एप्पल न्यूज, शिमला
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता और चौपाल विधायक, बलवीर वर्मा ने शिमला में एक बयान जारी कर आईजीएमसी के न्यू ब्लॉक ओपीडी की कैंटीन के आवंटन में लाखों रुपये के घोटाले और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार के चहेते लोगों को कैंटीन आवंटित करने में नियमों की अनदेखी की गई है।
वर्मा के अनुसार, 20 अक्टूबर 2023 को आईजीएमसी के चिकित्सा अधीक्षक की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति की बैठक हुई, जिसमें न्यू ब्लॉक ओपीडी में कैंटीन खोलने का प्रस्ताव रखा गया।
26 अक्टूबर 2023 को आईजीएमसी ने कैंटीन के टेंडर के लिए आवेदन जारी किया, जिसमें 33 खाद्य पदार्थों की सूची के लिए कोटेशन मांगे गए। हैरानी की बात यह है कि आवेदन की समय सीमा उसी दिन दोपहर 1:00 बजे तक थी, यानी आवेदकों को केवल 3 घंटे का समय दिया गया।

हिमाचल प्रदेश वित्तीय नियम 2009 के अनुसार, किसी भी टेंडर का नोटिस कम से कम तीन सप्ताह के लिए जारी किया जाना चाहिए। अत्यावश्यक स्थिति में इसे दो सप्ताह तक कम किया जा सकता है, लेकिन इस मामले में इसे घटाकर तीन घंटे कर दिया गया।
26 अक्टूबर को ही 3:00 बजे समिति ने बैठक कर कोटेशन की समीक्षा की और न्यू डायमंड नामक फर्म को सबसे कम दाम के आधार पर कैंटीन आवंटित कर दी। फर्म को ₹10,000 की सुरक्षा राशि और लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्धारित किराए पर कैंटीन दी गई।
वर्मा ने सवाल उठाया कि कैंटीन का किराया निर्धारित किए बिना ही आवंटन कैसे किया गया। डेढ़ महीने बाद विभाग ने किराया ₹73,227 प्रति माह तय किया, जबकि 10 साल पहले डॉक्टर्स पेशेंट कैंटीन का टेंडर ₹65,000 प्रति माह पर हुआ था। न्यू ब्लॉक ओपीडी की कैंटीन उससे बड़ी है।
उन्होंने यह भी बताया कि न्यू डायमंड द्वारा जमा की जाने वाली सुरक्षा राशि एक निजी व्यक्ति, संजय कुमार पुत्र हरि सिंह, निवासी बिंगा, धर्मपुर, मंडी द्वारा जमा की गई। वर्मा ने पूछा कि यह व्यक्ति कौन है और इसका न्यू डायमंड से क्या संबंध है।
टेंडर में शर्त थी कि फर्म बिजली, पानी के बिल का भुगतान करेगी और एलपीजी सिलेंडर का उपयोग करेगी। लेकिन डेढ़ साल बाद भी कैंटीन के नाम से न तो बिजली का कनेक्शन है और न ही पानी का। ऐसे में कैंटीन कैसे संचालित हो रही है? क्या बिजली का खर्च आईजीएमसी वहन कर रहा है?
25 अप्रैल 2023 के नोटिफिकेशन के अनुसार, मेडिकल कॉलेज में किसी भी स्पेस का आवंटन एडिशनल या ज्वाइंट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी द्वारा ही किया जा सकता है। 17 जून 2023 के नोटिफिकेशन के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में व्यावसायिक गतिविधि के लिए सरकार की पूर्व लिखित अनुमति आवश्यक है।
वर्मा ने सवाल उठाया कि बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के कैंटीन का आवंटन क्यों किया गया? ₹10,000 की सुरक्षा राशि इतनी बड़ी संपत्ति के लिए क्यों रखी गई? कैंटीन के किराए का आकलन पहले क्यों नहीं किया गया? उन्होंने मुख्यमंत्री से इन सवालों के जवाब मांगे हैं।