एप्पल न्यूज़, कुल्लू
उपायुक्त डाॅ. ऋचा वर्मा ने कहा कि जिला में एवियन इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी का बहरहाल कोई मामला नहीं है। इसपर लोगों को पैनिक करने की कोई जरूरत नहीं है और न ही घबराने की आवश्यकता है। वह एवियन इन्फ्लूएंजा की रोकथाम व नियंत्रण के लिए कार्यनीति पर संबंधित विभागों के साथ चर्चा कर रही थी।
उपायुक्त ने कहा कि जिला में पहले ही खण्ड स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इन टीमों में पशु पालन, स्वास्थ्य व वन विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया है। ये टीमें लगातार पक्षियों की मौत पर नजर रखें हैं। सभी जलाश्यों, बांधों इत्यादि में सर्विलेन्स की जा रही है। कुल्लू के समीप मोहल में कुछ दिन पहले पांच कौवों व दो मैना की मौत हुई थी। इनमें बर्ड फ्लू की कोई शिकायत नहीं पाई गई है। उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को आपस में तालमेल बनाकर लगातार बर्ड फ्लू पर कड़ी नजर रखने को कहा है।
डाॅ. ऋचा वर्मा ने कहा कि यदि कहीं से पक्षी के मरने की सूचना मिलती है तो तुरंत से टीम वहां पहंुचे और उपयुक्त तरीके से पक्षी के सैंपल लेकर इन्हें दबाया जाए। उन्हें अवगत करवाया गया कि मरे हुए पक्षी को अब जलाया नहीं जाता है, बल्कि दफनाया जा रहा है। उन्होंने आम लोगों से भी अपील की है कि यदि कहीं पर कोई पक्षी मरा हुआ पाया जाता है तो उसके समीप न जाएं और हाथ न लगाएं। इसकी सूचना तुरंत से वन विभाग, पशुपालन विभाग अथवा आपातकालीन नम्बर 1077 पर दें।
उपनिदेशक पशु स्वास्थ्य विभाग डाॅ. नड्डा ने कार्ययोजना के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और पुलिस विभाग की भी भूमिका है। यदि किसी व्यक्ति को बर्ड फलू हो जाता है तो अस्पताल में उसके लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बीमारी फैलने वाले स्थल पर पीपीई किट का उपयोग करने का प्रोटोकोल है। उपयोग की गई पीपीई किट को जलाकर इसका निदान किया जाना चाहिए। मरे हुए पक्षियों के एकत्र सैंपलों को तुरंत से विशेष संवाहक के माध्यम से जालंधर अथवा भोपाल परीक्षण के लिए भेजा जाना अनिवार्य है। प्रभावित क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही नहीं हो सकती। यदि बीमारी फैलने की आंशका होती है तो तुरंत से नियंत्रण कक्ष की स्थापना की जानी चाहिए।
बैठक में अरण्यपाल अजीत ठाकुर, वनमण्डलाधिकारी प्रवीण ठाकुर, ऐश्वर्य राज, राकेश कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।