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‘‘भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच-कसुम्पटी, शिमला’’ का गठन, फेक्टर-2 लागू करवाने के लिए करेंगे संघर्ष – कौंडल

‘‘भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच, कसुम्पटी’’ से 100 सदस्य लेंगे 22 अक्तूबर को मण्डी प्रदर्शन में हिस्सा – जयशिव

एप्पल न्यूज़, शिमला

हिमाचल किसान सभा द्वारा कसुम्पटी क्षेत्र की पंचायतों के लिए ‘‘भूमि अधिग्रहण अधिनियम-2013 (चार गुना मुआवजा) को लागु करवाने के मुद्दे पर एक बैठक पुजारली में आयोजित की गई जिसमें 60 से अधिक प्रभावित किसानों ने भाग लिया।

किसान सभा ने संघर्षरत ‘‘भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच’’ का समर्थन करते हुए 22, अक्टूबर 2021 को मंडी में राज्य स्तरीय प्रदर्शन में 100 से अधिक प्रभावित परिवारों द्वारा हिस्सा लेने का लक्ष्य लिया।

बैठक में ‘‘भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच-कसुम्पटी’’ का गठन किया गया जिसमें 19 सदसीय कमेटी का गठन किया तथा जयशिव ठाकुर को संयोजक तथा नेकराम को सह-सयोंजक चुना गया।

कमेटी में जगदीश शर्मा, बी.डी. शर्मा, परमानंनद शर्मा, मदन ठाकुर, दलीप ठाकुर, शुभम कंवर, अनिल मेहता, देवेन्द्र कुमार, अमर ठाकुर, महेन्द्र ठाकुर, देवेन्द्र कंवर, हीरा सिंह, मान सिंह, कपिल शर्मा, कंवर भूपेन्द्र सिंह, नरेन्द्र ठाकुर को सदस्य चुना गया।
‘‘भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच’’ के प्रदेशाध्यक्ष श्री बी.आर. कौंडल ने प्रभावित परिवारों के सदस्यों को भूमि अधिग्रहण कानून-2013 के प्रावधानों बारे अवगत करवाते हुए कहा कि इस मुददे पर कानून के दायरे में समाधान नहीं मिलने वाला।

सरकार 2018 के अपने वायदे से पीछे हटते हुए प्रभावित किसानों से घोखा कर रही है। जब तक प्रभावित परिवार संगठित होकर संघर्ष नहीं करेंगे तब तक उनके हक में फैसला नहीं होने वाला। उन्होने किसानों को हर कोने से हिस्सा लेते हुए मण्डी रैली को सफल बनाने का आहवान किया।
कौंडल ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून-2013 को हिमाचल सरकार लागू नहीं कर रही है। जबकि सरकार ने 2018 में पुर्नस्थापना, पुर्नवास तथा भूमि अधिग्रहण कानून-2013 के अनुसार फैक्टर-2 (चार गुणा मुआवजा) को लागू करने की बात की थी। लेकिन साढ़े तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी हिमाचल सरकार अभी तक किसानों के पक्ष में फैसला नहीं ले पाई है। और जमीन को कौड़ियों के भाव लेकर किसानों को बर्बाद करने पर तुली है।
हिमाचल किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि किसानों को अपने पुराने तजुर्बे तथा देशव्यापी किसान आन्दोलन से सीख लेनी चाहिए कि बिना संघर्ष के किसानों को अपने हक नहीं मिलते। उन्होने उदाहरण पेश करते हुए जमीन की बेदखली का आन्दोलन, ज्रगली जानवरों से निजात का संघर्ष, सब्जी मण्डी ढली का संघर्ष दोहराते हुए किसानों द्वारा जीत को हासिल करने के अनुभवों को सांझा किया।

वहीं इस मौके पर उपस्थित उप नगरीय जन कल्याण समन्वय समिति के सचिव गोविन्द चतरांटा तथा ऐडवोकेट कंवर भूपेन्द्र ने भी अपने पिछले 35 वर्षों के संघर्षों के तजुर्बों को सांझा किया तथा किसानों को उत्साहित किया।
किसान सभा के जिलाध्यक्ष सत्यवान पुण्डीर ने जमीन के इस संघर्ष को जीने के लिए संघर्ष के रूप में लेने की अपील करते हुए मण्डी रैली में अधिक किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने का आहवान किया।

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