प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिसके चलते संगम नोज क्षेत्र में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।
इस भगदड़ में कई श्रद्धालुओं के घायल होने की खबर है, जबकि कुछ रिपोर्टों में 10 से अधिक लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है।
प्रशासनिक अधिकारियों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्परता दिखाई, लेकिन अत्यधिक भीड़ के कारण अव्यवस्था फैल गई।
कैसे हुआ हादसा?
मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में सर्वोच्च स्नान पर्वों में से एक है, और इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए प्रयागराज पहुंचते हैं। 12 साल में एक बार होने वाले महाकुंभ में इस बार अनुमानित 5 करोड़ से अधिक लोग स्नान के लिए आए थे।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुबह के समय संगम घाटों पर जबरदस्त भीड़ थी। प्रवेश और निकास मार्गों पर अव्यवस्था के कारण श्रद्धालु इधर-उधर भागने लगे, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
चश्मदीदों के अनुसार, कुछ लोग फिसलकर गिरे और उनके ऊपर अन्य श्रद्धालु चढ़ गए, जिससे घबराहट फैल गई। अचानक मची अफरातफरी के कारण कई लोग कुचल गए, और गंभीर रूप से घायल हो गए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को तत्काल राहत एवं बचाव कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। प्रशासन की ओर से घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, और डॉक्टरों की टीम उनकी देखभाल में जुट गई।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और धैर्य बनाए रखें। मुख्यमंत्री ने संगम क्षेत्र में अधिक भीड़ न करने के लिए अन्य वैकल्पिक घाटों पर स्नान करने की सलाह दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर बातचीत कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
केंद्र सरकार ने भी NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) की टीमों को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर सहायता प्रदान की जा सके।
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अखाड़ा परिषद और संत समाज की अपील
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने घटना पर शोक व्यक्त किया और महाकुंभ में अखाड़ों के अमृत स्नान को स्थगित करने की घोषणा की। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे केवल संगम नोज पर स्नान करने के बजाय अन्य सुरक्षित स्थानों पर भी गंगा स्नान करें।
महाकुंभ में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए डिजिटल उपायों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। प्रशासन ने ड्रोन कैमरों, सीसीटीवी निगरानी, और डिजिटल मैपिंग का उपयोग बढ़ाने का फैसला किया है ताकि भीड़ नियंत्रण में मदद मिल सके।
इसके अलावा, ई-गाइडेंस सिस्टम और मोबाइल अलर्ट सेवाएं भी श्रद्धालुओं को सही दिशा-निर्देश देने के लिए सक्रिय की जा रही हैं।
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती होती है। प्रशासन द्वारा अतिरिक्त सुरक्षा उपायों के बावजूद, अत्यधिक भीड़ के कारण अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है।
हालांकि, सरकार और प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत हैं और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर योजना और प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है।