एप्पल न्यूज़, शिमला
नियुक्त किसान मंच के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि किसान बागवानों के हित में 20 सूत्रीय मांगपत्र जयराम सरकार को भेज था लेकिन आज तक 28 संगठनों को दिए आश्वासन में एक भी पूरा नहीं हुआ। पैकेजिंग मैटीरियल पर 18% दाम बढ़ाए और GST कम करने की मांग की लेकिन नहीं किया। उन्होंने सरकार से पूछा कि बताएं किसे GST वापस दिया।
दवाई का एक डब्बा भी बागवानों को नहीं दिया। बागवानों के साथ ठगी की गई। यही नहीं आनन फानन में घटिया क्वालिटी की दवा बागवानों को भेजी गई।
MIS का पैसा मंच के दबाव में कुछ केंद्रों को भेजा। सेब पर आयात शुल्क पर भाजपा व कांग्रेस किसी ने भी 100% नहीं किया। WTO का हवाला देना ठीक नहीं। सेब पर आयात शुल्क 70% ही है। अमेरिका पर केवल जबकि अन्य 43 देशों में 50% ही है। यदि अमेरिका के लिए 70% हो सकता है तो अन्य देशों से आयात के लिए क्यों नहीं।
सीए स्टोर बनाने की मांग को भी दरकिनार किया गया। चीन का सेब रोक गया तो फिर ईरान का सेब भी रोकें जो अवैध टीके से आ रहा है।
इस बागवानी को बचाना है तो कश्मीर की तर्ज पर हिमाचल के बागवानों को भी लाभ दें। एक देश एक कानून के तहत पूरे देश के बागवानों से खरीद की जाए।
APMC की पेमेंट के लिए बागवान तरस रहे हैं। एक्ट के 2005 के नियम लागू किए जाएं। वजन के हिसाब से तौलकर सेब और अन्य फल सब्जी मंडियों में खरीदी जाए।
टमाटर तोलकर बेचे जा रहे हैं वैसे ही सेब भी किलो के हिसाब से बेचे जाएं।
राज्य के सेब पर सरकार टैक्स वसूला जा रहा हैं जो गलत है।
मंच ने कहा कि प्रदेश की 68 में से 30 विधानसभा सीटें बाग़वानी बाहुल्य हैं ऐसे में सभी दलों को देखना होगा कि बागवानों की अनदेखी न करें अन्यथा किसान बगवान निर्णय लेंगे और वोट की ताकत रोजी रोटी के लिए इस्तेमाल करेंगे।
उन्होंने कांग्रेस ने पूछा कि पहली कैबिनेट में कर्मचारियों को OPS बहाल करेंगे लेकिन बागवानों के 20 सूत्रीय मांगपत्र को कब लागू करेंगे बताएं।
3 आजाद उम्मीदवारों को सेब चुनाव चिन्ह मिला है, क्या चुनाव के बाद सेब को भूल जाएंगे या फिर याद रखेंगे।
मंच ने सभिण्डलों से पूछा कि गारंटी, दृष्टिपत्र में सेब बागवानों का क्या होगा, जरूर बताएं। कितने वादे या गारंटी करेंगे या फिर चुनावी वादे ही करेंगे, इस पर जल्द निर्णय लें।
उन्होंने किसान बागवान मतदाताओं से आग्रह किया कि प्रत्याशियों से जरूर पूछें कि किसान बागवानों के लिए वह क्या करने वाले है।