एप्पल न्यूज़, पालमपुर
सुलह हलके में एक नई और अनोखी पहल की गई है। सरकारी कार्यक्रम में अब स्वागत में पुष्पगुच्छ, फूलमालाएं पहनाने, सम्मान में शाल-टोपी और स्मृति-चिन्ह तथा बादाम, काजू इत्यादि नहीं होगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, विपिन सिंह परमार के सुझाव पर ऐसा करने का निर्णय लिया गया। अब पुरानी स्वागत, सम्मान तथा आवोभगत की परंपरा से हटकर साधारण रूप से स्वागत किया जा रहा है। ताजा उदाहरण सुलह विधान सभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत भदरोल में देखने को मिला। एक कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में पधारे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का स्वागत हाथ मिलाकर और नमस्ते के माध्यम से किया।
भदरोल वासियों ने स्वागत, सम्मान इत्यादि पर खर्च होने वाली सारी राशि को मुख्यमंत्री राहत कोष में भेंट किया। भदरोल वासियों ने 11 हजार रुपये की राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में दे दी। ऐसा ही एक ओर उदाहरण सुलह हलके के बैरघट्टा-कंढेरा पुल के शिलान्यास कार्यक्रम में भी देखने को मिला, जिसमें साधारण तरीके से मुख्यातिथि स्वास्थ्य मंत्री का स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम में भी स्वागत इत्यादि पर खर्च होने वाली राशि 5100 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में भेंट की गई।
सम्मान इत्यादि पर खर्च होने वाली राशि को मुख्यमंत्री राहत कोष में भेंट करने से पूरे प्रदेश में इसकी सराहना की जा रही है। लोगों का भी इस पहल में भरपूर सहयोग मिल रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि उन्होंने लोगों से निवेदन किया था कि कार्यक्रमों में फूलमालाएं पहनाने, सम्मान में शाल-टोपी और स्मृति-चिन्ह का प्रयोग नहीं किया जाये।
उन्होंने कहा कि लोगों ने उनके निवेदन को स्वीकार किया और सुलह हलके में यह नईं परमपरा आरंभ हुई। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन सैंकड़ों जरूरतमंद लोग मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों से मिलते हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता उपलब्ध करवाने के प्रयास किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्तां इन कार्यक्रमों में हजारों रुपये फूलमालाओं, शाल-टोपी और स्मृति-चिन्ह इत्यादि पर खर्च करते हैं। उन्होंने कहा कि इस फिजूल खर्च को बंद कर, मानवता की सेवा के लिए बने मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का फैसला लिया गया है।