एप्पल न्यूज़ , शिमला
भारत की आजादी को 2047 में पूरे सौ वर्ष हो जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उस ऐतिहासिक पड़ाव तक पहुंचने से पहले देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है।
भारतीय जनता पार्टी लोकसभा सांसद एंव प्रत्याशी सुरेश कश्यप ने कहा कि इस महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने लिए इस अवधि को ’अमृतकाल’ का नाम दिया गया है।
एक विकसित राष्ट्र की प्राथमिक कसौटी उसकी आर्थिक प्रगति होती है, इसलिए इस संदर्भ में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की स्थिति पर दृष्टि डालना आवश्यक है।
सुरेश कश्यप ने कहा कि वर्ष 2024 तक, भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,700 डॉलर और प्रति व्यक्ति क्रय शक्ति क्षमता आय करीब 10,120 डॉलर है। भारत की जीडीपी कुल 3.9 ट्रिलियन डॉलर (लाख करोड़) और (आधिकारिक विनिमय दरों पर) करीब 14.6 ट्रिलियन डॉलर है।
ये आंकड़े भारत के आर्थिक प्रभाव को दर्शाते हैं। वर्ष 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण में, 2024-25 तक भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए (चार प्रतिशत की अनुमानित मुद्रास्फीति के साथ) आठ प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की आवश्यकता बताई गई थी।
कोविड महामारी ने इस योजना को अवश्य ही प्रभावित किया है, परंतु भारत की आर्थिक आकांक्षाएं और संकल्प वही हैं, जिसमें सतत एवं समावेशी वृद्धि पर ध्यान केंद्रित है।
कश्यप ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि की गति के अनुसार, 2047 तक प्रति व्यक्ति आय कम से कम 10,000 डॉलर और अर्थव्यवस्था का आकार 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इससे भारत निम्न मध्यम-आय वाले देश की श्रेणी से निकलकर उच्च मध्यम-आय वाली श्रेणी में पहुंच जाएगा।
इस दौरान भारत ने मानव विकास की श्रेणी में ऊंची छलांग लगाने के लिए भी रणनीति बनाई है। वर्तमान में भारत में जीवन प्रत्याशा 70.8 वर्ष है, जो 2047 तक बढ़कर 78 वर्ष होने की उम्मीद है। यह उपलब्धि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के माध्यम से संभव होती दिख रही है।
सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि शिक्षा में सुधार भी व्यापक रूप से प्रगति पर हैं, और औद्योगिकीकरण के साथ ही डिजिटल इकोनॉमी की वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाली आर्थिक नीतियां भी उपयोगी सिद्ध हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी को सुसंगत बनाना होगा और इसमें पेट्रोलियम और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों को भी जोड़ना होगा। प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आज सभी को अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करना आवश्यक है।