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पूँजीपतियों के मददगार किसान विरोधी कृषि क़ानून को तुरन्त वापस ले केंद्र सरकार, किसान आन्दोलन को रोंदने की मंशा त्यागे- अग्निहोत्री

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एप्पल न्यूज़, शिमला

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है की पूँजीपतियों के मददगार किसान विरोधी क़ानून केंद्र की सरकार को तत्काल बापिस लेने चाहिए और केंद्र को बिना देरी किए किसानों से बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा की खट्टर सरकार को अन्नदातयों पर किए अत्याचार के लिए अभिलंब माफ़ी माँगनी चाहिए। केंद्र सरकार को भी किसान की ताक़त का एहसास हो गया होगा इसलिए दमनक़ारी तरीक़े अपनाकर किसान के आन्दोलन को रोंदने की मंशाए त्याग देनी चाहिए।

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का ऐसे वातावरण में भी क़ानून को सही टेहराना ज़ाहिर करता है कि सरकार किसान विरोधी मानसिकता से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि जो राज्य सरकारें क़ानून का समर्थन करते हुए मूठी भर पूँजीपतियों के साथ खड़ी हैं उनको भी इस का खमियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पूँजीपतियों के साथ मिल कर किसान के उत्पाद को ओने-पोने दाम पर ख़रीदने और फिर उनकी ज़मीनो पर क़ब्ज़े की साजीश का भंडा फोड़ हो गया है। देश का किसान अपने अस्तित्व की जो लड़ाई लड़ रहा है उसमें हम किसान के साथ हैं उन्होंने कहाकि हिमाचल सरकार के मंत्री भी जो इस आंदोलन को आढ़तीयों की साज़िश बताते रहें हैं किसान आन्दोलन ने उनकी भी आँखे खोल दी होंगी जब लाखों किसान जान से बेपरवाह हो कर तमाम रुकावटें पार कर दिल्ली में डेरा डाल चुकें हैं। उन्होंने कहाकि देश के करोड़ों किसान सड़कों पर हैं पंजाब के मुख्यमंत्री ने किसान का साथ देक़र देश की खेती और किसान को बचाने में निर्णायक भूमिका निभाई है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मंडियों के ढाँचे को धबस्त करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य की माँग को क़ानून में जगह मिलनी चाहिए थी, इस बज़ह से किसान आंदोलित है।
उधर दूसरी तरफ़ मुकेश अग्निहोत्री ने कहा की कोविड को निपटने में सरकार फेल हो गई है और रोज़ फ़ेसले बदलने और पलटने से सरकार की लगातार फ़ज़ीहत हो रही है। फ़ेसले पूरी तरह काग़ज़ी साबित हो रहे है ज़मीन पर उनका कोई प्रभाव नही है और सबसे ज़ायदा निर्णयों का उलंघन सरकार ही कर रही है। उन्होंने दलील दी की सरकार ने इस दौरान हज़ारों अधिसूचनाए जारी की है जो फ़ाइलों में ही दफ़न होकर रह गई है। एक दिन करफ़ु आठ बजे लगातें हैं दूसरे दिन नो बजे कर देते हैं, एक दिन शादियों में दो सो की इजाज़त अगले दिन पचास कर देतें हैं। इसलिए इसे पलटू सरकार कहा जा रहा है जो कन्ही भी नही टिकती। कोरोना काल में मास्क के बहाने करोड़ों के जुर्माने किए अब तो सजा का भी प्रावधान कर दिया , हज़ारों मामले दर्ज किय लेकिन किसी को मुफ़्त में मास्क उपलब्ध नही करवाया। हस्पतालों पर लोगों का विश्वास नही। इंदिरागाँधी मेडिकल कॉलेज में मरने वालों की संख्या 170 के आसपास है। उन्होंने कहाकी प्रदेश में जो 625 लोग कोरोना से मरे उसके लिए सरकारी जीमेवार है। इसी लिए सरकार सत्र से भाग रही है। अमरीका में चुनाव कोरोना में हो गए। बिहार मेन चुनाव हो गए। दिल्ली में हज़ारों किसान डेरा डालें हैं, हेदराबाद में रोडशो चल रहे हैं, जम्मू में निकाय चुनाव हो रहे है। लेकिन हिमाचल में सत्र सरकार के लिए खोफ है जबकि सरकार की रेल्लीयां – जनमंच शिलान्यास सब चले हुए थे, जबकि जल्द ही प्रदेश में पंचायतों के चुनावों में लाखों को वोट डालना है। सिर्फ़ सत्र से ही ख़तरे हैं।

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