
मुख्य सचिव ने विद्युत विभाग को समय रहते सुधारात्मक उपाय जैसे रिहायशी मकानों व मवेशियों के स्थानों में बिजली के खतरे के दृष्टिगत लटकी हुई तारों को ठीक करने के निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त, सभी उपायुक्तों को ज़िला चिकित्सा अधिकारी के साथ मिलकर ज़िलों मे एन्टीवेनम वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि ज़िलों में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि राज्य में अभी तक धार्मिक यात्राओं पर प्रतिबंध है, लेकिन यदि आने वाले समय में इसकी अनुमति प्रदान की जाती है तो हमें कोविड के दृष्टिगत माॅनसून को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कदम उठाने होंगे।
मुख्य सचिव ने उपायुक्तों को डाॅपलर वैदर रडार स्थापित करने के लिए प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों को तुरंत मंजूर करने तथा जहां भी आवश्यकता हो, वन स्वीकृतियों के मामलों में भी शीघ्रता लाने के निर्देश दिए।
प्रधान सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन ओंकार शर्मा ने उपायुक्तों को निर्देश दिए कि आपदा शमन के लिए जारी किए गए धन का उपयोग निर्धारित मानदंडों के अनुरूप किया जाए तथा उपयोग प्रमाण पत्र शीघ्र प्रस्तुत किए जाने चाहिए ताकि आने वाले मानसून को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त धन का प्रावधान किया जा सके।
उन्होंने ज़िला कांगड़ा, मण्डी तथा शिमला में आपदा प्रतिक्रिया बल के लिए भूमि चिन्हित करने पर भी बल दिया।
मुख्यमंत्री के विशेष सचिव और निदेशक आपदा प्रबंधन डी.सी. राणा ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया तथा आने वाली वर्षा ऋतु के दौरान उठाए जाने वाले आवश्यक एहतियाती उपायों तथा वर्तमान परिदृश्य की विस्तृत जानकारी भी दी।
इस अवसर पर भारतीय मौसम विभाग, केन्दªीय जल आयोग, पुलिस और नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।