एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव पर भ्र्ष्टाचार करने के आरोप लगे हैं। मामले को लेकर कांग्रेस और सीपीएम ने भी सरकार से जांच की मांग की है।
मामला प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजे गए एक शिकायत के माध्यम से उजागर हुआ है। जिसको लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने अक्टूबर 2021 में प्रदेश सरकार को जांच के लिए पत्र भेजा लेकिन मामले की अभी तक तक जाँच नहीं हो पाई है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने एसीएस फारेस्ट रहते हुए कई अनियमितताएं की है जिसकी जाँच होनी चाहिए।
शिकायतकर्ता बृजलाल ने कहा कि राम सुभग सिंह ने एसीएस वन विभाग रहते नगरोटा सूर्या में बनाए गए इंटरप्टेशन सेंटर में कई खामियां विजिलेंस जांच में पाई गई थी और मामले को लेकर डीएफओ राजेश शर्मा के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है।
बावजूद इसके अधिकारी को प्रोमोशन दी गई है औऱ अधिकारी के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन मांगी गई थी जो तत्कालीन एसीएस वन राम सुभग सिंह ने इसकी अनुमति नहीं दी जो सीधे सीधे भ्र्ष्टाचार को संरक्षण देना है।
मुख्यमंत्री क्यों 6 महीने से मामले को जांच नहीं करवा रहे हैं जबकि पीएम कार्यालय से 12 दिन के भीतर कार्रवाई की गई है।अगर मामले की जांच नहीं होती है तो इसको लेकर फिर से प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मुख्य सचिव पर लगे भष्टाटाचार के आरोप और करीब 6 महीने पहले पीएमओ से आये पत्र पर जांच न किये जाने पर कहा है कि सभी तथ्य समय पर मीडिया के सामने रखेंगे ।
“इसमे गुमराह करने वाली जैसी कोई बात नहीं है, जो भी कोई रूटीन कंप्लेंट प्रधानमंत्री कार्यालय में जाती है वह स्टेट को फारवर्ड होती है। इस बारे में मैं कुछ चीजों को मीडिया के सामने नहीं कहना चाहता हूं। मामले को लेकर रिपोर्ट मांगी गई है।
वन्ही विपक्ष ने भी मुख्य सचिव पर लग रहे आरोपों की जांच की मांग की है और कहा है कि भाजपा भ्र्ष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करती है लेकिन दूसरी तरह भ्र्ष्टाचार के इतने संगीन आरोपों पर सरकार जाँच नहीं करवा रही है मामला 6 महीने से लटका हुआ है।