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कारगिल की चोटियों पर लिखी “विजय गाथा” हमारी पीढ़ियों को करेगी प्रेरित, शिमला में शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

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एप्पल न्यूज़, शिमला

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शिमला के गेयटी थियेटर में कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कारगिल युद्ध भारतीय सैनिकों के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक है। आज के दिन हम अपने उन शूरवीरों को नमन करते हैं जिन्होंने अपने अदम्य साहस और वीरता से कारगिल के युद्ध में विजय हासिल की।

उन्होंने कहा कि 22 वर्ष पूर्व कारगिल की चोटियों पर जो विजय गाथा लिखी गई वह हमारी पीढि़यों को प्रेरित करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1999 में कारगिल की पहाडि़यों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था, जिसके खिलाफ भारतीय सेना ने आॅप्रेशन विजय चलाया जो आठ मई से शुरू होकर 26 जुलाई, 1999 तक चला।


जय राम ठाकुर ने कहा कि कारगिल में आॅप्रेशन विजय के दौरान मिली जीत इस देश के सैनिकों के अदम्य साहस और संकल्पों की जीत थी। उन्होंने कहा कि जिन वीर सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया उन्हें उनकी वीरता के लिए सदैव स्मरण किया जाएगा। युद्ध के दौरान देश के 527 वीर सैनिक शहीद हुए और 1300 से अधिक घायल हुए थे। हिमाचल प्रदेश को वीरभूमि के नाम से जाना जाता है और प्रदेश के रणबांकुरों ने साहस और बलिदान की परम्परा को बनाए रखा है तथा भारतीय सेना में सेवा करते हुए प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान 527 शहीद सैनिकों में 52 सैनिक हिमाचल प्रदेश के थे और चार सैनिकों को परमवीर चक्र से नवाजा गया था जिनमें दो वीर सपूत हिमाचल प्रदेश के थे। कैप्टन विक्रम बत्रा हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के थे जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस युद्ध में जिला बिलासपुर के सैनिक हवलदार संजय कुमार को भी अतुलनीय शौर्य के लिए सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया।
जय राम ठाकुर ने कहा कि यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि अब तक राज्य को 1096 वीरता पुरस्कार मिल चुके हैं। प्रदेश के 1246 वीर सपूतों ने मातृ भूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि युद्ध व अन्य सैन्य आॅप्रेशनों में शहीद सैनिकों तथा अन्य कारणों से मारे गए सैनिकों के आश्रितों और अपंग हुए सैनिकों को अनुग्रह अनुदान राशि प्रदान की जा रही है। कारगिल युद्ध के दौरान प्रदेश के सभी 52 शहीद सैनिकों के आश्रित परिवारों को पांच लाख रुपये की दर से अनुग्रह अनुदान राशि प्रदान की गई है। 50 प्रतिशत से अधिक अपंगता वाले 12 सैनिकों को 2.5 लाख रुपये की दर से अनुग्रह अनुदान राशि तथा 50 प्रतिशत से कम अपंगता वाले छः सैनिकों के लिए एक लाख रुपये की दर से अनुग्रह अनुदान राशि दी गई है। प्रदेश के 52 शहीदों के परिवारों में से 44 परिवारों के एक-एक आश्रित को उनके रोजगार के लिए आवेदन उपरान्त रोजगार और नौ अपंग हुए सैनिकों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया।
 इसके अतिरिक्त पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मन्त्रालय भारत सरकार द्वारा आॅप्रेशन कारगिल और विभिन्न आपे्रशनों में शहीद हुए सैनिकों के आश्रितों के लिए विशेष योजना के तहत पैट्रोल पम्प व गैस एजेन्सी दिए जाने का प्रावधान भी किया गया है। आॅप्रेशन में शहीद हुए प्रदेश के सैनिकों के 28 आश्रितों को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के माध्यम से गैस एजेन्सी व पैट्रोल पम्प आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अन्य सैन्य अभियानों में शहीद हुए सैनिकों के आश्रितों को भी राज्य सरकार द्वारा अनुदान राशि प्रदान की जा रही है।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों के परिवारों को भी सम्मानित किया।
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि देश ने बहुत सी लड़ाइयों का सामना किया है जिनमें भारतीय सैनिकों ने राष्ट्र की सुरक्षा, संप्रभुता और अखण्डता बनाए रखने के लिए अपने साहस और पराक्रम का अदम्य उदाहरण प्रस्तुत किया और मातृ भूमि की रक्षा के लिए अथक प्रयास किए हैं।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के कलाकारों ने इस अवसर पर देशभक्ति गीत और वृत्तचित्र का प्रदर्शन किया।
सांसद सुरेश कश्यप, नगर-निगम शिमला की महापौर सत्या कौंडल, उप-महापौर शैलेन्द्र चैहान, पूर्व सांसद विमला कश्यप, हिमफेड के अध्यक्ष गणेश दत्त, सक्षम गुडि़या बोर्ड की अध्यक्षा रूपा शर्मा, एपीएमसी के अध्यक्ष नरेश शर्मा, मुख्य सचिव अनिल खाची, उपायुक्त आदित्य नेगी, पुलिस अधीक्षक मोहित चावला, ब्रिगेडियर आर. सिहाग, ब्रिगेडियर ए.के. शर्मा, कर्नल युद्धवीर सिंह और कर्नल विक्रम जीत सिंह भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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