एप्पल न्यूज़, शिमला
प्रदेश में हजारों मृतक कर्मचारीयों के आश्रित पिछले कई वर्षों से अनुकम्पा के आधार पर सरकार से नियुक्ति की आश लगाए हुए हैं लेकिन सरकार का कर्मचारीयों के आश्रितों के प्रति रवैया उदासीन है जिसके कारण प्रदेश में लगभग चार हजार से अधिक के ऐसे मामले सरकारी फाइलों की मात्र शोभा बनें हुए हैं और मृत कर्मचारियों के आश्रित दर दर भटक रहे हैं ।
हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा है कि यह केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की नियमावली में एक तय वयवस्था दी गई है अपने सेवा काल की अवधि के दौरान असमय मृत्यु को प्राप्त कर्मचारी के परिवार को बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप और तय समय पर योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी दी जानी अनिवार्य है लेकिन पिछले लम्बे समय से अनुकम्पा के आधार पर नियुक्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप कर नियमों को तोड़ मरोड़ कर सरकारों की राजनीतिक लाभ हानि के नजरिए से ऐसी नियुक्तियां दी जाने लगी है ।
प्रदेशाध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा है कि अनुकम्पा के आधार पर नियुक्तियों में कैडर में कुल रिक्त पदों का 5%निर्धारित किया है वह सही नहीं है कयोंकि कई विभागों में रिक्तियां नाममात्र की है जिसके कारण 10 वर्षों से अधिक अवधि तक भी कर्मचारी के आश्रित को नौकरी नहीं मिल पाती है ।जबकि 2003 के बाद सभी नौकरीयां राष्ट्रीय पैन्शन प्रणाली ,यानि न्यू पैन्शन स्कीम,के दायरे में है और इस स्थिति में तो मृतक कर्मचारी के आश्रित परिवार की स्थिति और दयनीय हो जाती है । महासंघ ने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा है कि सरकार के पास कुल जितने भी अनुकम्पा के मामले लम्बित है उन्हे एक मुशत निपटाने का फैसला सरकार ले। जिन जिन सरकारी विभागों बोर्डों, निगमों में रिक्तियां पड़ी है वहां वहां इनका समायोजन किया जाए ।नियुक्तियां देते समय शैक्षणिक योग्यता के साथ ऐसे मामले सरकारी कार्यालयों में बैठाने से पहले प्रशिक्षण भी अनिवार्य किया जाए ताकि अनुकम्पा के आधार पर नियुक्तियों वाले कर्मचारी सरकारी कार्यालयों की सरकारी कार्य दक्षता और कार्य कुशलता का प्रशिक्षण और जानकारी हासिल कर सकें ।