एप्पल न्यूज़, शिमला
मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कहा कि इस तरह का कदाचार काफी समय से चल रहा था और ऐसा प्रतीत होता है कि आयोग अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन पारदर्शिता से नहीं कर रहा था।
नरेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और आयोग के कामकाज में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस निर्णय से नौकरी चाहने वाले युवाओं का विश्वास भर्ती एजेंसियों पर बना रहेगा।
मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर एडीजी एसवी एंड एसीबी ने एचपीएसएससी द्वारा आयोजित पिछली परीक्षाओं में कथित कदाचार के संबंध में और खुलासे की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया है।
उन्होंने कहा कि टीम का नेतृत्व डीआईजी एसवीएसीबी जी. शिवकुमार करेंगे और तीन पुलिस अधीक्षक, चार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और तीन पुलिस उप-अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्य में अपना सहयोग प्रदान करेगे।
उन्होंने कहा कि वे आरोपों की पूछताछ/जांच करेंगे और हमीरपुर में चल रही जांच में सहयोग के लिए एक अलग तकनीकी टीम का भी गठन किया गया है।
गौर हो कि इस मामले में पूरे आयोग को ही सस्पेंड कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि अभी करीब 3-4 भर्तियों में सीधे धांधली के तथ्य बरामद हो चुके हैं जबकि अभी बीते 3 वर्षों की भर्तियीं पर बादल मंडरा रहे हैं।
ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अभी आयोग की फाइलों में दबे न जाने कितने गढ़े मुर्दे उखड़ेंगे जो बताएंगे कि कितना घोटाला हुआ है और कितने ही युवाओं के भविष्य को तबाह कर मार डाला गया है।
सूचना है कि जांच की आंच अब उन सभी बोर्ड, आयोग और संस्थानों तक जा सकती है जहां किसी भी तरह की भर्ती हुई हो। ऐसे में में हमेशा सुर्खियों में रहे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय पर भी सबकी नजरें हैं।