यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः – मनुस्मृति
एप्पल न्यूज़, ब्यूरो
नारी को जननी का दर्जा दिया गया है। जननी यानी निर्माण करने वाली। व्यक्ति, परिवार समाज और राष्ट्र के निर्माण में नारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसे नारी उत्थान का युग कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा। वर्तमान सरकार महिलाओं को हर क्षेत्र में अपना भविष्य निर्माण करने का अवसर उपलब्ध करा रही है।
निस्संदेह नारी की दशा में निरंतर सुधार राष्ट्र की प्रगति का मापदंड है। हम सब नारी शक्ति से परिचित हैं। मैं आज जिस जगह पर हूं, उसकी प्रेरक मेरी माँ है। माँ से मैने सामाजिक सरोकार को जाना। समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भान मुझे माँ ने कराया। राजनीति में आने का मेरा उदेश्य सामाजिक बदलाव लाना था। माँ की वही प्रेरणा आज मुझे काम को अंजाम तक पहुंचाने की शक्ति
देती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उन महिलाओं को स्वावलंबी, सामर्थवान बनाने का काम किया जा रहा है, जिनकी सहभागिता के बगैर सामाजिक पूर्ननिर्माण के कार्य को पूरा नहीं किया जा सकता। देश में महिला स्वावलंबन के परिणाम सरकार के ध्येय वाक्य सबका साथ-सबका विकास को परिलक्षित करते हैं। देश की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना पताका फहरा रही हैं।
महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देकर उनके उच्च स्थान तक पहुंचने की बाधा दूर करना और तीन तलाक जैसी कुप्रथा को खत्म करना उसी की बानगी है। इसके पहले की सरकारों दवारा ग्रामीण महिलाओं की परेशानी देखने की कोशिश नहीं की गई। जिसके चलते गर्भवती महिलाओं को कई तरह के पीड़ादायी दौर से गुजरना पड़ता था।
मोदी सरकार द्वारा कामकाजी महिलाओं को कम से कम छह माह का मातृत्व अवकाश की नीति बनाने के साथ प्रधानमंत्री मातृ वदना योजना के जरिए उन महिलाओं को मदद देने का काम किया गया, जो आर्थिक अभाव के चलते पोषक तत्वो की जरूरत पूरी नहीं कर पा रही थी। प्रशिक्षण के जरिए महिलाओं के अंदर छिपे हुनर को निखारने के अलावा, उन्हें उद्यमी बनाने के लिए भी सरकार सहयोगी की भूमिका निभा रही है। इसके लिए महिला ई-हाट में उनके दवारा निर्मित सामान को बाजार दिया गया, वही स्टैड अप इंडिया में एक करोड़ तक का ऋण देकर उन्हें उदयमी बनाने का काम किया जा रहा है। उज्जवला योजना ने गरीब महिलाओ के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है। देश में 8 करोड़ से ज्यादा गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देकर केन्द्र सरकार ने उनके जीवन से धुंध हटाने का काम किया है।
यह सच है कि भारत की महिलाएं असीमित क्षमता की धनी हैं। योड़ा सा सहयोग और समर्थन मिलने पर वह ऐसा कार्य करती है जो राष्ट्रीय विकास के लक्ष्य का मार्ग बनाता है। मेरे पास जब लघु, मध्यम और सूक्ष्म मंत्रालय आया तो मैने उसका बारीकी से अध्ययन किया। मैंने पाया कि इस मंत्रालय से देश की बहुत सारी महिलाओं को विकास का सारथी बनाया जा सकता है। मैने तत्काल एमएसएमई के जीडीपी की भागीदारी को 29 से 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा और नारी सहभागिता से एमएसएमई के काम को आगे बढ़ाने की योजना में जुट गया।
देश में 80 लाख महिला उदयमी हैं, मुझे इस बात की खुशी है कि एमएसएमई के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को 500 करोड़ करने में ग्रामीण महिलाएं आगे आई है। हम तीन मुख्य बिन्दुओं पर फोकस कर रहे हैं। खादी, शहद उत्पादन और लघु उद्यम। देश में खादी का निर्माण करने वाले 4 लाख बुनकरों में महिलाओं की संख्या अधिक है। हम खादी को ग्लोबल ब्रांड बनाना चाहते हैं और इसके लिए जरूरत के हिसाब से खादी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए हमने सोलर चरखा का प्रयोग शुरू किए हैं। सोलर चरखा मिशन में हमने 5 करोड़ महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। सोलर चरखा स्थापित करने के लिए 550 करोड़ रूपए मजूर किए है।
हम देश में शहद का उत्पादन और उपयोग बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। शहद उत्पादन में महिलाओं की अहम भूमिका हो सकती है। इसे ध्यान में रख ग्रामीण क्षेत्रों में एक करोड़ 50 लाख बी वाक्स वितरित किए जा चुके हैं। भारत में कृषि कार्य में महिलाएं बराबरी से काम करती हैं। लिहाजा, हम कृषि कार्य से जुड़ी महिलाओं को शहद मिशन से जोड़ने का काम कर रहे हैं। इसके लिए हमने शहद उत्पादन का सालान बजट 15 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ कर दिया है।
हमारी कोशिश ये है कि जिस तरह से मीठे के रूप में चीनी का उपयोग होती है, उसकी जगह शहद का उपयोग बढ़े। इसके लिए हम शहद की ऐसी पैकिंग का प्रयास कर रहे हैं, जिसे आसानी से चाय में मिलाकर इस्तेमाल किया जा सके। कृषि कार्य से जुड़ी महिलाओं के शहद मिशन से जुड़ने से ना केवल शहद का उत्पादन बढ़ाया जाएगा, बल्कि इससे कृषि उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
सरकार ने अप्रैल, 2019 से केंद्रीय मंत्रालय तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उदयम के लिए 25% खरीदी एमएसएमई से करने का नियम बना दिया गया है। जिसमें 3% की खरीदी महिला उद्यमियों से की जा रही है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद केन्द्र सरकार राज्य को उन्नतशील बनाने की दिशा में बढ़ रही है। हमारा मंत्रालय भी आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं को स्ववालंबी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण काम शुरू कर चुका है। अनंतनाग, बांदीपुरा, पुलवामा, पुलगांव में बुनाई के काम से जुड़ी महिलाओं को फिर से इस काम से जोड़ा जा रहा है।
यह जानकर आश्चर्य होना स्वाभाविक है कि नगरोटा में आतंकवाद पीड़ित परिवार की महिलाओं द्वारा बनाई गई रूमाल की मांग देश में तेजी से बढ़ रही है। वहां खादी रूमाल सिलाई केन्द्र जब शुरू किया गया, तब बिलकुल अंदाजा नहीं था कि डर से उबरी महिलाएं उसी शक्ति और उत्साह से काम कर पाएंगी। वहां रूमाल बनाने के काम से 125 महिलाओं को जोड़ा गया। वह प्रतिदिन लगभग 7,500 रूमाल का निर्माण कर रही हैं। चार घंटे कार्य करके एक महिला 70 रूमाल बना रही हैं। तीन रू.प्रति रूमाल के हिसाब से एक महिला प्रतिदिन 210 रू. कमा रही है। इस रूमाल की मांग को देखते हुए हमने इस क्षेत्र की 20 हजार महिलाओं को रूमाल निर्माण कार्य से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। घाटी में हमारी तरफ से महिलाओं के स्वावलंबन के लिए इलेक्ट्रिक पॉटरी बाटने का काम भी किया गया है। पॉटरी देने का परिणाम ये रहा कि सांबा क्षेत्र में फायरपाट और गुल्लक बनाकर महिला-पुरुष प्रतिदिन 500 से 600 रूपए कमाने लगे हैं।
नारी को सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक शोषण से बाहर निकालने का बीड़ा उठाकर चल रही मौजूदा सरकार द्वारा महिलाओं को हर क्षेत्र में अपना भविष्य निर्माण करने का अवसर उपलब्ध कराना महिलाओं के विकास के लिए रामबाण साबित हो रहा है।
लेखक
नितिन गड़करी
केंद्रीय मंत्री, सड़क एवं परिवहन