एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष (2024-25) के लिए 17,053 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश किया, जिससे राज्य का कुल बजट 75,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे बजट सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में पेश किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
हिमाचल प्रदेश सरकार का कुल बजट 75,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। अनुपूरक बजट का बड़ा हिस्सा कैश फ्लो बनाए रखने, पूंजीगत खर्च और विभागों की अतिरिक्त जरूरतों को पूरा करने के लिए खर्च किया गया।

आने वाले दिनों में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन और आगामी बजट (17 मार्च 2025) में पेश किए जाने वाले सुधारों पर नजर रखना जरूरी होगा।
यह अनुपूरक बजट विभिन्न सरकारी योजनाओं, बुनियादी ढांचे, वेतन भुगतान, और वित्तीय संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी था।
इस बजट का मुख्य उद्देश्य राज्य के वित्तीय दायित्वों को पूरा करना और विकास कार्यों में निरंतरता बनाए रखना है।
अनुपूरक बजट का विश्लेषण
1. कुल बजट का आकार
राज्य सरकार ने पिछले वर्ष (2024) में 58,440 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने अतिरिक्त 17,053 करोड़ रुपये खर्च किए, जिससे हिमाचल प्रदेश का कुल बजट अब 75,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
2. अनुपूरक बजट का वितरण
अनुपूरक बजट में मुख्य रूप से तीन बड़े खर्चे शामिल हैं:
3. किन विभागों को अतिरिक्त बजट मिला?
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में उन विभागों और योजनाओं का विवरण दिया, जिनके लिए यह अतिरिक्त राशि खर्च की गई। इसमें निम्नलिखित प्रमुख विभाग शामिल हैं:
- शिक्षा विभाग – सरकारी स्कूलों और उच्च शिक्षा में सुधार
- स्वास्थ्य विभाग – अस्पतालों, दवा आपूर्ति और चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार
- ग्रामीण विकास – गांवों में सड़क, जल आपूर्ति और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास
- पुलिस विभाग – कानून-व्यवस्था बनाए रखने और सुरक्षा को सुदृढ़ करने हेतु
- खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग – सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए
- विद्युत विकास विभाग – बिजली उत्पादन और आपूर्ति में सुधार
- पर्यटन विभाग – पर्यटन स्थल विकसित करने और नई योजनाओं के लिए
- विधानसभा एवं मंत्री परिषद – प्रशासनिक सुधारों और सरकारी कार्यों के लिए
अनुपूरक बजट की आवश्यकता क्यों पड़ी?
1. वित्तीय संतुलन बनाए रखना
राज्य सरकार ने कैश फ्लो बनाए रखने के लिए 10,137 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें सरकारी वेतन, पेंशन, अनुदान, और अन्य खर्च शामिल थे।
2. बुनियादी ढांचे और विकास योजनाओं में निवेश
राज्य ने पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) में 12,803 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें सड़क, पुल, जल आपूर्ति, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दिया गया।
3. सामाजिक कल्याण योजनाओं को लागू करना
रिवेन्यू एक्सपेंडिचर में 4,250 करोड़ रुपये का खर्च किया गया, जिसमें विभिन्न योजनाओं के लिए अनुदान, गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, और सरकारी कर्मचारियों के वेतन एवं भत्ते शामिल हैं।
भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं
1. आगामी बजट (2025-26) पर नजर
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का तीसरा बजट आगामी 17 मार्च 2025 को पेश किया जाएगा। इस बजट में सरकार की वित्तीय नीति, नई योजनाएं, और राज्य के विकास की दिशा स्पष्ट होगी।
2. वित्तीय प्रबंधन और ऋण संतुलन
हिमाचल प्रदेश सरकार को राज्य के बढ़ते खर्चों को संतुलित करने और ऋण बोझ को नियंत्रित करने की आवश्यकता होगी।
3. राजस्व बढ़ाने के संभावित उपाय
- पर्यटन को बढ़ावा देकर राजस्व बढ़ाने की योजना
- विद्युत उत्पादन और उद्योगों में निवेश को आकर्षित करना
- नई कर नीतियां और सरकारी खर्च में कटौती